Karnataka Elections: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में मतदान के रंग,13 मई को आएंगे नतीजे 

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calendar25 Nov 2025 12:40 AM
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  Karnataka Elections: कर्नाटक विधानसभा चुनाव में अब मतदाताओं के फैसले की बारी है. 224 सीटों पर एक ही चरण में आज यानी बुधवार सुबह 7 बजे से वोटिंग शुरू हो गई है  और शाम 6 बजे तक चलेगी. 13 मई को नतीजे आएंगे. मतदान के लिए करीब 4 लाख मतदान कर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है. कुल 2615 उम्मीदवार मैदान में हैं. चुनाव में बीजेपी से मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई, कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष डीके शिवकुमार, पूर्व सीएम सिद्धारमैया और जेडीएस प्रमुख एचडी कुमारस्वामी जैसे दिग्गज उम्मीदवारों के नाम शामिल हैं.

13 मई को आएंगे नतीजे 

राज्य भर में 58,545 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. यहां कुल 5,31,33,054 मतदाता वोट डालेंगे. इनमें 2,67,28,053 पुरुष और 2,64,00,074 महिलाएं और 4,927 अन्य वोटर्स हैं. जबकि 2,430 पुरुष, 184 महिलाएं और एक थर्ड जेंडर उम्मीदवार है. कर्नाटक का भावी भविष्य यानी युवा वोटर्स की संख्या 11,71,558 है. जबकि 5,71,281 दिव्यांग व्यक्ति (पीडब्ल्यूडी) हैं. राज्य में 80 साल से ज्यादा उम्र के 12,15,920 मतदाता हैं. चुनाव आयोग ने इस बार 80 वर्ष से ज्यादा उम्र के वरिष्ठ नागरिकों और दिव्यांग वोटर्स को घर से वोटिंग करने की अनुमति दी है. इन्हें घरों में गुप्त रूप से वोटिंग करने के लिए मतपत्र दिए जाएंगे.

राज्य में 80 साल से ज्यादा उम्र के 12,15,920 मतदाता 

बता दें कि पूरे चुनाव प्रचार में बीजेपी, कांग्रेस और जद (एस) के बीच जबरदस्त आरोप-प्रत्यारोप देखने को मिले. तीनों पार्टियों के उम्मीदवारों ने चुनाव में जीत की संभावनाओं को बढ़ाने के लिए एक मजबूत पिच बनाई है. राज्य चुनाव आयोग ने युवा और शहरी मतदाताओं से बेलगावी जिले के रहने वाले 103 वर्षीय महादेव महालिंगा माली जैसे बुजुर्ग मतदाताओं से प्रेरणा लेने और 'लोकतंत्र के त्योहार' में सक्रिय रूप से हिस्सा लेने का आग्रह किया है. कर्नाटक के चुनावी मुद्दों पर कैसे हावी हो गए 'बजरंग बली' Karnataka Elections:  बीजेपी: मिथक तोड़ने में पूरी ताकत झोंकी । बीजेपी राज्य के चुनावी ट्रेंड को बदलना चाहती है. कर्नाटक में पिछले 38 साल से सत्ताधारी पार्टी की वापसी नहीं हुई है. राज्य ने 1985 के बाद से सत्तारूढ़ पार्टी को रिपीट होने का मौका नहीं दिया है. फिलहाल, बीजेपी अपने दक्षिण के प्रवेश द्वार को बरकरार रखना चाहती है. बीजेपी का कैंपेन काफी हद तक मुख्य रूप से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, डबल इंजन सरकार, राष्ट्रीय मुद्दों और केंद्र सरकार की उपलब्धियों और कार्यक्रमों के इर्द-गिर्द रहा. कांग्रेस: सत्ता हासिल करने के लिए लगाया पूरा जोर वहीं, कांग्रेस ने कर्नाटक के चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंकी है. कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने राज्य में चुनावी जनसभा की. यहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा भी चुनावी कमान संभाले देखे गए. कांग्रेस सत्ता हासिल करने की पूरी कोशिश कर रही है और 2024 के लोकसभा चुनाव में खुद को मुख्य विपक्षी खिलाड़ी के रूप में स्थापित करने के लिए जोर लगाया है. प्रचार में कांग्रेस ने आम तौर पर स्थानीय मुद्दों पर फोकस रखा. शुरुआत में राज्य के नेताओं ने प्रचार अभियान चलाया. हालांकि, बाद में केंद्रीय नेताओं AICC अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने मोर्चा संभाला और राज्य के लोगों को वादों की गारंटियां देकर अपने पक्ष में माहौल बनाने की कोशिश की.

 वोटिंग से एक दिन पहले हुबली के मंदिर में हनुमान चालीसा का पाठ करते दिखे सीएम बोम्मई.

जद (एस): 'किंगमेकर' बनेंगे या 'किंग' बनेंगे कुमारस्वामी इसके साथ ही जेडीएस भी खुद को गेमचेंकर साबित करने की कोशिश में है. माना जा रहा है कि क्या पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवेगौड़ा की अगुआई वाली जनता दल (सेक्युलर) एक 'किंगमेकर' के रूप में उभरेगी या फिर 'किंग' के रूप में कुर्सी संभालने का मौका मिलेगा, जिसके पास सरकार गठन का जादुई आंकड़ा होगा. जद (एस) ने भी स्थानीय कार्ड खेलकर कैंपेन चलाया. पूरे अभियान का नेतृत्व सिर्फ पार्टी अध्यक्ष एचडी कुमारस्वामी ने संभाला. हालांकि, पार्टी संरक्षक देवगौड़ा भी अपनी बढ़ती उम्र और बीमारियों के बावजूद चुनावी अभियान में शामिल हुए. Karnataka Elections:  इन सीटों से चुनावी मैदान में दिग्गज इस चुनाव में मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई (शिगांव), विपक्ष के नेता सिद्धारमैया (वरुणा), जद (एस) नेता एचडी कुमारस्वामी (चन्नापटना), राज्य कांग्रेस अध्यक्ष डीके शिवकुमार (कनकपुरा) से उम्मीदवार हैं. इसके अलावा, पूर्व सीएम जगदीश शेट्टार (हुबली-धारवाड़ मध्य) भी प्रत्याशी हैं. शेट्टार हाल ही में भाजपा छोड़कर कांग्रेस में शामिल हुए हैं. 'राजनैतिक दलों का जोर- पूर्ण बहुमत की सरकार बनाएं' फिलहाल, चुनाव में सभी राजनीतिक दलों ने राज्य की जनता से पूर्ण बहुमत की सरकार लाने की अपील की है. चूंकि, 2018 के चुनाव में बीजेपी 104 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी के रूप में उभरी थी, उसके बाद कांग्रेस 80, जेडी (एस) 37, और एक-एक निर्दलीय, बसपा और कर्नाटक प्रज्ञावंता जनता पार्टी (केपीजेपी) को सीट मिली थी. लेकिन, किसी भी पार्टी को स्पष्ट बहुमत नहीं मिल पाया था. इस बीच, कांग्रेस और जद (एस) ने गठबंधन सरकार बनाने की रणनीति तैयार करना शुरू की, तभी भाजपा के बीएस येदियुरप्पा ने सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा किया और सरकार बना ली. हालांकि, ट्रस्ट वोट में संख्या नहीं जुटा पाने की वजह से तीन दिन के भीतर इस्तीफा देना पड़ा था. 'पहले कांग्रेस गठबंधन, फिर बीजेपी सरकार' उसके बाद कांग्रेस-जद (एस) गठबंधन की सरकार बनी और मुख्यमंत्री के रूप में कुमारस्वामी ने जिम्मेदारी संभाली, लेकिन 14 महीने में गठबंधन सरकार भी गिर गई और निर्दलीय समेत 17 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया. सत्तारूढ़ विधायक गठबंधन से बाहर हो गए और भाजपा में शामिल हो गए. बाद में बीजेपी सत्ता में वापस आई और 2019 में हुए उपचुनावों में सत्तारूढ़ दल ने 15 में से 12 सीटों पर जीत हासिल की। वर्तमान विधानसभा में भाजपा के पास 116 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के 69, जद (एस) के 29, बसपा का एक, निर्दलीय दो, स्पीकर एक और छह खाली सीटें (चुनाव से पहले अन्य दलों में शामिल होने के लिए इस्तीफा और मृत्यु के बाद) हैं. '650 कंपनियां संभालेंगी सुरक्षा व्यवस्था' मतदान के दौरान कुल 75,603 बैलेट यूनिट (BU), 70,300 कंट्रोल यूनिट (CU) और 76,202 वोटर वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) का इस्तेमाल किया जाएगा. राज्य भर में सुरक्षा के व्यापक इंतजाम किए गए हैं और पड़ोसी राज्यों से भी सुरक्षाबल को बुलाया गया है. राज्यभर में पुलिस की 650 कंपनियां सुरक्षा और कानून व्यवस्था संभालेंगी. इनमें 84,119 पुलिस अधिकारी हैं. 58,500 CAPF (केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल) भी सुरक्षा ड्यूटी पर हैं. Karnataka Elections:  'आयोग ने वोटिंग के लिए क्यों चुना बुधवार?' बताते चलें कि कर्नाटक में 2018 के विधानसभा चुनावों में 72.36 प्रतिशत मतदान हुआ था. दिलचस्प बात यह है कि चुनाव आयोग ने इस बार मतदान के दिन को लेकर लीक से हटकर विचार किया है. यही वजह है कि वीकेंड की बजाय बुधवार को मतदान रखा गया है. इस बारे में 29 मार्च को चुनाव की तारीखों की घोषणा के वक्त खुद मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने जानकारी दी. उन्होंने कहा- अगर सोमवार के दिन वोटिंग होती तो शनिवार और रविवार की छुट्टी होती और अगर वोटिंग मंगलवार को होती तो एक दिन की छुट्टी लेकर लोग बाहर घूमने के लिए निकल सकते थे. बुधवार थोड़ा मुश्किल है. मतदान समाप्त होने के बाद बैलेट बॉक्स को स्ट्रांग रूम में भेज दिया जाएगा. वोटों की गिनती 13 मई को है.

Karnataka Election : पीएम मोदी, भाजपा अध्यक्ष नड्डा ने कर्नाटक के लोगों से की मतदान की अपील

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Karnataka Elections 2023: कर्नाटक में कौन है लिंगायत जिनकी चौखट पर पहुंचे मोदी ?

Lingayat
Karnataka Elections 2023
locationभारत
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calendar28 Nov 2025 02:15 PM
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  Karnataka Elections 2023 कर्नाटक चुनाव में प्रधानमंत्री मोदी ने लिंगायत समुदाय को बीजेपी के पाले में लाने का भरपूर प्रयास किया। चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि कांग्रेस ने लिंगायत समुदाय के लोगों को चोर कह कर पूरे समुदाय का अपमान किया है और लिंगायत समाज अपने वोट से कांग्रेस को जवाब देगा। इससे पहले कर्नाटक में कांग्रेस के नेता सिद्धारमैया ने टिप्पणी की थी कि लिंगायत मुख्यमंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं, हालांकि सिद्धारमैया ने बाद में यह सफाई दी थी कि उन्होंने लिंगायत समुदाय को भ्रष्ट नहीं कहा था वे केवल मुख्यमंत्री की बात कर रहे थे।

हार जीत की चाबी लिंगायत के पास

खैर मुद्दे की बात यह है कि कर्नाटक चुनाव में हार जीत की चाबी लंबे समय से लिंगायत समुदाय के पास ही रही है । इस समुदाय ने जिस पार्टी का समर्थन किया उसने सरकार बना ली। कर्नाटक चुनाव में कांग्रेस और बीजेपी दोनों के बीच लिंगायत समुदाय को अपने पक्ष में करने की होड़ लगी हुई थी । बीजेपी के पास लिंगायत समुदाय के बड़े चेहरे के रूप में B. S. Yediyurappa है । तो मतदान से कुछ दिन पहले लिंगायत समुदाय के एक बड़े हिस्से ने कांग्रेस को अपना समर्थन देने की बात कह कर मुकाबला दिलचस्प बना दिया है।

100 सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव

विधानसभा की लगभग 100 सीटों पर लिंगायत समुदाय का प्रभाव है जहां हार जीत का फैसला लिंगायत समुदाय ही करता है। ऐसे में पूरे चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस और बीजेपी दोनों की ही नजर लिंगायत समुदाय पर थी ।

कर्नाटक में लिंगायत का दबदबा

आखिर कर्नाटक में लिंगायत इतने महत्वपूर्ण क्यों है? कर्नाटक राज्य की आबादी लगभग 6 करोड है जिसमें 17 से 18% लिंगायत समुदाय से हैं। कर्नाटक में लिंगायत समुदाय लंबे समय से सत्ता के शीर्ष पर रहा है। कर्नाटक में बीजेपी के कद्दावर नेता येदियुरप्पा लिंगायत समुदाय से हैं। वर्तमान मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई भी इसी समुदाय से आते हैं। कहा जाता है कि इस समुदाय का साथ जिस भी दल को मिलता है उसके लिए सत्ता का रास्ता आसान हो जाता है। इनका वर्चस्व मुख्य रूप से कर्नाटक के उत्तरी हिस्से पर है जहां से बीजेपी को हमेशा से काफी लाभ मिलता रहा है। इस बार कांग्रेस ने भी लिंगायत समुदाय को अपने पाले में करने का पूरा प्रयास किया है । कांग्रेस और बीजेपी दोनों ने ही 50 से ज्यादा लिंगायत नेताओं को अपनी-अपनी पार्टी से टिकट दिए हैं ।

23 में से 10 मुख्यमंत्री लिंगायत समुदाय से

कर्नाटक में अभी तक 23 मुख्यमंत्री हुए हैं जिनमें से 10 लिंगायत समुदाय से हैं। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि इस समुदाय का सत्ता में कितना भारी दखल है। पिछले 20 वर्षों में बीजेपी का कर्नाटक में जो उत्थान हुआ है उसका एक बड़ा कारण बीजेपी के पास बी एस येदियुरप्पा के रूप में लिंगायत समुदाय का एक प्रभावशाली चेहरा होना है जिसका प्रभाव लिंगायत समाज पर है । भले ही येदियुरप्पा इस बार चुनाव नहीं लड़ रहे लेकिन पूरे चुनाव प्रचार में बीजेपी का बड़ा चेहरा बने हुए हैं । हालांकि इस बीच जगदीश शेट्टार और कुछ दूसरे लिंगायत नेता नाराजगी की वजह से बीजेपी छोड़कर कांग्रेस में चले गए हैं  जिससे इस बार का चुनाव और भी दिलचस्प बन गया है ।

इस बार किसको जिताएगा लिंगायत समुदाय?

जिस तरह से इस बार लिंगायत समुदाय का समर्थन कांग्रेस को भी मिल रहा है अगर लिंगायत समुदाय का वोट कांग्रेस और बीजेपी के बीच बटं गया तब क्या होगा!! या फिर उनका समर्थन किसी एक दल की तरफ झुक जाएगा ? यह कहना मुश्किल है लेकिन जिसको भी लिंगायत समुदाय का बहुमत मिलेगा उसकी जीत का रास्ता साफ हो जाएगा। लिंगायत समुदाय का इतिहास [caption id="attachment_87984" align="aligncenter" width="541"]basvanna basvanna[/caption]

12 वीं सदी में संत बसवन्ना ने शुरू किया समुदाय

12 वीं सदी में कर्नाटक में भक्ति परंपरा में एक नए आंदोलन का जन्म हुआ जिसकी नींव रखी संत बसवन्ना ने(1106- 68) जो जन्म से एक ब्राह्मण थे। बसवन्ना कालाचूरी राजा के दरबार में मंत्री थे। उनके अनुयाई वीरशैव (शिव के वीर) और लिंगायत (लिंग धारण करने वाले )कहलाए। आज भी लिंगायत समुदाय का इस क्षेत्र में विशेष महत्व है। यह समुदाय शिव की आराधना लिंग के रूप में करता है। इस समुदाय के पुरुष वाम स्कंध पर चांदी के 1 पिटारे में एक लघु लिंग को धारण करते हैं जिसे श्रद्धा की दृष्टि से देखा जाता है। लिंगायतो का विश्वास है की मृत्यु के उपरांत भक्त शिव में लीन हो जाएंगे और इस संसार में पुनः नहीं लौटेंगे। लिंगायत धर्मशास्त्र में बताए गए श्राद्ध संस्कार का पालन नहीं करते । लिंगायतो ने जाति की अवधारणा और कुछ समुदायों के दूषित होने की ब्राह्मणीय अवधारणा का विरोध किया । पुनर्जन्म के सिद्धांत पर भी उन्होंने प्रश्नवाचक चिन्ह लगाया। इन सब कारणों से सामाजिक व्यवस्था के कई समुदाय लिंगायतों के अनुयाई हो गए ।धर्म शास्त्रों में जिन व्यवहारों को अस्वीकार किया गया था जैसे वयस्क विवाह और विधवा पुनर्विवाह, लिंगायत ने उन्हें मान्यता प्रदान की।वीर शैव परंपरा की व्युतपति उन वचनों से है जो कन्नड़ भाषा में उन स्त्री पुरुषों द्वारा रचे गए जो इस आंदोलन में शामिल हुए।

Karnataka Election : कर्नाटक के हर नागरिक का सपना मेरा सपना है : मोदी

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Football Player Lionel Messi : मेसी ने जीता लॉरियस स्पोर्ट्समैन ऑफ द ईयर अवार्ड

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Football Player Lionel Messi: Messi won the Laureus Sportsman of the Year Award
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calendar02 Dec 2025 04:34 AM
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Football Player Lionel Messi : अर्जेंटीना फुटबॉल टीम के स्टार और दिग्गज फुटबॉल खिलाड़ी लियोनल मेसी को लॉरियस स्पोर्ट्स मैन ऑफ द ईयर अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। पेरिस में आयोजित समारोह में यह पुरस्कार उन्हें दिया गया। वहीं अर्जेंटीना टीम को लॉरियस वर्ल्ड टीम ऑफ द ईयर घोषित किया गया। इसके साथ ही मेसी पहले खिलाड़ी हो गए हैं, जिन्हें स्पोर्ट्स मैन ऑफ द ईयर और टीम ऑफ द ईयर दोनों एक ही साथ मिले हैं।

Football Player Lionel Messi :

  विश्व कप फाइनल के प्रदर्शन पर मिला अवार्ड मेसी और अर्जेंटीना को यह सम्मान पिछले साल की आखिरी में आयोजित फीफा वर्ल्ड कप जीतने के लिए दिया गया। कतर में आयोजित इस टूर्नामेंट के फाइनल में मेसी ने फाइनल में अपनी टीम के लिए दो अहम गोल किए थे। विजेता का फैसला पेनल्टीज से हुआ था। निर्धारित समय में दोनों टीमें 3-3 से बराबरी पर थीं। बाद में पेनल्टीज में अर्जेंटीना ने फ्रांस को हरा दिया। मेसी का करियर का यह पहला वर्ल्ड कप खिताब है। मेसी को दूसरी बार मिला अवार्ड मेसी को दूसरी बार लॉरियस स्पोर्ट्स मैन ऑफ द ईयर का अवॉर्ड दिया गया है। इससे पहले साल 2020 में उन्हें फॉर्मूला वन ड्राइवर लुईस हैमिल्टन के साथ यह अवॉर्ड दिया गया था। 71 सदस्य चुनते हैं विनर लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स के लिए सबसे पहले वर्ल्ड मीडिया के ओर से खिलाड़ियों और टीमों के प्रदर्शन के प्रदर्शन के आधार पर उनको नॉमिनेट किया जाता है। उसके बाद लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स एकादमी के 71 सदस्य बहुमत के आधार पर विभिन्न अवॉर्ड के लिए खिलाड़ियों और टीमों का चयन करते हैं। लॉरियस वर्ल्ड स्पोर्ट्स अवार्ड्स की स्थापना साल 2000 में की गई थी। उसके बाद से हर साल इन पुरस्कारों को दिया जाता है।

Tamil Nadu: PFI साजिश मामला: तमिलनाडु में छह स्थानों पर छापेमारी