रंक को भी राजा बनाती है केले की पेड़ की जड़, हर कामना होगी पूरी

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calendar25 Nov 2021 05:53 AM
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 हिंदू धर्म में हर एक चीज का महत्व है। इसी महत्व में पेड़-पोधों का नाम भी आता है। माना जाता है कि इनकी रक्षा करना हमरा धर्म और कर्तव्य है। इनको घर में लगाने से सुख-शांति, वास्तु शास्त्र के अनुसार नकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश न कर पाना आदि। अगर आपके घर में पेड पौधे है तो आपके घर कभी भी दुख रुख नहीं करेगा। बृहस्पति देव (Jupiter) की पूजा में मुख्य रुप से केला के पेड की पूजा भी की जाती है। इनकी पूजा करना शुभ माना जाता है।

धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक केले के पेड़ में साक्षात देवगुरु बृहस्पति (Jupiter) का वास होता है और गुरुवार का दिन भगवान बृहस्पति यानी कि भगवान विष्णु का दिन होता है। ऐसे में अगर आप गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करते हैं तो आप पर भगवान बृहस्पति की आप पर कृपा होगी। इसके अलावा गुरुवार को केले के पेड़ (banana tree) की पूजा करने से बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है और ऐसे लोगों की शादी में रुकावटें नहीं आतीं।

आपको क्या करना है

गुरुवार के दिन ​गुरु पुष्य नक्षत्र में केले के पेड़ की जड़ को अपने घर लाएं। जिस वक्त आप पेड़ की जड़ काट रहे हो, उससे पहले आप गुरु बृहस्पति का ध्यान करें, उन्हें प्रणाम करें और अपने साथ चलने के लिए आमंत्रित करें। केले के पेड़ की जड़ घर पर लाकर विधि विधान से पूजा करें और फिर पीले कपड़े में बांध कर अपने गले में धारण करें।

इतना ही नहीं सभी मनोकामनाएं भी पूरी होती हैं। गुरुवार को केले के पेड़ की पूजा करने वाले व्यक्त‍ि के परिवार की आर्थिक स्थिति भी मजबूत होती है और परिवार में खुशियां भी आती हैं।

गुरुवार के दिन व्रत रखें, जिसमें पीले वस्त्र पहने और बिना नमक का पीला भोजन का संकल्प लें। गुरु बृहस्पति की प्रतिमा या तस्वीर पीले वस्त्र पर विराजित कर पंचोपचार पूजा केसरिया चंदन, पीले अक्षत, पीले फूल व भोग में पीले पकवान या फल अर्पित करें।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

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इन राशि वालों पर बरसेगी शुक्र की कृपा, बढ़ सकती है सेलरी

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calendar02 Dec 2025 03:25 AM
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ज्योतिष (Astrology) में शुक्र (Venus) को बृहस्पति (Jupiter)  के बाद सबसे शुभ ग्रह माना जाता है। शुक्र के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को सारी सुख सुविधाएं प्राप्त होती हैं। इस ग्रह का राशि परिवर्तन काफी अहम माना जाता है। शुक्र 8 दिसंबर 2021 को अपनी राशि बदल रहे हैं। इस दौरान ये शनि की राशि मकर में प्रवेश करेंगे और 30 दिसंबर 2021 तक यहां विराजमान रहेंगे। जानिए शुक्र ग्रह का गोचर किन राशि वालों के लिए सबसे ज्यादा शुभ रहेगा।

मेष राशि इस राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर अच्छे परिणाम देने वाला साबित होगा। आपको इस दौरान लाभ प्राप्त करने के कई अवसर प्राप्त होंगे। जो लोग लंबे समय से नया व्यापार शुरू करने की योजना बना रहे हैं वो इस अवधि में अपना सपना पूरा कर सकते हैं। सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी। परिवार वालों के साथ संबंध और भी मजबूत होने के आसार हैं। स्वास्थ्य अच्छा रहेगा। प्रॉपर्टी से अच्छा मुनाफा मिलेगा।

वृषभ राशि इस राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर लाभप्रद साबित होगा। कोई अच्छी खबर सुनने को मिल सकती है। धन संबंधी दिक्कतें दूर होंगी। नई नौकरी मिलने के आसार हैं। यात्रा से धन लाभ होगा। इस अवधि में आप अपने हर काम को पूरी मेहनत के साथ पूरा करने की कोशिश करेंगे। व्यापारियों के लिए भी ये अवधि विशेष रूप से फलदायी साबित होगी।

मिथुन राशि इस राशि वालों के लिए शुक्र का गोचर शुभ साबित होगा। आय में वृद्धि मिल सकती है। जो लोग नौकरी की तलाश में हैं उन्हें अच्छी नौकरी मिलने की संभावना है। काम के चलते कई यात्राओं पर जाना पड़ सकता है। जिससे लाभ प्राप्त होने के आसार रहेंगे। भौतिक सुख सुविधाओं में बढ़ोतरी होगी।

कन्या राशि इस राशि वालों के लिए गोचर लाभप्रद साबित होगा। आपको धन लाभ होने के प्रबल आसार रहेंगे। नौकरी में पदोन्नति होने की उम्मीद है। खर्च बढ़ेंगे लेकिन आय अच्छी रहने की वजह से आपको परेशानी नहीं होगी। आपके अंदर आत्मविश्वास की कोई कमी नहीं रहेगी।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

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इन्हें सबक सिखाने के लिए भारत, चीन और अमेरिका ने खोले इमरजेंसी ऑयल रिजर्व

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calendar24 Nov 2021 07:05 PM
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पेट्रोल, डीजल, एलपीजी (रसोई गैस) की लगातार बढ़ रही कीमतों के बीच सरकार ने भारत के इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व में से 50 लाख बैरल कच्चा तेल निकालने का फैसला किया है। सबको पता है कि भारत में 50 लाख बैरल तेल की खपत एक दिन में ही हो जाती है। सरकार के इस कदम से आखिर होगा क्या? क्या यह भी आगामी चुनावों के दबाव में लिया गया फैसला है?

इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व का मतलब सरकार ने यह फैसला क्यों लिया? इसका जवाब जानने से पहले यह जानना जरूरी है कि आखिर, इमरजेंसी पेट्रोलियन रिजर्व क्या होता है? और इतनी महंगाई बढ़ने के बावजूद सरकार इसे रिलीज क्यों नहीं कर रही थी?

अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने 1998 में भारत में स्ट्रैटजिक (इमरजेंसी) पेट्रोलियम रिजर्व बनाने का फैसला किया था। इसके तहत युद्ध, प्राकृतिक आपदा या अन्य किसी भी आपात स्थिति से निपटने के लिए सरकार ने 3.8 करोड़ बैरल कच्चा तेल रिजर्व करके रखा हुआ है।

अगर किसी कारण से देश में कच्चे तेल का आयात बंद हो जाता है तो रिजर्व में रखे इस तेल का इस्तेमाल किया जा सकता है। सामान्य हालातों में इसे बाजार में नहीं लाया जा सकता।

भारत सहित पांच अन्य देशों ने भी खोले इमरजेंसी रिजर्व तो क्या भारत में कच्चे तेल का आयात बंद हो गया है? या कोई आपात स्थिति आने वाली है? दरअसल, अपने इमरजेंसी रिजर्व से तेल निकालने का फैसला भारत ने अकेले नहीं किया है। भारत के अलावा अमेरिका, चीन, जापान, यूके और दक्षिण कोरिया ने सामूहिक तौर पर अपने अपने रिजर्व में से तेल निकालने का फैसला किया है।

ये छह देश दुनिया के सबसे बड़े तेल आयातक देश हैं जो अपनी जरूरतों के लिए, ऑर्गेनाइजेशन ऑफ पेट्रोलियम एक्सपोर्टिंग कंट्रीज प्लस (OPEC+) पर निर्भर हैं। ओपेक और ओपेक प्लस ऐसे देशों का समूह है जो कच्चे तेल के सबसे बड़े उत्पादक और निर्यातक हैं।

एकजुटता के पीछे छुपा है एक गंभीर संदेश ओपेक और ओपेक प्लस देशों ने कच्चे तेल के दाम बढ़ा रखे हैं जिसके चलते भारत, अमेरिका, चीन और यूके जैसे देश महंगाई की मार झेल रहे हैं और इन देशों में मुद्रास्फीति लगातार बढ़ रही है। कच्चे तेल की कीमतों को कम किए बिना महंगाई पर लगाम संभव नहीं है।

इन देशों ने ओपेक और ओपेक प्लस पर तेल की कीमतों को कम करने और तेल का उत्पादन बढ़ाने का दबाव बनाने के लिए इमरजेंसी रिजर्व को खोलने का फैसला किया है। इस कदम का मकसद यह संदेश देना है कि तेल आयातक देश एकजुट हैं और अगर उनकी मांग पर विचार नहीं किया गया तो नतीजे गंभीर हो सकते हैं।

आगामी दो दिसंबर को ओपेक देशों की बैठक होने वाली है जिसमें कच्चे तेल की सप्लाई और उसका उत्पादन बढ़ाने पर फैसला होना है। इस बैठक से पहले दबाव बनाने के लिए भारत सहित छह देशों ने इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व को खोलने का रणनीतिक फैसला किया है।

भारत ढाई महीने तक बिना आयात के कर सकता है गुजारा भारत सरकार के पास करीब 3.8 करोड़ बैरल तेल का इमरजेंसी पेट्रोलियम रिजर्व है। भारत की रोजाना पेट्रोलियम खपत लगभग 50 लाख बैरल है। इस हिसाब से सरकार के कुल रिजर्व को बाजार में लाने पर सात से आठ दिन के पेट्रोलियम की मांग ही पूरी का जा सकती है।

सरकार के अलावा पेट्रोलियम रिफाइनरियों के पास लगभग 64 दिनों के पेट्रोलियम का भंडारण है। अगर इन सब को मिला दिया जाए तो वर्तमान में भारत के पास 70 से 72 दिन का पेट्रोलियम रिजर्व है। यानी, पेट्रोलियम का आयात पूरी तरह से बंद होने पर भी देश में लगभग ढाई महीने तक पेट्रोलियम की कमी नहीं होगी।

भारत बना रहा तीन नए इमरजेंसी आयल रिजर्व अमेरिका और चीन के बाद भारत तीसरा सबसे बड़ा पेट्रोलियम आयातक देश है। भारत अपनी जरूरत का 84% हिस्सा आयात करता है जबकि, 16% का उत्पादन करता है। पेट्रोलियम आयात का 53% हिस्सा मध्य एशियाई देशों से आता है और ये सारे देश ओपेक या ओपेक प्लस के सदस्य हैं।

भारत ने आपात स्थिति से निपटने के लिए अपने इमरजेंसी ऑयल रिजर्व को बढ़ाने पर तेजी से काम शुरू कर दिया है। सरकार ने तीन नए पेट्रोलियम रिजर्व बना रही है। इसमें से एक ओडिशा के चांदीखोले, दूसरा राजस्थान के बीकानेर और तीसरा गुजरात के राजकोट में बन रहा है। इनके बनने से भारत का इमरजेंसी आयल रिजर्व कई गुना बढ़ने की उम्मीद है।

पहली बार हुआ ऐसा ऐसा पहली बार हो रहा है कि दुनिया के छह सबसे बड़े तेल आयातक देशों ने एकजुटता दिखाते हुए तेल का निर्यात करने वाले देशों पर दबाव बनाने का फैसला लिया है। हालांकि, यह कहना मुश्किल है कि ऑयल रिजर्व से तेल निकालने के फैसले का दो दिसंबर को होने जा रही ओपेक देशों की मीटिंग पर क्या असर पड़ेगा। लेकिन, इन देशों की एकजुटता ने तेल निर्यातक देशों को यह स्पष्ट संकेत दे दिया है कि आपसी मतभेद के बावजूद तेल की कीमतों को कम करने के लिए वे एकजुट हैं और किसी भी हद तक जाने से परहेज नहीं करेंगे।

- संजीव श्रीवास्तव