पलक झपकते ही 50% रिटर्न, LG इंडिया IPO ने तोड़े सारे रिकॉर्ड!




लोकप्रिय लेखक और फिल्मकार जावेद अख्तर ने अफगान तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के उत्तर प्रदेश के देवबंद में भव्य स्वागत पर गहरी चिंता और आलोचना जताई है। अख्तर ने कहा, “मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।” उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में लिखा कि ऐसे आतंकवादियों को सम्मानित करना केवल शर्मनाक ही नहीं, बल्कि समाज की बदलती प्राथमिकताओं का भी चिंताजनक संकेत है। Javed Akhtar
अख्तर ने इस स्वागत के लिए दारुल उलूम देवबंद को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि यह प्रतिष्ठित शिक्षा संस्था, जो हमेशा आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ खड़ी रही है, अब उसी “इस्लामी हीरो” का भव्य स्वागत कर रही है जिसने लड़कियों की शिक्षा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है। अख्तर ने इस विरोधाभास पर चिंता जताते हुए सवाल उठाया कि क्या समाज अब इन मूल्यों को भूल चुका है, जो कभी शिक्षा और समानता के लिए खड़े थे।
जावेद अख्तर ने अपने पोस्ट में सीधे अपने भारतीय भाइयों और बहनों से सवाल किया, “हमारे साथ क्या हो रहा है?” इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहस की आग भड़क दी। अख्तर के विचारों को कई लोगों ने समर्थन दिया, तो वहीं कुछ ने इस स्वागत के पीछे छिपे धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोणों की व्याख्या करने की कोशिश की। इस बहस ने स्पष्ट कर दिया कि देश में समाज और राजनीति के बीच संवेदनशील संतुलन पर सवाल उठ रहे हैं।
तालिबानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा ने मीडिया और जनता दोनों में जोरदार हलचल मचा दी। खासतौर पर उनकी महिला अधिकारों और शिक्षा पर कट्टर रुख वाली नीतियों को लेकर पहले ही आलोचना होती रही है। इस बीच खबर आई कि उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर रोक लगाई गई थी, लेकिन बाद में इसे खारिज कर दिया गया। इस घटना ने न केवल उनके दृष्टिकोण पर सवाल खड़े किए, बल्कि यात्रा की संवेदनशीलता और राजनीतिक निहितार्थों पर भी नई बहस शुरू कर दी हैं। Javed Akhtar
लोकप्रिय लेखक और फिल्मकार जावेद अख्तर ने अफगान तालिबान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्तकी के उत्तर प्रदेश के देवबंद में भव्य स्वागत पर गहरी चिंता और आलोचना जताई है। अख्तर ने कहा, “मेरा सिर शर्म से झुक जाता है।” उन्होंने सोशल मीडिया पर अपने पोस्ट में लिखा कि ऐसे आतंकवादियों को सम्मानित करना केवल शर्मनाक ही नहीं, बल्कि समाज की बदलती प्राथमिकताओं का भी चिंताजनक संकेत है। Javed Akhtar
अख्तर ने इस स्वागत के लिए दारुल उलूम देवबंद को भी निशाने पर लिया। उन्होंने कहा कि यह प्रतिष्ठित शिक्षा संस्था, जो हमेशा आतंकवाद और हिंसा के खिलाफ खड़ी रही है, अब उसी “इस्लामी हीरो” का भव्य स्वागत कर रही है जिसने लड़कियों की शिक्षा पर पूरी तरह प्रतिबंध लगा रखा है। अख्तर ने इस विरोधाभास पर चिंता जताते हुए सवाल उठाया कि क्या समाज अब इन मूल्यों को भूल चुका है, जो कभी शिक्षा और समानता के लिए खड़े थे।
जावेद अख्तर ने अपने पोस्ट में सीधे अपने भारतीय भाइयों और बहनों से सवाल किया, “हमारे साथ क्या हो रहा है?” इस टिप्पणी ने सोशल मीडिया और मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर बहस की आग भड़क दी। अख्तर के विचारों को कई लोगों ने समर्थन दिया, तो वहीं कुछ ने इस स्वागत के पीछे छिपे धार्मिक और राजनीतिक दृष्टिकोणों की व्याख्या करने की कोशिश की। इस बहस ने स्पष्ट कर दिया कि देश में समाज और राजनीति के बीच संवेदनशील संतुलन पर सवाल उठ रहे हैं।
तालिबानी विदेश मंत्री की भारत यात्रा ने मीडिया और जनता दोनों में जोरदार हलचल मचा दी। खासतौर पर उनकी महिला अधिकारों और शिक्षा पर कट्टर रुख वाली नीतियों को लेकर पहले ही आलोचना होती रही है। इस बीच खबर आई कि उनके प्रेस कॉन्फ्रेंस में महिला पत्रकारों की एंट्री पर रोक लगाई गई थी, लेकिन बाद में इसे खारिज कर दिया गया। इस घटना ने न केवल उनके दृष्टिकोण पर सवाल खड़े किए, बल्कि यात्रा की संवेदनशीलता और राजनीतिक निहितार्थों पर भी नई बहस शुरू कर दी हैं। Javed Akhtar

कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने करोड़ों सदस्यों के लिए इस दिवाली को और भी खास बना दिया है। नई दिल्ली में हुई केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की 238वीं बैठक में ऐसा फैसला लिया गया है, जो नौकरीपेशा लोगों के लिए राहत की सांस साबित होगा। अब ईपीएफओ मेंबर्स अपने खाते में तय 25% न्यूनतम बैलेंस को छोड़कर बाकी पूरी 100% जमा राशि निकाल सकेंगे। यह फैसला न सिर्फ कर्मचारियों की वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है, बल्कि इससे PF निकासी प्रक्रिया को भी बेहद सरल बना दिया गया है। EPFO Rule Change
7 करोड़ से ज्यादा खाताधारकों के लिए आए इस ऐलान को लेकर EPFO ने साफ कहा है — “अब निकासी में कोई झंझट नहीं, पैसा निकालना होगा पहले से कहीं ज्यादा आसान।” सीबीटी की इस बैठक में PF Withdraw के पुराने नियमों की जटिलताओं को खत्म कर कई और बड़े फैसले भी लिए गए हैं, जो आने वाले दिनों में कर्मचारियों के लिए राहत और भरोसे दोनों का नया दौर लेकर आएंगे। EPFO Rule Change
नई दिल्ली में हुई इस ऐतिहासिक बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मंसुख मंडाविया ने की, जहां राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, सचिव वंदना गुरनानी और ईपीएफओ आयुक्त रमेश कृष्णमूर्ति समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में ऐसा फैसला लिया गया, जिसने लाखों कर्मचारियों की उम्मीदों को नया सहारा दिया है। अब ईपीएफओ सदस्य अपने खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के योगदान वाली राशि में से 75% तक रकम निकाल सकेंगे। पहले यह सुविधा केवल रिटायरमेंट या बेरोजगारी की स्थिति तक सीमित थी, लेकिन अब सरकार ने इसे सभी सदस्यों के लिए लागू कर, एक तरह से आर्थिक आज़ादी का रास्ता खोल दिया है। यह कदम उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत साबित होगा, जो आपात जरूरतों में अपनी ही बचत तक पहुंचने में मुश्किलों का सामना करते थे।
अब तक पीएफ की पूरी रकम निकालने की अनुमति बेहद सीमित परिस्थितियों में ही मिलती थी — जैसे बेरोजगारी या रिटायरमेंट। नियम के मुताबिक, बेरोजगार होने के एक महीने बाद सदस्य अपने खाते से केवल 75% राशि ही निकाल सकता था, जबकि बाकी 25% रकम निकालने के लिए उसे दो महीने और इंतजार करना पड़ता था। रिटायरमेंट के बाद ही पूरी राशि एकमुश्त निकालने की छूट मिलती थी।लेकिन अब इस पुराने ढांचे को पूरी तरह बदल दिया गया है।
ईपीएफओ ने निकासी की इन जटिल शर्तों को खत्म कर सभी सदस्यों को नई स्वतंत्रता दे दी है — अब कर्मचारी अपने खाते में 25% न्यूनतम बैलेंस बनाए रखते हुए बाकी पूरी राशि जब चाहें निकाल सकते हैं। यह फैसला उन करोड़ों कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत है, जो अपने ही पैसों पर सीमाओं के कारण निर्भर रहते थे। अब उनकी बचत पर उनका पूरा अधिकार होगा — चाहे वह किसी जरूरत की घड़ी हो या किसी सपने को साकार करने का समय।
श्रम मंत्रालय का कहना है कि ईपीएफओ का यह नया नियम कर्मचारियों के लिए दोहरे फायदे का सौदा साबित होगा। अब सदस्य जरूरत पड़ने पर अपने खाते से 75% तक की राशि तुरंत निकाल सकेंगे, जबकि शेष 25% रकम पर 8.25% सालाना ब्याज मिलता रहेगा। इससे कर्मचारियों को एक ओर तात्कालिक वित्तीय राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर उनका रिटायरमेंट फंड सुरक्षित और बढ़ता हुआ बना रहेगा। मंत्रालय का मानना है कि यह फैसला कर्मचारियों को न केवल आर्थिक मजबूती देगा, बल्कि उनकी बचत पर बेहतर रिटर्न और लचीलापन दोनों सुनिश्चित करेगा।
सीबीटी की बैठक में पीएफ निकासी से जुड़े कई और अहम फैसले लिए गए हैं, जो सीधे तौर पर कर्मचारियों के जीवन से जुड़ते हैं। अब सदस्य शिक्षा के लिए 10 बार तक रकम निकाल सकेंगे, जबकि पहले यह सुविधा केवल 3 बार तक सीमित थी। इसी तरह शादी जैसे व्यक्तिगत अवसरों के लिए भी अब 5 बार तक आंशिक निकासी की अनुमति दी गई है। इतना ही नहीं, आंशिक निकासी के लिए जरूरी सेवा अवधि (Service Tenure) की शर्त भी सभी कर्मचारियों के लिए समान कर दी गई है — अब यह 12 महीने तय होगी।
ये बदलाव खासकर युवा कर्मचारियों और नए जॉइनर्स के लिए एक बड़ी राहत हैं। अब उन्हें न तो नियमों की उलझनों से जूझना पड़ेगा, न ही अपनी बचत तक पहुंचने में कोई बाधा आएगी। ईपीएफओ के ये नए प्रावधान न केवल लचीलापन बढ़ाते हैं, बल्कि कर्मचारियों के वित्तीय आत्मनिर्भरता के रास्ते को भी और मजबूत करते हैं। EPFO Rule Change
पहले प्राकृतिक आपदा, महामारी या किसी आपात स्थिति में पीएफ की निकासी करना आसान नहीं था। कर्मचारियों को न सिर्फ कारण बताना पड़ता था, बल्कि कई तरह के दस्तावेज जमा करने की झंझट से भी गुजरना पड़ता था। नतीजा यह होता था कि कई दावे अपूर्ण कागज़ात या तकनीकी कारणों से खारिज हो जाते थे। लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह बदल दी गई है। श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी परिस्थितियों में अब न तो कोई कारण बताने की जरूरत होगी, न ही दस्तावेज जमा करने की। इस कदम से ईपीएफओ की निकासी प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटिक और पेपरलेस हो जाएगी। यानी अब सदस्यों के दावे 100% स्वचालित रूप से निपटाए जाएंगे, जिससे जरूरत के वक्त पैसे तक पहुंचना पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज़ होगा। EPFO Rule Change
कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने अपने करोड़ों सदस्यों के लिए इस दिवाली को और भी खास बना दिया है। नई दिल्ली में हुई केंद्रीय न्यासी बोर्ड (CBT) की 238वीं बैठक में ऐसा फैसला लिया गया है, जो नौकरीपेशा लोगों के लिए राहत की सांस साबित होगा। अब ईपीएफओ मेंबर्स अपने खाते में तय 25% न्यूनतम बैलेंस को छोड़कर बाकी पूरी 100% जमा राशि निकाल सकेंगे। यह फैसला न सिर्फ कर्मचारियों की वित्तीय जरूरतों को ध्यान में रखकर लिया गया है, बल्कि इससे PF निकासी प्रक्रिया को भी बेहद सरल बना दिया गया है। EPFO Rule Change
7 करोड़ से ज्यादा खाताधारकों के लिए आए इस ऐलान को लेकर EPFO ने साफ कहा है — “अब निकासी में कोई झंझट नहीं, पैसा निकालना होगा पहले से कहीं ज्यादा आसान।” सीबीटी की इस बैठक में PF Withdraw के पुराने नियमों की जटिलताओं को खत्म कर कई और बड़े फैसले भी लिए गए हैं, जो आने वाले दिनों में कर्मचारियों के लिए राहत और भरोसे दोनों का नया दौर लेकर आएंगे। EPFO Rule Change
नई दिल्ली में हुई इस ऐतिहासिक बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्री मंसुख मंडाविया ने की, जहां राज्य मंत्री शोभा करंदलाजे, सचिव वंदना गुरनानी और ईपीएफओ आयुक्त रमेश कृष्णमूर्ति समेत कई वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे। बैठक में ऐसा फैसला लिया गया, जिसने लाखों कर्मचारियों की उम्मीदों को नया सहारा दिया है। अब ईपीएफओ सदस्य अपने खाते में कर्मचारी और नियोक्ता दोनों के योगदान वाली राशि में से 75% तक रकम निकाल सकेंगे। पहले यह सुविधा केवल रिटायरमेंट या बेरोजगारी की स्थिति तक सीमित थी, लेकिन अब सरकार ने इसे सभी सदस्यों के लिए लागू कर, एक तरह से आर्थिक आज़ादी का रास्ता खोल दिया है। यह कदम उन कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत साबित होगा, जो आपात जरूरतों में अपनी ही बचत तक पहुंचने में मुश्किलों का सामना करते थे।
अब तक पीएफ की पूरी रकम निकालने की अनुमति बेहद सीमित परिस्थितियों में ही मिलती थी — जैसे बेरोजगारी या रिटायरमेंट। नियम के मुताबिक, बेरोजगार होने के एक महीने बाद सदस्य अपने खाते से केवल 75% राशि ही निकाल सकता था, जबकि बाकी 25% रकम निकालने के लिए उसे दो महीने और इंतजार करना पड़ता था। रिटायरमेंट के बाद ही पूरी राशि एकमुश्त निकालने की छूट मिलती थी।लेकिन अब इस पुराने ढांचे को पूरी तरह बदल दिया गया है।
ईपीएफओ ने निकासी की इन जटिल शर्तों को खत्म कर सभी सदस्यों को नई स्वतंत्रता दे दी है — अब कर्मचारी अपने खाते में 25% न्यूनतम बैलेंस बनाए रखते हुए बाकी पूरी राशि जब चाहें निकाल सकते हैं। यह फैसला उन करोड़ों कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत है, जो अपने ही पैसों पर सीमाओं के कारण निर्भर रहते थे। अब उनकी बचत पर उनका पूरा अधिकार होगा — चाहे वह किसी जरूरत की घड़ी हो या किसी सपने को साकार करने का समय।
श्रम मंत्रालय का कहना है कि ईपीएफओ का यह नया नियम कर्मचारियों के लिए दोहरे फायदे का सौदा साबित होगा। अब सदस्य जरूरत पड़ने पर अपने खाते से 75% तक की राशि तुरंत निकाल सकेंगे, जबकि शेष 25% रकम पर 8.25% सालाना ब्याज मिलता रहेगा। इससे कर्मचारियों को एक ओर तात्कालिक वित्तीय राहत मिलेगी, वहीं दूसरी ओर उनका रिटायरमेंट फंड सुरक्षित और बढ़ता हुआ बना रहेगा। मंत्रालय का मानना है कि यह फैसला कर्मचारियों को न केवल आर्थिक मजबूती देगा, बल्कि उनकी बचत पर बेहतर रिटर्न और लचीलापन दोनों सुनिश्चित करेगा।
सीबीटी की बैठक में पीएफ निकासी से जुड़े कई और अहम फैसले लिए गए हैं, जो सीधे तौर पर कर्मचारियों के जीवन से जुड़ते हैं। अब सदस्य शिक्षा के लिए 10 बार तक रकम निकाल सकेंगे, जबकि पहले यह सुविधा केवल 3 बार तक सीमित थी। इसी तरह शादी जैसे व्यक्तिगत अवसरों के लिए भी अब 5 बार तक आंशिक निकासी की अनुमति दी गई है। इतना ही नहीं, आंशिक निकासी के लिए जरूरी सेवा अवधि (Service Tenure) की शर्त भी सभी कर्मचारियों के लिए समान कर दी गई है — अब यह 12 महीने तय होगी।
ये बदलाव खासकर युवा कर्मचारियों और नए जॉइनर्स के लिए एक बड़ी राहत हैं। अब उन्हें न तो नियमों की उलझनों से जूझना पड़ेगा, न ही अपनी बचत तक पहुंचने में कोई बाधा आएगी। ईपीएफओ के ये नए प्रावधान न केवल लचीलापन बढ़ाते हैं, बल्कि कर्मचारियों के वित्तीय आत्मनिर्भरता के रास्ते को भी और मजबूत करते हैं। EPFO Rule Change
पहले प्राकृतिक आपदा, महामारी या किसी आपात स्थिति में पीएफ की निकासी करना आसान नहीं था। कर्मचारियों को न सिर्फ कारण बताना पड़ता था, बल्कि कई तरह के दस्तावेज जमा करने की झंझट से भी गुजरना पड़ता था। नतीजा यह होता था कि कई दावे अपूर्ण कागज़ात या तकनीकी कारणों से खारिज हो जाते थे। लेकिन अब यह व्यवस्था पूरी तरह बदल दी गई है। श्रम मंत्रालय ने स्पष्ट कर दिया है कि ऐसी परिस्थितियों में अब न तो कोई कारण बताने की जरूरत होगी, न ही दस्तावेज जमा करने की। इस कदम से ईपीएफओ की निकासी प्रक्रिया पूरी तरह ऑटोमैटिक और पेपरलेस हो जाएगी। यानी अब सदस्यों के दावे 100% स्वचालित रूप से निपटाए जाएंगे, जिससे जरूरत के वक्त पैसे तक पहुंचना पहले से कहीं ज्यादा आसान और तेज़ होगा। EPFO Rule Change