Christmas 2021 special : 1836 में रॉयल परिवारों की पहली मैरिज हुई थी यहां

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calendar02 Dec 2025 05:03 AM
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सहारनपुर। क्रिसमस (Christmas 2021) पर्व को लेकर यूं तो देशभर में तैयारी हो गई है। लेकिन इन सबसे हटकर यहां पर देखने लायक हैं सहारनपुर के चर्च। सहारनपुर प्राचीन और ऐतिहासिक चर्चाें (Ancient and Historical Church) का अपना अलग ही महत्व है। 1832 में स्थापित सेंट थामस चर्च (St. Thomas Church) में 1836 में पहली मैरिज कराई गई थी। आज भी यह चर्च शांति और एकता का परिचय दे रहा है। इसके अलावा शहर में स्थित अन्य चर्च भी अपनी ऐतिहासिकता के कारण न केवल ईसाई समुदाय बल्कि दूसरे समुदायों के लोगों के लिए रमणीय स्थल है।

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सेंट थामस चर्च की स्थापना 1832 में हुई थी। पावेल परिवार द्वारा बनवाए गए चर्च में आईटीसी और रिमाउंट डिपो के रायल परिवार प्रार्थना के लिए पहुुंचते थे। चर्च के निकट ही लोहे का बना ब्रिज भी पावेल परिवार ने बनवाया था। बाजोरिया रोड स्थित चर्च कंपाउंड क्षेत्र में स्थित इस चर्च में रहने वाली आर्मी तथा आईटीसी अधिकारियों के रायल परिवारों के लिए चर्च की स्थापना हुई थी। पहली बार हुई प्रार्थना में 300 से अधिक लोग शामिलल हुए थे। उस वक्त फादर क्रि स्टोफर लूचंस ने सबसे पहले यहां प्रार्थना कराई थी। वह करीब साल तक यहां रहे। ब्रिटेन के रायल परिवारों से भी चर्च का नाता रहा है। 1836 में यहां पर पहली मैरिज कराए जाने का प्रमाण भी मिलता है। सैना के लिए घोड़ों को ट्रेनिंग के लिए सहारनपुर में बनाया गया रिमाउंट डिपो के अधिकारी यहां पर प्रार्थना के लिए पहुंचते थे।

इंग्लैंड की विशेष धार्मिक नियंत्रक संस्था एंजालिकन चर्च आफ इंग्लैंड के निर्देश पर एक सैन्य अधिकारी जेम्स पॉवले ने जेम्स सेंट थामस चर्च का निर्माण 1854 में कराया था। यह चर्च यूरोपियन वास्तुकला का एक बेहतरीन नमूना है, इसकी शैली एंगोगोथिक है। शंकु आकार की मीनार, ऊंची छत बेहद आकर्षक है। चर्च का विशाल हॉल का समय समय पर जीर्णाेद्धार कराया जाता रहा है। पहले इस चर्च के ऊपरी हिस्से को सहारा देने के लिए लकड़ियों के लट्ठों का प्रयोग किया गया था, जिनका स्थान अब लोहे के निर्माण ने ले लिया है। हॉल के भीतर प्रभु यीशु का रंगीन शीशों पर चित्रित आकर्षक स्वरुप मनमोहक है। बाहरी प्रकाश में यह खूब दमकती है। यह चित्र मध्यकालीन यूरोपीय गोथिक चित्र शैली में कलर्ड स्टैंड ग्लास तकनीक से बनाए गए हैं।

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सहारनपुर में ईस्ट इंडिया कंपनी का शासन 30 दिसंबर 1803 से मराठों की पराजय से शुरु हुआ। कंपनी के शासन के तुरंत बाद सहारनपुर को जनपद मुख्यालय घोषित कर दिया गया था। सहारनपुर में कलक्टर व अन्य अधिकारियों के निवासों का निर्माण कराया गया था। सन 1854 में अनेक बंगलों का निर्माण किया गया। इसी वर्ष सेंट थॉमस चर्च का भी निर्माण हुआ। यह चर्च सहारनपुर की सबसे पुरानी चर्च मानी जाती है। सेंट थॉमस चर्च से करीब 150 मीटर की दूरी पर एक पुरानी कब्रगाह है। इसमें सबसे पुरानी कब्र का पक्का निर्माण सन 1804 में किया गया था। यहां 19वीं और 20वीं शताब्दी मं ऐसे अनेक पक्के कब्रगाह हैं, जिनसे नजरे हटती नहीं। कब्रगाह के साथ संगमरमर और धातुओं से बने क्रास के अलावा अनेक देवदूत, प्राथर्ना करती परियां, स्वर्ग में जाने वो मार्ग, पुस्तकों पर लिखे हुए संदेश, प्रियजनों के लिए पत्थरों पर खुदे हुए संदेश कला बेहतरीन नमूना है। सभी मूतिर्योंं को एंग्लों विक्टोरियन शैली में बखूबी तराशा गया है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण में इसे संरक्षित घोषित किया गया है।

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इसके अलावा सहारनपुर की गिल कालोनी स्थित असेम्बली आफ गॉड चर्च का निर्माण 1916 में किया गया था। हाल फिलहाल इस चर्च में निर्माण कार्य चल रहा है। मिशन कंपाउंड स्थित सीएनआई चर्च , मैथोडिस्ट चर्च, सेवंथ डे चर्च और सेक्रेट हॉर्ट चर्च भी दर्शनीय है। यह सभी भी ब्रिटिश काल की उन यादों को ताजा करते हैं, जब ब्रिटिश शासक यहां पहुंचकर क्रिसमस पर्व को धूमधाम से मनाने थे।

महेश के. शिवा

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Shukra Pradosh Vrat 2021 : 31 दिसंबर को बन रहा खास संयोग, इस व्रत को करने से बनेगा भाग्य

Shukra Pradosh Vrat 2021
Shukra Pradosh Vrat 2021
locationभारत
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calendar24 Dec 2021 06:38 PM
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Shukra Pradosh Vrat 2021 : सुख-समृद्धि के लिए कई व्रत किए जाते हैं। लेकिन प्रदोष व्रत का खास महत्व है। प्रदोष व्रत त्रयोदशी तिथि पर रखा जाता है। यह व्रत महीने में दो बार पड़ता है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक यह व्रत भगवान शिव की कृपा पाने के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस दिन विधि पूर्वक शिव की उपासना करने से हर मनोकामना पूरी होती है। साल 2021 का आखिरी प्रदोष व्रत 31 दिसंबर 2021 है।

शुक्र प्रदोष व्रत के लाभ वर्ष 2021 का आखिरी शुक्र प्रदोष व्रत 31 दिसंबर को है। इस प्रदोष के बारे में मान्यता है कि इसे करने वाला सौभाग्यशाली होता है। साथ ही जीवन में आ रही हर प्रकार की परेशानियों से भी छुटकारा मिल जाता है। इसके अलावा शुक्र प्रदोष व्रत करने वाले को जीवन में किसी चीज की कमी नहीं होती है। साथ ही घर-परिवार में सुख और समृद्धि बनी रहती है। इतना ही नहीं, इस व्रत को विधि विधान से करने पर जीवन निरोग रहता है और लंबी उम्र का भी वरदान मिलता है।

शुक्र प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त साल 2021 का आखिरी शुक्र प्रदोष व्रत 31 दिसंबर 2021, शुक्रवार के दिन है। इस दिन त्रयोदशी तिथि सुबह 10 बजकर 39 मिनट से शुरू है। प्रदोष काल शाम 5 बजकर 35 मिनट से रात 08 बजकर 19 मिनट तक है। जबकि त्रयोदशी तिथि की समाप्ति 1 जनवरी 2022 को सुबह 07 बजकर 17 मिनट तक है।

शुक्र प्रदोष व्रत पूजा-विधि शुक्र प्रदोष व्रत के दिन सुबह नहाकर पूजा स्थान पर गंगाजल छिड़ककर शुद्ध करें। इसके बाद हाथों में फूल, अक्षत, धन आदि लेकर पूजा का संकल्प करें। व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने के बाद इनके मंत्रों का जाप करें। सूर्यास्त के समय स्नान के बाद शिवजी की विधि विधान से पूजा करें। इसके बाद प्रदोष व्रत की कथा पढ़ें। व्रत-कथा के बाद शिव को लगाए गए भोग को खुद लेकर दूसरों को बांटें।

यशराज कनिया कुमार, वैदिक एवं अंक ज्योतिषी

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Astro Money Tips रुपयों से भर जाएगी तिजोरी, नहीं होगी धन की कमी, बस करें ये सरल उपाय

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Astro Money Tips रुपयों से भर जाएगी तिजोरी, नहीं होगी धन की कमी, बस करें ये सरल उपाय
locationभारत
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calendar30 Nov 2025 09:53 AM
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Astro Money Tips : अक्सर पैसा, रुपया (Money) तथा स्वर्ण आभूषण (Gold) आदि रखने के लिए तिजोरी (cash chest) का उपयोग किया जाता है। इसलिए माना जाता है कि तिजोरी बहुत ही महत्वपूर्ण वस्तु है। वास्तु शास्त्र में तिजोरी को रखने के संबंध में कई जानकारियां मौजूद है। साथ ही तिजोरी में कुछ ऐसी चीजों को रखने के संबंध में बताया गया है जो धन के बराबर ही महत्वपूर्ण है। इन चीजों को तिजोरी में रखने से धन कभी समाप्त नहीं होता है।

श्रीफल श्रीफल को किसी शुभ मुहूर्त में लाल कपड़े में बांधकर, कपूर तथा लौंग चढ़ाकर धूप दीप से पूजा करें। इसके पश्चात उस श्रीफल को अपनी तिजोरी में रखें। ऐसा करने से धन का आगमन होता है।

पूजा की सुपारी सुपारी को पूजा के समय गौरी गणेश का स्वरूप माना जाता है। इसलिए इस सुपारी को लेकर उस पर जनेऊ चढ़ाएं और पूजा कर इसे अपनी तिजोरी में स्थापित कर दें। ऐसा करने से तिजोरी में धन की कमी नहीं होती है।

काली गुंजा धन संपदा के लिए काली गुंजा के 11 दाने लेकर तिजोरी के नीचे या अंदर रख दें। साथ ही तिजोरी में हमेशा लाल वस्त्र बिछाकर रखें।

शुक्रवार के दिन पीले कपड़े में थोड़ी सी केसर, चांदी का सिक्का, हल्दी की गांठ है को बांधकर सदैव हमें तिजोरी में रखना चाहिए। ऐसा करने पर धन समृद्धि के रास्ते खुलते हैं।

श्री यंत्र ऐश्वर्या वृद्धि यंत्र या धनदा यंत्र में से किसी एक यंत्र को लेकर तिजोरी मे रखना चाहिए। ऐसा करने पर तिजोरी कभी खाली नहीं होती है और धन बढ़ता रहता है।

दस रुपए के नोट अपनी तिजोरी में 10 10 के नोट की एक गड्डी अवश्य रखनी चाहिए। साथ ही पीतल और तांबे के सिक्कों को रखना शुभ माना गया है।

शंखपुष्पी पुष्य नक्षत्र शंखपुष्पी की जड़ लाकर देवी देवताओं की भांति पूजा करें। इसके पश्चात उसे चांदी की डिब्बी में रखकर तिजोरी या पैसा रखने के स्थान पर रख दें। यह माता लक्ष्मी की कृपा पाने का सरल उपाय है।

पीपल का पत्ता शनिवार के दिन पीपल के पत्ते पर घी मिश्रित लाल सिंदूर से ओम बनाएं और तिजोरी में रखें। यह क्रम 5 शनिवार तक करना चाहिए। ऐसा करने पर धान की कमी दूर होगी।

बहेड़ा की जड़ रवि या पुष्य नक्षत्र के दिन बहेड़ा कीचड़ लाए और उसकी पूजा करें। इसके पश्चात उसे लाल वस्त्र में बांधकर तिजोरी या भंडार गृह में रखें। ऐसे में आपकी समृद्धि बढ़ेगी।

पंडित रामपाल भट्ट ज्योतिर्विद, भीलवाड़ा