आडवाणी को भारत रत्न देने के फैसले से देश भर में खुशी, गडकरी ने PM मोदी को कहा थैंक्यू

Bharat Ratna Lal Krishna Advani
गडकरी ने कहा मोदी को थैंक्यू
भाजपा के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया केन्द्रीय मंत्री तथा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की आई है। नितिन गडकरी ने अपनी प्रतिक्रया में कहा है कि भारत के वरिष्ठतम नेता हमारे मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न देने की घोषणा अत्यंत सुखद तथा आनंददाई घोषणा है। उन्होंने कहा कि इस घोषणा के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा के लिए थैंक्यू मोदी जी।तीन बार बने BJP के अध्यक्ष
आपको बता दें कि वर्ष-1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था। भारतीय जनता पार्टी का गठन करने में सबसे अहम जिम्मेदारी निभाने का काम लालकृष्ण आडवाणी ने ही किया था। BJP के गठन के बाद से लालकृष्ण आडवाणी सबसे ज्यादा समय तक BJP के अध्यक्ष पद आसीन रहने वाले नेता भी हैं। पहली बार लालकृष्ण आडवाणी वर्ष-1986 में BJP के अध्यक्ष बने थे। वर्ष-1986 से 1990 तक वे अपनी पार्टी के अध्यक्ष रहे। उसके तीन साल बाद वर्ष-1993 में फिर से भाजपा के अध्यक्ष बने और वर्ष-1998 तक इस पद पर रहे। लालकृष्ण आडवाणी वर्ष-2004 में तीसरी बार भाजपा के अध्यक्ष बनकर 2005 तक अध्यक्ष पद पर तैनात रहे। लालकृष्ण आडवाणी लगातार 30 सालों तक यानि कि 3 दशक तक सांसद रहने के साथ ही साथ भारत के गृहमंत्री और भारत के उप प्रधानमंत्री भी रहे।पाकिस्तान में पैदा हुए थे लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को उस समय के संयुक्त भारत के सिंध प्रांत में हुआ था। सिंध अब पाकिस्तान का हिस्सा है। लालकृष्ण आडवाणी करांची के सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़े थे। स्कूल में पढ़ते-पढ़ते ही बाल अवस्था में लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्रीय स्वयं संघ (RSS) के साथ जुड़ गए थे। वर्ष-1947 में जब वे मातृ 20 वर्ष के थे तब दुर्भाग्यवश पूर्ण भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया। इस बंटवारे के कारण लालकृष्ण आडवाणी के पूरे परिवार को पाकिस्तान छोडक़र भारत आना पड़ा। भारत आकर सबसे पहले वे राजस्थान में RSS के प्रचारक बने। वर्ष-1957 में आडवाणी जी को राजस्थान से दिल्ली बुला लिया गया। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर में एक सेवक के रूप में लालकृष्ण आडवाणी ने तीन साल तक काम किया। इसी दौरान लालकृष्ण आडवाणी पत्रकार बन गए। वर्ष-1960 तक लालकृष्ण आडवाणी ने प्रसिद्ध समाचार पत्र आर्गेनाइजर में सहायक संपादक के तौर पर काम किया और बाद में भारत के सबसे प्रभावशाली नेता बनते चले गए। कहा जाता है कि लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई राम रथ यात्रा से ही अयोध्या में राम मंदिर के आंदोलन की सफलता की कहानी पूरी होती है। Bharat Ratna Lal Krishna AdvaniLal Krishna Advani : 44 साल तक पार्टी की सेवा के बाद, 95 की उम्र में मिला भारत रत्न
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भाजपा के संस्थापक लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न दिए जाने की घोषणा के बाद सबसे पहली प्रतिक्रिया केन्द्रीय मंत्री तथा भाजपा के पूर्व अध्यक्ष नितिन गडकरी की आई है। नितिन गडकरी ने अपनी प्रतिक्रया में कहा है कि भारत के वरिष्ठतम नेता हमारे मार्गदर्शक लालकृष्ण आडवाणी जी को भारत रत्न देने की घोषणा अत्यंत सुखद तथा आनंददाई घोषणा है। उन्होंने कहा कि इस घोषणा के लिए मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी का हार्दिक आभार व्यक्त करता हूं। उन्होंने कहा कि लालकृष्ण आडवाणी को भारत रत्न देने की घोषणा के लिए थैंक्यू मोदी जी।तीन बार बने BJP के अध्यक्ष
आपको बता दें कि वर्ष-1980 में भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ था। भारतीय जनता पार्टी का गठन करने में सबसे अहम जिम्मेदारी निभाने का काम लालकृष्ण आडवाणी ने ही किया था। BJP के गठन के बाद से लालकृष्ण आडवाणी सबसे ज्यादा समय तक BJP के अध्यक्ष पद आसीन रहने वाले नेता भी हैं। पहली बार लालकृष्ण आडवाणी वर्ष-1986 में BJP के अध्यक्ष बने थे। वर्ष-1986 से 1990 तक वे अपनी पार्टी के अध्यक्ष रहे। उसके तीन साल बाद वर्ष-1993 में फिर से भाजपा के अध्यक्ष बने और वर्ष-1998 तक इस पद पर रहे। लालकृष्ण आडवाणी वर्ष-2004 में तीसरी बार भाजपा के अध्यक्ष बनकर 2005 तक अध्यक्ष पद पर तैनात रहे। लालकृष्ण आडवाणी लगातार 30 सालों तक यानि कि 3 दशक तक सांसद रहने के साथ ही साथ भारत के गृहमंत्री और भारत के उप प्रधानमंत्री भी रहे।पाकिस्तान में पैदा हुए थे लालकृष्ण आडवाणी
लालकृष्ण आडवाणी का जन्म 8 नवंबर 1927 को उस समय के संयुक्त भारत के सिंध प्रांत में हुआ था। सिंध अब पाकिस्तान का हिस्सा है। लालकृष्ण आडवाणी करांची के सेंट पैट्रिक स्कूल में पढ़े थे। स्कूल में पढ़ते-पढ़ते ही बाल अवस्था में लालकृष्ण आडवाणी राष्ट्रीय स्वयं संघ (RSS) के साथ जुड़ गए थे। वर्ष-1947 में जब वे मातृ 20 वर्ष के थे तब दुर्भाग्यवश पूर्ण भारत और पाकिस्तान का बंटवारा हो गया। इस बंटवारे के कारण लालकृष्ण आडवाणी के पूरे परिवार को पाकिस्तान छोडक़र भारत आना पड़ा। भारत आकर सबसे पहले वे राजस्थान में RSS के प्रचारक बने। वर्ष-1957 में आडवाणी जी को राजस्थान से दिल्ली बुला लिया गया। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी के दफ्तर में एक सेवक के रूप में लालकृष्ण आडवाणी ने तीन साल तक काम किया। इसी दौरान लालकृष्ण आडवाणी पत्रकार बन गए। वर्ष-1960 तक लालकृष्ण आडवाणी ने प्रसिद्ध समाचार पत्र आर्गेनाइजर में सहायक संपादक के तौर पर काम किया और बाद में भारत के सबसे प्रभावशाली नेता बनते चले गए। कहा जाता है कि लालकृष्ण आडवाणी द्वारा निकाली गई राम रथ यात्रा से ही अयोध्या में राम मंदिर के आंदोलन की सफलता की कहानी पूरी होती है। Bharat Ratna Lal Krishna AdvaniLal Krishna Advani : 44 साल तक पार्टी की सेवा के बाद, 95 की उम्र में मिला भारत रत्न
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