कल है गोवर्धन पूजा, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Goverdhan puja 2021
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Nov 2021 10:38 AM
bookmark

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट (Govardhan Puja) का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व की खास रौनक मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव में देखने को मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था। इस पर्व पर गौ माता की पूजा का भी विशेष महत्व है। जानिए कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा।

गोवर्धन पूजा 2021 मुहूर्त/ Govardhan Puja Timing

गोवर्धन पूजा प्रातः काल मुहूर्त – 06:36 AM से 08:47 AM अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:22 PM से 05:33 PM अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 5 नवम्बर 2021 को 02:44 AM बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त – 5 नवम्बर 2021 को 11:14 PM बजे

पूजा विधि लोग अपने घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसे फूलों से सजाते हैं। गोवर्धन पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति भी मनाई जाती है। इसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है। इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है। गोवर्धन पूजा सुबह या फिर शाम के समय की जाती है। पूजन के समय गोवर्धन पर धूप, दीप, जल, फल, नैवेद्य चढ़ाएं जाते हैं। तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। इसके बाद गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनी जाती है और प्रसाद सभी में वितरित करना होता है। इस दिन गाय-बैल और खेती के काम में आने वाले पशुओं की पूजा होती है। पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है। परिक्रमा हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए की जाती है।

महत्व मान्यता है जो गोवर्धन पूजा करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है। गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित पर्व है। इस दिन कई मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानी भंडारे होते हैं। पूजन के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है। इस दिन आर्थिक संपन्नता के लिए गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करें। गाय को हरा चारा और मिठाई खिलाएं। फिर गाय की 7 बार परिक्रमा करें। इसके बाद गाय के खुर की पास की मिट्टी एक कांच की शीशी में लेकर उसे अपने पास रख लें। मान्यता है ऐसा करने से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी।

कैसे हुआ गोवर्धन पूजा की शुरुआत? हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब इंद्र ने अपना मान जताने के लिए ब्रज में तेज बारीश की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की मूसलाधार बारिश से रक्षा की थी। जब इंद्रदेव को इस बात का ज्ञात हुआ कि भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं तो उनका अहंकार टूट गया। इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी। गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी गोप-गोपियाँ, ग्वाल-बाल, पशु-पक्षी सुख पूर्वक और बारिश से बचकर रहे। कहा जाता है तभी से गोवर्धन पूजा मनाने की शुरुआत हुई।

अगली खबर पढ़ें

कल है गोवर्धन पूजा, जानिए पूजा विधि और शुभ मुहूर्त

Goverdhan puja 2021
locationभारत
userचेतना मंच
calendar04 Nov 2021 10:38 AM
bookmark

गोवर्धन पूजा या अन्नकूट (Govardhan Puja) का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को मनाया जाता है। इस पर्व की खास रौनक मथुरा, वृंदावन, गोकुल, बरसाना, नंदगांव में देखने को मिलती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण ने गोकुल वासियों को गोवर्धन पूजा के लिए प्रेरित किया था। इस पर्व पर गौ माता की पूजा का भी विशेष महत्व है। जानिए कैसे की जाती है गोवर्धन पूजा।

गोवर्धन पूजा 2021 मुहूर्त/ Govardhan Puja Timing

गोवर्धन पूजा प्रातः काल मुहूर्त – 06:36 AM से 08:47 AM अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट गोवर्धन पूजा सायंकाल मुहूर्त – 03:22 PM से 05:33 PM अवधि – 02 घण्टे 11 मिनट प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 5 नवम्बर 2021 को 02:44 AM बजे प्रतिपदा तिथि समाप्त – 5 नवम्बर 2021 को 11:14 PM बजे

पूजा विधि लोग अपने घर में गोबर से गोवर्धन पर्वत का चित्र बनाकर उसे फूलों से सजाते हैं। गोवर्धन पर्वत के पास ग्वाल-बाल और पेड़ पौधों की आकृति भी मनाई जाती है। इसके बीच में भगवान कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है। इसके बाद षोडशोपचार विधि से पूजन किया जाता है। गोवर्धन पूजा सुबह या फिर शाम के समय की जाती है। पूजन के समय गोवर्धन पर धूप, दीप, जल, फल, नैवेद्य चढ़ाएं जाते हैं। तरह-तरह के पकवानों का भोग लगाया जाता है। इसके बाद गोवर्धन पूजा की व्रत कथा सुनी जाती है और प्रसाद सभी में वितरित करना होता है। इस दिन गाय-बैल और खेती के काम में आने वाले पशुओं की पूजा होती है। पूजा के बाद गोवर्धन जी की सात परिक्रमाएं लगाते हुए उनकी जय बोली जाती है। परिक्रमा हाथ में लोटे से जल गिराते हुए और जौ बोते हुए की जाती है।

महत्व मान्यता है जो गोवर्धन पूजा करने से धन, संतान और गौ रस की वृद्धि होती है। गोवर्धन पूजा प्रकृति और भगवान श्री कृष्ण को समर्पित पर्व है। इस दिन कई मंदिरों में धार्मिक आयोजन और अन्नकूट यानी भंडारे होते हैं। पूजन के बाद लोगों में प्रसाद बांटा जाता है। इस दिन आर्थिक संपन्नता के लिए गाय को स्नान कराकर उसका तिलक करें। गाय को हरा चारा और मिठाई खिलाएं। फिर गाय की 7 बार परिक्रमा करें। इसके बाद गाय के खुर की पास की मिट्टी एक कांच की शीशी में लेकर उसे अपने पास रख लें। मान्यता है ऐसा करने से धन-धान्य की कभी कमी नहीं होगी।

कैसे हुआ गोवर्धन पूजा की शुरुआत? हिंदू धार्मिक मान्यताओं अनुसार जब इंद्र ने अपना मान जताने के लिए ब्रज में तेज बारीश की थी तब भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रज वासियों की मूसलाधार बारिश से रक्षा की थी। जब इंद्रदेव को इस बात का ज्ञात हुआ कि भगवान श्री कृष्ण भगवान विष्णु के अवतार हैं तो उनका अहंकार टूट गया। इंद्र ने भगवान श्री कृष्ण से क्षमा मांगी। गोवर्धन पर्वत के नीचे सभी गोप-गोपियाँ, ग्वाल-बाल, पशु-पक्षी सुख पूर्वक और बारिश से बचकर रहे। कहा जाता है तभी से गोवर्धन पूजा मनाने की शुरुआत हुई।

अगली खबर पढ़ें

Lakshmi Pujan Time : जानिए अपने शहर का लक्ष्मी पूजन का समय

Diwali sixteen nine e1699427233671
diwali upay for money
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 02:38 AM
bookmark

दिवाली 2021 लक्ष्मी पूजा विधि, मुहूर्त, समय दिवाली पूजन (Lakshmi Pujan Time)  शुभ मुहूर्त में करना विशेष रूप से फलदायी माना जाता है। कहते हैं जो व्यक्ति दिवाली वाले दिन विधि विधान महालक्ष्मी की पूजा करता है उसके जीवन में धन-धान्य की कभी कमी नहीं होती। लेकिन कोई भी पूजा पाठ अगर शुभ मुहूर्त में किया जाए तो उससे मिलने वाला फल दोगुना हो जाता है। यहां आप जानेंगे नई दिल्ली, नोएडा, पटना, अहमदाबाद समेत अन्य शहरों में दिवाली पूजन (Lakshmi Pujan Time) का कौन सा मुहूर्त रहेगा सबसे शुभ और क्या है लक्ष्मी पूजा की विधि।

लक्ष्मी पूजा मुहूर्त दिवाली का पर्व कार्तिक मास की अमावस्या के दिन मनाया जाता है। अमावस्या तिथि की शुरुआत 4 नवंबर को सुबह 06:03 बजे से हो रही है और इसकी समाप्ति 5 नवंबर को 02:44 AM पर होगी। लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06:09 बजे से शुरू होकर रात 08:04 बजे तक रहेगा। यानी इस मुहूर्त की कुल अवधि 01 घण्टा 56 मिनट की है।

चौघड़िया पूजा मुहूर्त प्रातः मुहूर्त (शुभ) – 06:35 AM से 07:58 AM प्रातः मुहूर्त (चर, लाभ, अमृत) – 10:42 AM से 02:49 PM अपराह्न मुहूर्त (शुभ) – 04:11 PM से 05:34 PM सायाह्न मुहूर्त (अमृत, चर) – 05:34 PM से 08:49 PM रात्रि मुहूर्त (लाभ) – 12:05 AM से 01:43 AM, 05 नवम्बर तक

विभिन्न शहरों में लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त:

नई दिल्ली 06:09 PM से 08:04 PM नोएडा 06:08 PM से 08:04 PM पुणे 06:39 PM से 08:32 PM जयपुर 06:17 PM से 08:14 PM चेन्नई 06:21 PM से 08:10 PM गुरुग्राम 06:10 PM से 08:05 PM हैदराबाद 06:22 PM से 08:14 PM चण्डीगढ़ 06:07 PM से 08:01 PM मुम्बई 06:42 PM से 08:35 PM कोलकाता 05:34 PM से 07:31 PM बेंगलूरु 06:32 PM से 08:21 PM अहमदाबाद 06:37 PM से 08:33 PM

पूजा सामग्री लकड़ी की चौकी, देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्तियां/चित्र, चौकी को ढकने के लिए लाल या पीला कपड़ा, कुमकुम, हल्दी, चंदन, रोली, अक्षत, साबुत नारियल अपनी भूसी के साथ, पान और सुपारी, अगरबत्ती, दीपक के लिए घी, पीतल का दीपक या मिट्टी का दीपक, कपास की बत्ती, पंचामृत, गंगाजल, कलश, पुष्प, फल, आम के पत्ते, जल, कपूर, कलाव, साबुत गेहूं के दाने, दूर्वा घास, धूप, जनेऊ, दक्षिणा (नोट और सिक्के), एक छोटी झाड़ू, आरती थाली।

पूजन सरल विधि – दिवाली वाले दिन भगवान गणेश, देवी लक्ष्मी, धन के देवता कुबेर, देवी सरस्वती की पूजा होती है। – दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजा से पहले घर को अच्छे से सजा लें। – घर के मुख्य द्वार पर रंगोली बनाएं। – तोरण द्वार में सजाएं और दरवाजे के दोनों तरफ शुभ-लाभ और स्वास्तिक का चिन्ह बनाएं। – शाम के समय शुभ मुहुर्त में दिवाली पूजन की तैयारी करें। – पूजा स्थल पर एक चौकी रखें और उसके ऊपर लाल कपड़ा बिछा लें। – चौकी पर गंगाजल का छिड़काव करें और उस पर देवी लक्ष्मी, भगवान गणेश, माता सरस्वती और कुबेर देवता की मूर्ति स्थापित करें। – चौकी के पास जल से भरा कलश भी रख दें। – फिर शुभ मुहूर्त में पूजा विधि विधान लक्ष्मी पूजन करें। – भगवान को फल और मिठाई अर्पित करें। – धूप दीप जलाकर भगवान गणेश और माता लक्ष्मी की आरती उतारें। – घर के सभी हिस्सों में सरसों के तेल का दीपक जलाएं। – एक बड़ा सरसों के तेल का दीपक और एक घी का दीपक पूजा स्थान पर जलाएं।

पूजा मंत्र

मां लक्ष्मी मंत्र- ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद, ऊं श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्मयै नम:॥ सौभाग्य प्राप्ति मंत्र- ऊं श्रीं ल्कीं महालक्ष्मी महालक्ष्मी एह्येहि सर्व सौभाग्यं देहि मे स्वाहा।। कुबेर मंत्र- ऊं यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं में देहि दा इसके बाद मां लक्ष्मी की आरती उतारे और क्षमा प्रार्थना अवश्य करें।