हाईकोर्ट का फैसला- उत्तर प्रदेश में बिना ओबीसी आरक्षण के कराना होगा निकाय चुनाव ,बिहार में भी बिना ट्रिपल टेस्ट के कोर्ट ने रोका था चुनाव

बिहार में भी बिना ट्रिपल टेस्ट के निकाय चुनाव में आरक्षण पर लग चुकी है रोक -
आपको बता दें कि इससे पहले बिहार में भी हाई कोर्ट ने बिना ट्रिपल टेस्ट के निकाय चुनाव में ओबीसी- ईबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। बिहार में निकाय चुनाव 10 अक्टूबर से होने वाले थे लेकिन हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के मसले पर निकाय चुनावों पर रोक लगा दी थी ।कोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार ने आनन-फानन में आरक्षण के लिए आयोग और कमेटी का गठन किया और कोर्ट को यह जानकारी दी कि उसने आरक्षण के लिए कमेटी का गठन कर लिया है। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने दिसंबर में नई तारीखों का ऐलान कर दिया । इस प्रकार राज्य सरकार ओबीसी-ईबीसी आरक्षण के साथ ही राज्य में निकाय चुनाव करवा रही है। हालांकि इस मामले की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। राज्य में इस तरह आनन-फानन तरीके से अतिपिछड़ा आयोग के गठन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं जिसने अपने गठन के 2 महीने के भीतर ही सरकार को रिपोर्ट भी सौंप दी थी । हाई कोर्ट (High Court)के निर्देश के तहत सरकार को सभी नगर निकाय इलाकों में जाकर विस्तृत डेटा एकत्र कर रिपोर्ट बनानी थी। अब आनन-फानन में तैयार इस रिपोर्ट पर ही सवाल उठ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में इस आयोग की योग्यता पर ही मामला चल रहा है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिर से स्थिति बदल सकती है।क्या है ट्रिपल टेस्ट
ट्रिपल टेस्ट में तीन चरणों में आरक्षण के मूल्यांकन की प्रक्रिया होती है। पहले चरण में आयोग का गठन करना होता है ।दूसरे चरण में पिछड़ेपन का विस्तृत का डाटा एकत्र करना होता है फिर आंकड़ों के आधार पर आरक्षण का प्रतिशत तय होता है इसके बाद तीसरा चरण अपनाया जाता है जिसमें यह देखना होता है कि आरक्षण निर्धारित 50% आरक्षण की सीमा से आगे ना जाए। इस पूरी प्रक्रिया में लंबा समय लगता है। कुछ ऐसी ही स्थिति अभी उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव चुनाव को लेकर भी बन गई है जहां हाई कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट नहीं होने की स्थिति में ओबीसी आरक्षण लागू किए बिना ही निकाय चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं। अब देखना होगा की उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले पर अगला कदम क्या लेती है हाईकोर्ट (High Court) के इस फैसले के बाद सरकार चाहे तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है ।पर देखने वाली बात यही है कि निकाय चुनावों में जमीन पर पिछड़ी जातियों की सही स्थिति देखे बिना ही सरकारें निकाय चुनावों में आरक्षण लागू करने की हड़बड़ी में दिखाई दे रही है।Election : यूपी निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, OBC आरक्षण रद्द, तत्काल चुनाव कराने के निर्देश
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बिहार में भी बिना ट्रिपल टेस्ट के निकाय चुनाव में आरक्षण पर लग चुकी है रोक -
आपको बता दें कि इससे पहले बिहार में भी हाई कोर्ट ने बिना ट्रिपल टेस्ट के निकाय चुनाव में ओबीसी- ईबीसी आरक्षण पर रोक लगा दी थी। बिहार में निकाय चुनाव 10 अक्टूबर से होने वाले थे लेकिन हाईकोर्ट ने ओबीसी आरक्षण के मसले पर निकाय चुनावों पर रोक लगा दी थी ।कोर्ट के फैसले के बाद बिहार सरकार ने आनन-फानन में आरक्षण के लिए आयोग और कमेटी का गठन किया और कोर्ट को यह जानकारी दी कि उसने आरक्षण के लिए कमेटी का गठन कर लिया है। इसके बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने दिसंबर में नई तारीखों का ऐलान कर दिया । इस प्रकार राज्य सरकार ओबीसी-ईबीसी आरक्षण के साथ ही राज्य में निकाय चुनाव करवा रही है। हालांकि इस मामले की सुनवाई अभी भी सुप्रीम कोर्ट में चल रही है। राज्य में इस तरह आनन-फानन तरीके से अतिपिछड़ा आयोग के गठन पर भी सवाल उठाए जा रहे हैं जिसने अपने गठन के 2 महीने के भीतर ही सरकार को रिपोर्ट भी सौंप दी थी । हाई कोर्ट (High Court)के निर्देश के तहत सरकार को सभी नगर निकाय इलाकों में जाकर विस्तृत डेटा एकत्र कर रिपोर्ट बनानी थी। अब आनन-फानन में तैयार इस रिपोर्ट पर ही सवाल उठ रहे हैं और सुप्रीम कोर्ट में इस आयोग की योग्यता पर ही मामला चल रहा है। ऐसे में जानकारों का मानना है कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद फिर से स्थिति बदल सकती है।क्या है ट्रिपल टेस्ट
ट्रिपल टेस्ट में तीन चरणों में आरक्षण के मूल्यांकन की प्रक्रिया होती है। पहले चरण में आयोग का गठन करना होता है ।दूसरे चरण में पिछड़ेपन का विस्तृत का डाटा एकत्र करना होता है फिर आंकड़ों के आधार पर आरक्षण का प्रतिशत तय होता है इसके बाद तीसरा चरण अपनाया जाता है जिसमें यह देखना होता है कि आरक्षण निर्धारित 50% आरक्षण की सीमा से आगे ना जाए। इस पूरी प्रक्रिया में लंबा समय लगता है। कुछ ऐसी ही स्थिति अभी उत्तर प्रदेश निकाय चुनाव चुनाव को लेकर भी बन गई है जहां हाई कोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट नहीं होने की स्थिति में ओबीसी आरक्षण लागू किए बिना ही निकाय चुनाव करवाने के आदेश दिए हैं। अब देखना होगा की उत्तर प्रदेश सरकार इस मामले पर अगला कदम क्या लेती है हाईकोर्ट (High Court) के इस फैसले के बाद सरकार चाहे तो सुप्रीम कोर्ट भी जा सकती है ।पर देखने वाली बात यही है कि निकाय चुनावों में जमीन पर पिछड़ी जातियों की सही स्थिति देखे बिना ही सरकारें निकाय चुनावों में आरक्षण लागू करने की हड़बड़ी में दिखाई दे रही है।Election : यूपी निकाय चुनाव पर हाई कोर्ट का बड़ा फैसला, OBC आरक्षण रद्द, तत्काल चुनाव कराने के निर्देश
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