2022 में शनि किसी करेंगे मालामाल और किसे करेंगे बेहाल, जानिए अभी

Shani dev
shani dev
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:09 PM
bookmark

नववर्ष (New Year 2022)  आने में 25 दिन शेष बचे हैं, सभी लोग यह जानने के लिए उत्सुक हो गए हैं कि आने वाला साल 2022 उनके लिए कैसा रहेगा। वैदिक ज्योतिष (Astrology) में वार्षिक राशिफल (Annual Horoscope) गणना करके निकाली जाती है। साथ ही यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि वर्ष 2022 में कौन कौन से ग्रह कब गोचर करेंगे और इन ग्रहों का राशियों (zodiac) के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। नवग्रह में शनि (Shanidev) को सबसे प्रमुख ग्रह माना जाता है। माना जाता है कि शनि (Shanidev) पाप ग्रह है, लेकिन शनि (Shanidev) न्याय के देवता भी हैं। वर्ष 2022 में तो शनि दो बार अपनी स्थिति बदलेंगे। वे राशि परिवर्तन भी करेंगे और वक्री चाल भी चलेंगे। इनका बड़ा असर सभी राशियों पर होगा। इनमें से 8 राशियां ऐसी हैं, जिन पर पूरे साल शनि की नजर रहेगी।

शनि 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि 30 साल बाद इस राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, जो कि उनकी अपनी राशि है। शनि के कुंभ में प्रवेश करते ही कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जायेगी। साथ ही मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। शनि की साढ़ेसाती इन सभी राशियों को कई तरह से परेशान करेगी लेकिन कुंभ राशि के जातकों के लिए यह समय अच्‍छा रहेगा। शनि अपनी राशि कुंभ के जातकों पर मेहरबान रहेंगे और उनकी किस्‍मत चमका देंगे। इसके अलावा मिथुन और तुला राशि के जातकों की ढैय्या और धनु पर से शनि की साढ़ेसाती खत्‍म हो जाएगी। यह राहत उन्‍हें बहुत लाभ दिलाएगी।

2022 में शनि की स्थिति में दूसरा बदलाव 12 जुलाई 2022 को होगा। इस दिन शनि वक्री चाल चलते हुए पिछली राशि मकर में प्रवेश करेंगे। यह समय एक बार फिर धनु, मिथुन और तुला राशि वालों के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित होगा। शनि इस स्थिति में 17 जनवरी 2023 तक रहेंगे। हालांकि इस दौरान मीन, कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को शनि की बुरी नजर से राहत मिलेगी और उन्‍हें अच्‍छे फल होगी।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

अगली खबर पढ़ें

2022 में शनि किसी करेंगे मालामाल और किसे करेंगे बेहाल, जानिए अभी

Shani dev
shani dev
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 03:09 PM
bookmark

नववर्ष (New Year 2022)  आने में 25 दिन शेष बचे हैं, सभी लोग यह जानने के लिए उत्सुक हो गए हैं कि आने वाला साल 2022 उनके लिए कैसा रहेगा। वैदिक ज्योतिष (Astrology) में वार्षिक राशिफल (Annual Horoscope) गणना करके निकाली जाती है। साथ ही यह भी ज्ञात किया जा सकता है कि वर्ष 2022 में कौन कौन से ग्रह कब गोचर करेंगे और इन ग्रहों का राशियों (zodiac) के जातकों पर क्या प्रभाव पड़ेगा। नवग्रह में शनि (Shanidev) को सबसे प्रमुख ग्रह माना जाता है। माना जाता है कि शनि (Shanidev) पाप ग्रह है, लेकिन शनि (Shanidev) न्याय के देवता भी हैं। वर्ष 2022 में तो शनि दो बार अपनी स्थिति बदलेंगे। वे राशि परिवर्तन भी करेंगे और वक्री चाल भी चलेंगे। इनका बड़ा असर सभी राशियों पर होगा। इनमें से 8 राशियां ऐसी हैं, जिन पर पूरे साल शनि की नजर रहेगी।

शनि 29 अप्रैल 2022 को मकर राशि से निकलकर कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे। शनि 30 साल बाद इस राशि में प्रवेश करने जा रहे हैं, जो कि उनकी अपनी राशि है। शनि के कुंभ में प्रवेश करते ही कर्क और वृश्चिक वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो जायेगी। साथ ही मीन राशि वालों पर शनि की साढ़ेसाती शुरू हो जाएगी। शनि की साढ़ेसाती इन सभी राशियों को कई तरह से परेशान करेगी लेकिन कुंभ राशि के जातकों के लिए यह समय अच्‍छा रहेगा। शनि अपनी राशि कुंभ के जातकों पर मेहरबान रहेंगे और उनकी किस्‍मत चमका देंगे। इसके अलावा मिथुन और तुला राशि के जातकों की ढैय्या और धनु पर से शनि की साढ़ेसाती खत्‍म हो जाएगी। यह राहत उन्‍हें बहुत लाभ दिलाएगी।

2022 में शनि की स्थिति में दूसरा बदलाव 12 जुलाई 2022 को होगा। इस दिन शनि वक्री चाल चलते हुए पिछली राशि मकर में प्रवेश करेंगे। यह समय एक बार फिर धनु, मिथुन और तुला राशि वालों के लिए मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित होगा। शनि इस स्थिति में 17 जनवरी 2023 तक रहेंगे। हालांकि इस दौरान मीन, कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों को शनि की बुरी नजर से राहत मिलेगी और उन्‍हें अच्‍छे फल होगी।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

अगली खबर पढ़ें

धर्म-अध्यात्म : अजाना अनदेखा प्रारब्ध!

File 20171115 19836 uy2yzs
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 12:03 AM
bookmark

 विनय संकोची

प्रारब्ध संस्कृत का शब्द है-जिसका शाब्दिक अर्थ है-भाग्य, अदृष्ट। अदृष्ट का अर्थ है अप्रत्यक्ष, अजाना, अगोचर, अप्रकट, अनदेखा आदि। भाग्य सचमुच अनदेखा-अजाना ही तो होता है और मानव इस अनदेखे-अजाने पर सबसे ज्यादा भरोसा करते हैं। प्रत्यक्ष की तुलना में परोक्ष को चाहने का सबसे बड़ा उदाहरण प्रारब्ध है भाग्य है।

जन्म लेते ही मनुष्य के भाग्य का लेखा प्रकट होने लगता है। कहते हैं सब कुछ मनुष्य की जन्म कुंडली में लिखा रहता है और समयानुसार घटित होता रहता है। अधिकांश लोग संसार सागर में अपनी जीवन नैया को भाग्य के सहारे छोड़ देते हैं और दु:ख-सुख से दो-चार होते हैं। लेकिन यह भी देखने में आता है कि व्यक्ति विशेष की जन्म कुंडली में, जो लिखा रहता है, वह व्यक्ति उसके विरुद्ध आचरण करता है। किसी की जन्म कुंडली में दु:ख संताप लिखे होने पर भी वह सुख शांति से रहता है, कुंडली में घोषित उसके भाग्य की निर्धनता का न जाने कैसे लोप हो जाता है?

इस तरह के प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के मन में स्वाभाविक रूप से उठते रहते हैं और वह उनका उत्तर तलाशने का प्रयास करता है। यहां एक बात तो समझ आती है कि जन्म के समय प्रारब्ध केअनुसार जैसे ग्रह नक्षत्र होते हैं, वैसे लिख दिया जाता है। लेकिन व्यक्ति भविष्य में जैसा बनना चाहे वैसा बनने के लिए वह फिर भी स्वतंत्र रहता है। शायद यही स्वतंत्रता व्यक्ति को कुंडली में लिखे प्रारब्ध से उलट जीवन प्रदान करती है

मनुष्य कर्म करने के लिए स्वतंत्र है, आजाद है, इसीलिए वह जैसा चाहे वैसा बन सकता है और उसके मार्ग में भाग्य भी आड़े नहीं आता है। एक महापुरुष के अनुसार यदि जन्म कुंडली के अनुसार ही सब कार्य हो, तो गुरु, शास्त्र, सत्संग, शिक्षा आदि सब व्यर्थ हो जाएंगे। सही बात है, यदि सब कुछ जन्म कुंडली के हिसाब से घटित होना हो, तो किसी को भी, किसी भी प्रयास की आवश्यकता ही क्यों होगी? सब कुछ स्वतः घटित होगा। लेकिन ऐसा होता नहीं है। एक ही समय में एक ही ग्रह नक्षत्र की स्थिति में जुड़वा बच्चे पैदा होते हैं, लेकिन बड़े होने पर एक धनवान बन जाता है, दूसरा गरीबी में जीवन बिताता है। निश्चित रूप से दोनों के जीवन में भाग्य की अहम भूमिका होती है। लेकिन यह भी सच है कि दोनों के कर्म भी उनके जीवन की दिशा और दशा निर्धारित करते हैं।

केवल जन्म कुंडली के सहारे जीवन को दिशा देने की कोशिश करने वालों को यह बात समझनी होगी कि समस्त क्रियाएं जन्मकुंडली कहें या प्रारब्ध अथवा भाग्य के अनुसार हो ही नहीं सकती। मनुष्य एक दिन में इतनी क्रियायें करता है, जिनकी गणना वह स्वयं नहीं कर सकता है। एक दिन की क्रियाओं को संकलित कर एक पुस्तक का रूप दिया जा सकता है। समस्त क्रियाएं जन्मकुंडली में दर्ज़ नहीं होती हैं और न उनका फल कहीं लिखा होता है। यहीं से कर्म की भूमिका शुरू होती है। कुंडली में 'होने' का हिसाब लिखा होता है और कर्म में 'करने' का। कर्म का फल होता है और इसीलिए कर्म तथा उसका फल प्रारब्ध को प्रभावित करते हैं।

मैं जीवन में प्रारब्ध की भूमिका को नकार नहीं रहा, नकारना भी नहीं चाहिए। मैं केवल इतना कहना चाहता हूं कि कर्म के बल पर भाग्य में लिखा हुआ बदला जा सकता है, यह असंभव इसलिए नहीं है क्योंकि हम कर्म करने के लिए स्वतंत्र हैं और परमात्मा ने हमें उपकार करके बुद्धि और विवेक प्रदान किया है