महाशिवरात्रि पर बुधादित्य योग और भद्रावास का दुर्लभ संयोग, पूजा का मिलेगा विशेष लाभ

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calendar30 Nov 2025 10:30 PM
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Mahashivratri 2025: 26 फरवरी बुधवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। ये पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 26 फरवरी को इस पर्व का शुभ संयोग बन रहा है। शिवरात्रि का त्योहार शिवजी और माता पार्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही शिवजी और माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था। यही वजह है कि इस दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा विधि विधान से करने वाले व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। शिवरात्रि के दिन चारों पहर शिवजी और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। साथ ही चारों पहर शिवजी का अभिषेक करने का भी धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दिन के प्रथम पहर में दूध से, द्वितीय पहर में दही से, तृतीय प्रहर में घृत और चतुर्थ पहर में मधु से अभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

इस महाशिवरात्रि बन रहा दुर्लभ संयोग :

महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाया था। यह शुभ पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11.08 बजे से होगी जो 27 फरवरी को सुबह 8.54 बजे समाप्त होगी। ज्योतिषियों के मुताबिक इस वर्ष महाशिवरात्रि के पर्व पर भद्रावास का योग बन रहा है, जो बहुत ही दुर्लभ संयोग है। इसके साथ ही इस वर्ष महाशिवरात्रि में पर पूरे 60 साल बाद त्रिग्रही योग बन रहा है। साथ ही इस वर्ष श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का सुसंयोग बना है। इस महाशिवरात्रि पर चंद्रमा मकर राशि में विराजमान है जो बहुत ही शुभ संयोग है। इस दिन सूर्य, बुध, और शनि तीनों ग्रह कुंभ राशि में हैं, जिसके कारण इस वर्ष इस दिन त्रिग्रही योग बन रहा है। इसके अलावा ज्योतिषियों की माने तो इस महाशिवरात्रि पर बुधादित्य योग भी बन रहा है। यही वजह है कि इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ फल देने वाला है। जो भी व्यक्ति सच्चे श्रद्धा भाव से इस पर्व पर शिवजी और माता पार्वती की आराधना करेगा उसे शुभ फल की प्राप्ति होगी।

महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त:

महाशिवरात्रि के दिन, दिन के चारों पहर में विधि विधान से शिवजी की आराधना की जाती है पूजा के लिए जो शुभ मुहूर्त है वो कुछ इस प्रकार है - पहला प्रहर: शाम 6 से 9 बजे तक2. दूसरा प्रहर: रात 9 से 12 बजे तक3. तीसरा प्रहर: रात 12 से 3 बजे तक4. चौथा प्रहर: रात 3 से अगले दिन सुबह 6 बजे तक।

महाशिवरात्रि पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:

घर पर विधि विधान से महाशिवरात्रि की पूजा के लिए आवश्यकसामग्री है - शिवलिंग या भगवान शिव की तस्वीर– बेलपत्र, भांग, धतूरा– मदार पुष्प या फूलों की माला– शमी के पत्ते– गाय का दूध, दही, शक्कर– गंगाजल, चंदन, केसर, अक्षत– इत्र, लौंग, छोटी इलायची, पान-सुपारी– शहद, बेर, मौसमी फल, खस– शिव चालीसा, शिव आरती, महाशिवरात्रि व्रत कथा की किताब– भोग के लिए हलवा, ठंडाई या लस्सी– हवन की सामग्री।

कैसे करें महाशिवरात्रि की पूजा:

महाशिवरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले नित्य क्रिया, स्नान इत्यादि करने के पश्चात, स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव के सामने पूजा और व्रत का संकल्प ले। दिनभर ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें। पूजा के समय त्रिपुंड जरूर लगाए। पूजा की शुरुआत के लिए सबसे पहले शिवलिंग को स्थापित करें और फिर ओम गणेशाय नमः का जाप करते हुए शुद्ध जल और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें, और फिर भगवान को भोग अर्पित करें। इसके बाद ‘ऊं गं गणपतयै नम:’ और ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्रों का जाप करें। इसके पश्चात भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें। 28 फरवरी को आकाश में दिखाई देगा अद्भुत नजारा, एक साथ दिखेंगे सात ग्रह
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महाशिवरात्रि पर बुधादित्य योग और भद्रावास का दुर्लभ संयोग, पूजा का मिलेगा विशेष लाभ

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Mahashivratri 2025: 26 फरवरी बुधवार के दिन महाशिवरात्रि का पर्व हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाएगा। ये पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास में कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष 26 फरवरी को इस पर्व का शुभ संयोग बन रहा है। शिवरात्रि का त्योहार शिवजी और माता पार्वती को समर्पित है। धार्मिक मान्यता के अनुसार फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को ही शिवजी और माता पार्वती का शुभ विवाह संपन्न हुआ था। यही वजह है कि इस दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा विधि विधान से करने वाले व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं और सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती है। शिवरात्रि के दिन चारों पहर शिवजी और माता पार्वती की पूजा करने का विधान है। साथ ही चारों पहर शिवजी का अभिषेक करने का भी धार्मिक महत्व है। धार्मिक मान्यता के अनुसार दिन के प्रथम पहर में दूध से, द्वितीय पहर में दही से, तृतीय प्रहर में घृत और चतुर्थ पहर में मधु से अभिषेक करने से भोलेनाथ प्रसन्न होते हैं और सभी मनोकामनाओं को पूरा करते हैं।

इस महाशिवरात्रि बन रहा दुर्लभ संयोग :

महाशिवरात्रि का पर्व भगवान शिव को अत्यंत प्रिय है। इसी दिन भगवान शिव ने माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाया था। यह शुभ पर्व प्रतिवर्ष फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी को सुबह 11.08 बजे से होगी जो 27 फरवरी को सुबह 8.54 बजे समाप्त होगी। ज्योतिषियों के मुताबिक इस वर्ष महाशिवरात्रि के पर्व पर भद्रावास का योग बन रहा है, जो बहुत ही दुर्लभ संयोग है। इसके साथ ही इस वर्ष महाशिवरात्रि में पर पूरे 60 साल बाद त्रिग्रही योग बन रहा है। साथ ही इस वर्ष श्रवण और धनिष्ठा नक्षत्र का सुसंयोग बना है। इस महाशिवरात्रि पर चंद्रमा मकर राशि में विराजमान है जो बहुत ही शुभ संयोग है। इस दिन सूर्य, बुध, और शनि तीनों ग्रह कुंभ राशि में हैं, जिसके कारण इस वर्ष इस दिन त्रिग्रही योग बन रहा है। इसके अलावा ज्योतिषियों की माने तो इस महाशिवरात्रि पर बुधादित्य योग भी बन रहा है। यही वजह है कि इस वर्ष महाशिवरात्रि का पर्व बहुत ही शुभ फल देने वाला है। जो भी व्यक्ति सच्चे श्रद्धा भाव से इस पर्व पर शिवजी और माता पार्वती की आराधना करेगा उसे शुभ फल की प्राप्ति होगी।

महाशिवरात्रि पूजा का शुभ मुहूर्त:

महाशिवरात्रि के दिन, दिन के चारों पहर में विधि विधान से शिवजी की आराधना की जाती है पूजा के लिए जो शुभ मुहूर्त है वो कुछ इस प्रकार है - पहला प्रहर: शाम 6 से 9 बजे तक2. दूसरा प्रहर: रात 9 से 12 बजे तक3. तीसरा प्रहर: रात 12 से 3 बजे तक4. चौथा प्रहर: रात 3 से अगले दिन सुबह 6 बजे तक।

महाशिवरात्रि पूजा के लिए आवश्यक सामग्री:

घर पर विधि विधान से महाशिवरात्रि की पूजा के लिए आवश्यकसामग्री है - शिवलिंग या भगवान शिव की तस्वीर– बेलपत्र, भांग, धतूरा– मदार पुष्प या फूलों की माला– शमी के पत्ते– गाय का दूध, दही, शक्कर– गंगाजल, चंदन, केसर, अक्षत– इत्र, लौंग, छोटी इलायची, पान-सुपारी– शहद, बेर, मौसमी फल, खस– शिव चालीसा, शिव आरती, महाशिवरात्रि व्रत कथा की किताब– भोग के लिए हलवा, ठंडाई या लस्सी– हवन की सामग्री।

कैसे करें महाशिवरात्रि की पूजा:

महाशिवरात्रि की पूजा करने के लिए सुबह सबसे पहले नित्य क्रिया, स्नान इत्यादि करने के पश्चात, स्वच्छ वस्त्र धारण करके भगवान शिव के सामने पूजा और व्रत का संकल्प ले। दिनभर ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करें। पूजा के समय त्रिपुंड जरूर लगाए। पूजा की शुरुआत के लिए सबसे पहले शिवलिंग को स्थापित करें और फिर ओम गणेशाय नमः का जाप करते हुए शुद्ध जल और गंगाजल से शिवलिंग का अभिषेक करें। इसके बाद पंचामृत से शिवलिंग का अभिषेक करें, और फिर भगवान को भोग अर्पित करें। इसके बाद ‘ऊं गं गणपतयै नम:’ और ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्रों का जाप करें। इसके पश्चात भगवान शिव की आरती के साथ पूजा संपन्न करें। 28 फरवरी को आकाश में दिखाई देगा अद्भुत नजारा, एक साथ दिखेंगे सात ग्रह
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महाशिवरात्रि आत्मशुद्घि, ध्यान औैर भक्ति का पर्व

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Mahashivaratri 2025
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calendar12 Feb 2025 07:52 PM
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Mahashivaratri 2025 : महाशिवरात्रि हर साल माघ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाई जाती है। वर्ष-2025 में यह पावन त्योहार 26 फरवरी 2025 को पड़ रहा है। पंचांग के अनुसार, चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 26 फरवरी 2025 को सुबह 11:08 बजे होगी और इसका समापन 27 फरवरी को सुबह 8:54 बजे होगा। इस विशेष दिन पर भगवान शिव (Lord Shiva) की पूजा, रुद्राभिषेक और व्रत का विशेष महत्व होता है। महाशिवरात्रि की विशेष धार्मिक मान्यता होती है। इस दिन पूरे मनोभाव से भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा संपन्न की जाती है।

maha shivaratri 2025

भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था

महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) का दिन भगवान शिव (Lord Shiva) के भक्तों के लिए बेहद ही महत्वपूर्ण होता है। यह पर्व पूरे देश में बड़ी श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इस अवसर पर शिव मंदिरों को सजाया जाता है और भव्य शिव बारात निकाली जाती है जिसमें भक्तगण हर्षोल्लास से भाग लेते हैं। महाशिवरात्रि के दिन शिव-गौरी की पूजा करने से दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि आती है। महाशिवरात्रि का व्रत रखने और भोलेनाथ की पूजा-अर्चना करने से कुंवारी कन्याओं को मनचाहा और सुयोग्य जीवनसाथी मिलने का आशीर्वाद मिलता है। यह वही पावन दिन है जब भगवान शिव और माता पार्वती का विवाह संपन्न हुआ था। भक्तजन इस शुभ दिन पर रुद्राभिषेक, महामृत्युंजय मंत्र जप, और शिवलिंग पर जल व बेलपत्र अर्पित कर भगवान शिव को प्रसन्न करते हैं। यह पर्व भक्तों के लिए आत्मशुद्धि, ध्यान और शिव भक्ति में लीन होने का एक सुनहरा अवसर देता है। इस वर्ष महाशिवरात्रि कब मनाई जाएगी और भगवान शिव की पूजा का शुभ मुहूर्त क्या रहेगा, इसकी जानकारी के लिए पंचांग के अनुसार तिथि और समय का ध्यान रखना जरूरी है।

शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का होता है आयोजन

महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) के पर्व पर पूरे दिन शिव मंदिरों में विशेष पूजा-अर्चना का आयोजन होता है और शिव भक्त ‘ऊं नम: शिवाय’ मंत्र का जाप करते हैं। रात्रि में जागरण कर शिव पुराण का पाठ किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से विशेष फल मिलता है और भक्तों के समस्त कष्ट दूर होते हैं।

पूजा विधि और व्रत नियम

महाशिवरात्रि (Mahashivaratri) के दिन भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा सुबह और शाम दोनों समय करनी चाहिए। पूजा के दौरान भगवान शिव और माता पार्वती को वस्त्र अर्पित करना शुभ माना जाता है।

शिवजी की आरती

ओम जय शिव ओंकारा, स्वामी जय शिव ओंकारा। ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी धारा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥

एकानन चतुरानन पञ्चानन राजे। हंसासन गरूड़ासन वृषवाहन साजे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ दो भुज चार चतुर्भुज दसभुज अति सोहे। त्रिगुण रूप निरखत त्रिभुवन जन मोहे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ अक्षमाला वनमाला मुण्डमालाधारी। त्रिपुरारी कंसारी कर माला धारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ श्वेताम्बर पीताम्बर बाघंबर अंगे। सनकादिक गरुड़ादिक भूतादिक संगे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ कर के मध्य कमण्डल चक्र त्रिशूलधारी। जगकर्ता जगभर्ता जगसंहारकर्ता॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ ब्रह्मा विष्णु सदाशिव जानत अविवेका। प्रणवाक्षर के मध्ये ये तीनों एका॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ पर्वत सोहैं पार्वती, शंकर कैलासा। भांग धतूरे का भोजन, भस्मी में वासा॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ जटा में गंग बहत है, गल मुण्डन माला। शेष नाग लिपटावत, ओढ़त मृगछाला॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ काशी में विराजे विश्वनाथ, नन्दी ब्रह्मचारी। नित उठ दर्शन पावत, महिमा अति भारी॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ त्रिगुणस्वामी जी की आरति जो कोइ नर गावे। कहत शिवानन्द स्वामी, मनवान्छित फल पावे॥ ओम जय शिव ओंकारा॥ स्वामी ओम जय शिव ओंकारा॥

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