UP Election Results 2022: कैसे होती है मतगणना? जानिये कैसे मशीन से गिने जाते हैं वोट
Up Election Results 2022
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 12:19 PM
UP Election Results 2022: लखनऊ. पांच राज्यों में 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च तक विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2022) हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Election Results 2022) में सात चरणों में विधानसभा चुनाव हुए हैं. अब 10 मार्च को सभी पांचों राज्यों की मतगणना होनी है. चुनाव नतीजों का इंतजार सभी राजनीतिक दल बेसब्री से कर रहे हैं. इन चुनावों में इस बार उत्तर प्रदेश और पंजाब काफी अहम माना जा रहा है. ऐसे में सभी की नजरें 10 तारीख को होने वाली मतगणना (Elections Counting Day) पर टिकी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपीएटी मशीनों (VVPAT) के जरिये चुनाव कराने के बाद इनसे मतगणना कैसे होती है?
1. मतदान के बाद सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को सीलबंद करके स्ट्रॉन्ग रूम में रख दिया जाता है. इनकी सुरक्षा केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान संभालते हैं. इनकी सुरक्षा सीसीटीवी कैमरे से भी होती है.
2. राज्य निर्वाचन अधिकारी आमतौर पर जिले के किसी बड़ी जगह को मतगणना के लिए तय करता है. फिर मतगणना वाले दिन इसी जगह पर विधानसभा क्षेत्र के अनुसार ईवीएम और वीवीपैट से वोटों की गिनती होती है.
3. मतगणना सुबह करीब 7 से 8 बजे के बीच मतगणना स्थल पर शुरू हो जाती है. इससे कुछ समय पहले ही कर्मचारियों और पार्टी एजेंटों को वहां एंट्री दी जाती है.
4. हर घंटे औसतन करीब 4 राउंड की मतगणना होती है. जिस भी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम राउंड होते हैं, उसकी मतगणना पहले की जाती है.
5. मतगणना की शुरुआत पोस्टल बैलट की गिनती से होती है. जब पोस्टल बैलट की गिनती शुरू हो जाती है तो आधे घंटे से एक घंटे के बीच में ईवीएम से मतगणना शुरू की जाती है.
6. इस दौरान स्ट्रॉन्ग रूम से ईवीएम को निकालकर मतगणना स्थल पर लाया जाता है. इसके बाद उन्हें काउंटिंग टेबल पर रखा जाता है. गौर करने वाली बात यह है कि एक बार में अधिक से अधिक 14 ईवीएम से मतगणना की जाती है. जब इन ईवीएम से मतगणना पूरी हो जाती है तो उसे पहला राउंड कहा जाता है.
7. ईवीएम की मतगणना की प्रक्रिया में सबसे पहले मतगणना पर्यवेक्षक का काम यह सुनिश्चित करना होता है कि ईवीएम से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ ना की गई हो.
UP Election Results: नोएडा में मतगणना की तैयारी पूरी, EVM की सुरक्षा चाक चौबंद
8. इसके बाद चुनाव एजेंटों को मतगणना शुरू होने की जानकारी दी जाती है. चुनाव अधिकारी इसके बाद ईवीएम में रिजल्ट के बटन को दबाते हैं. ऐसे में उस ईवीएम में पड़े सभी उम्मीदवारों को पड़े वोटों की संख्या लिखी आ जाती है.
9. इस प्रक्रिया के बाद कर्मचारी हर उम्मीदवार को पड़े वोटों की संख्या को लिखकर रिटर्निंग ऑफिसर के पास दर्ज कराने के लिए भेज देता है. जब सभी आंकड़े एकत्र हो जाते हैं तो उस चरण के नतीजों का ऐलान किया जाता है.
10. ईवीएम से होने वाली प्रत्येक चरण की मतगणना की जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को उपलब्ध कराई जाती है. इसके बाद इन आंकड़ों को चुनाव आयोग के सर्वर में फीड किया जाता है.
11. जब एक राउंड की मतगणना पूरी हो जाती है तो ईवीएम के आंकड़ों और कागज की शीट में भरे गए आंकड़ों का मिलान भी किया जाता है.
12. जब मिलान प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो इन आंकड़ों को रिटर्निंग ऑफिसर और उम्मीदवारों के एजेंटों को भी बताया जाता है.
13. हर मतगणना स्थल पर मतगणना टेबल के पास बोर्ड लगा होता है. इसमें हर राउंड के काउंटिंग के परिणामों को दर्ज किया जाता है.
14. वोटों की गिनती ईवीएम से तब तक जारी रहती है, जब तक की आखिरी वोट नहीं गिन लिया जाता. इसके खत्म होने का कोई समय निर्धारित नहीं होता.
15. किसी विवाद या आशंका की स्थिति में ईवीएम से निकले आंकड़ों को वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT की पर्चियों से मिलाया जाता है.
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01 Dec 2025 12:19 PM
UP Election Results 2022: लखनऊ. पांच राज्यों में 10 फरवरी से लेकर 7 मार्च तक विधानसभा चुनाव (Assembly Elections 2022) हो चुके हैं. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh Election Results 2022) में सात चरणों में विधानसभा चुनाव हुए हैं. अब 10 मार्च को सभी पांचों राज्यों की मतगणना होनी है. चुनाव नतीजों का इंतजार सभी राजनीतिक दल बेसब्री से कर रहे हैं. इन चुनावों में इस बार उत्तर प्रदेश और पंजाब काफी अहम माना जा रहा है. ऐसे में सभी की नजरें 10 तारीख को होने वाली मतगणना (Elections Counting Day) पर टिकी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) और वीवीपीएटी मशीनों (VVPAT) के जरिये चुनाव कराने के बाद इनसे मतगणना कैसे होती है?
1. मतदान के बाद सभी इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों को सीलबंद करके स्ट्रॉन्ग रूम में रख दिया जाता है. इनकी सुरक्षा केंद्रीय सुरक्षा बल के जवान संभालते हैं. इनकी सुरक्षा सीसीटीवी कैमरे से भी होती है.
2. राज्य निर्वाचन अधिकारी आमतौर पर जिले के किसी बड़ी जगह को मतगणना के लिए तय करता है. फिर मतगणना वाले दिन इसी जगह पर विधानसभा क्षेत्र के अनुसार ईवीएम और वीवीपैट से वोटों की गिनती होती है.
3. मतगणना सुबह करीब 7 से 8 बजे के बीच मतगणना स्थल पर शुरू हो जाती है. इससे कुछ समय पहले ही कर्मचारियों और पार्टी एजेंटों को वहां एंट्री दी जाती है.
4. हर घंटे औसतन करीब 4 राउंड की मतगणना होती है. जिस भी विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम राउंड होते हैं, उसकी मतगणना पहले की जाती है.
5. मतगणना की शुरुआत पोस्टल बैलट की गिनती से होती है. जब पोस्टल बैलट की गिनती शुरू हो जाती है तो आधे घंटे से एक घंटे के बीच में ईवीएम से मतगणना शुरू की जाती है.
6. इस दौरान स्ट्रॉन्ग रूम से ईवीएम को निकालकर मतगणना स्थल पर लाया जाता है. इसके बाद उन्हें काउंटिंग टेबल पर रखा जाता है. गौर करने वाली बात यह है कि एक बार में अधिक से अधिक 14 ईवीएम से मतगणना की जाती है. जब इन ईवीएम से मतगणना पूरी हो जाती है तो उसे पहला राउंड कहा जाता है.
7. ईवीएम की मतगणना की प्रक्रिया में सबसे पहले मतगणना पर्यवेक्षक का काम यह सुनिश्चित करना होता है कि ईवीएम से किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ ना की गई हो.
UP Election Results: नोएडा में मतगणना की तैयारी पूरी, EVM की सुरक्षा चाक चौबंद
8. इसके बाद चुनाव एजेंटों को मतगणना शुरू होने की जानकारी दी जाती है. चुनाव अधिकारी इसके बाद ईवीएम में रिजल्ट के बटन को दबाते हैं. ऐसे में उस ईवीएम में पड़े सभी उम्मीदवारों को पड़े वोटों की संख्या लिखी आ जाती है.
9. इस प्रक्रिया के बाद कर्मचारी हर उम्मीदवार को पड़े वोटों की संख्या को लिखकर रिटर्निंग ऑफिसर के पास दर्ज कराने के लिए भेज देता है. जब सभी आंकड़े एकत्र हो जाते हैं तो उस चरण के नतीजों का ऐलान किया जाता है.
10. ईवीएम से होने वाली प्रत्येक चरण की मतगणना की जानकारी मुख्य चुनाव अधिकारी को उपलब्ध कराई जाती है. इसके बाद इन आंकड़ों को चुनाव आयोग के सर्वर में फीड किया जाता है.
11. जब एक राउंड की मतगणना पूरी हो जाती है तो ईवीएम के आंकड़ों और कागज की शीट में भरे गए आंकड़ों का मिलान भी किया जाता है.
12. जब मिलान प्रक्रिया पूरी हो जाती है तो इन आंकड़ों को रिटर्निंग ऑफिसर और उम्मीदवारों के एजेंटों को भी बताया जाता है.
13. हर मतगणना स्थल पर मतगणना टेबल के पास बोर्ड लगा होता है. इसमें हर राउंड के काउंटिंग के परिणामों को दर्ज किया जाता है.
14. वोटों की गिनती ईवीएम से तब तक जारी रहती है, जब तक की आखिरी वोट नहीं गिन लिया जाता. इसके खत्म होने का कोई समय निर्धारित नहीं होता.
15. किसी विवाद या आशंका की स्थिति में ईवीएम से निकले आंकड़ों को वोटर वेरिफियेबल पेपर ऑडिट ट्रेल यानी VVPAT की पर्चियों से मिलाया जाता है.
UP Election Results: नोएडा में मतगणना की तैयारी पूरी, EVM की सुरक्षा चाक चौबंद
up election results noida
भारत
चेतना मंच
09 Mar 2022 05:36 PM
UP Election Results: नोएडा. गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा (Noida Election Counting) की तीनों विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के लिए गुरुवार को होने वाली मतगणना के लिए जिला प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है।
जिलाधिकारी सुहास एलवाई और पुलिस उपायुक्त हरीश चंदर ने फेस-2 की फूल मंडी में स्थित मतगणना स्थल पर बने ‘स्ट्रांग रूम’ का निरीक्षण किया। मतगणना की चाक-चौबंद व्यवस्था और तैयारियों पर दोनों ही अधिकारी संतुष्ट नजर आए। हालांकि, इस दौरान उन्होंने सुधार के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी दिए।
UP Election: EVM की मूवमेंट पर अखिलेश यादव के सवाल, EC का आया बयान….
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि चुनाव की तरह मतगणना भी निष्पक्ष कराने के लिए हर चरण के परिणाम की जानकारी प्रत्याशी और उनके एजेंट को दी जाएगी। जिले की वेबसाइट पर भी हर चरण की जानकारी दी जाएगी। इससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे-बैठे ही अपने प्रत्याशी या जिले की विधानसभा सीट का परिणाम समय-समय पर जान सकेंगे। उन्होंने बताया कि जिले में धारा-144 लागू होने के कारण किसी भी प्रत्याशी को विजयी जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी।
भीड़ को भी एकत्रित नहीं होने दिया जाएगा। जिला प्रशासन ने मतगणना कराने के लिए 254 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है, जबकि 50 अधिकारियों की मतगणना पर नजर रखने और अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाई है। जिलाधिकारी ने बताया कि यदि किसी प्रत्याशी या एजेंट को किसी तरह का संदेह होता है तो वह निर्वाचन अधिकारी और पर्यवेक्षक से शिकायत कर सकेंगे। अधिकारी तत्काल समस्या का समाधान करेंगे।
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09 Mar 2022 05:36 PM
UP Election Results: नोएडा. गौतमबुद्ध नगर यानी नोएडा (Noida Election Counting) की तीनों विधानसभा सीटों पर हुए चुनाव के लिए गुरुवार को होने वाली मतगणना के लिए जिला प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर ली है।
जिलाधिकारी सुहास एलवाई और पुलिस उपायुक्त हरीश चंदर ने फेस-2 की फूल मंडी में स्थित मतगणना स्थल पर बने ‘स्ट्रांग रूम’ का निरीक्षण किया। मतगणना की चाक-चौबंद व्यवस्था और तैयारियों पर दोनों ही अधिकारी संतुष्ट नजर आए। हालांकि, इस दौरान उन्होंने सुधार के लिए कुछ दिशा-निर्देश भी दिए।
UP Election: EVM की मूवमेंट पर अखिलेश यादव के सवाल, EC का आया बयान….
जिलाधिकारी सुहास एलवाई ने बताया कि चुनाव की तरह मतगणना भी निष्पक्ष कराने के लिए हर चरण के परिणाम की जानकारी प्रत्याशी और उनके एजेंट को दी जाएगी। जिले की वेबसाइट पर भी हर चरण की जानकारी दी जाएगी। इससे कोई भी व्यक्ति घर बैठे-बैठे ही अपने प्रत्याशी या जिले की विधानसभा सीट का परिणाम समय-समय पर जान सकेंगे। उन्होंने बताया कि जिले में धारा-144 लागू होने के कारण किसी भी प्रत्याशी को विजयी जुलूस निकालने की अनुमति नहीं होगी।
भीड़ को भी एकत्रित नहीं होने दिया जाएगा। जिला प्रशासन ने मतगणना कराने के लिए 254 कर्मचारियों की ड्यूटी लगाई है, जबकि 50 अधिकारियों की मतगणना पर नजर रखने और अन्य कार्यों में ड्यूटी लगाई है। जिलाधिकारी ने बताया कि यदि किसी प्रत्याशी या एजेंट को किसी तरह का संदेह होता है तो वह निर्वाचन अधिकारी और पर्यवेक्षक से शिकायत कर सकेंगे। अधिकारी तत्काल समस्या का समाधान करेंगे।
ये हैं, यूपी चुनाव परिणाम को प्रभावित करने वाले 11 मुद्दे
UP Election Results
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 10:29 AM
यूपी ऐसा राज्य है जहां से लोकसभा और राज्यसभा के सबसे ज्यादा सांसद आते हैं। यूपी, आबादी के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। चीन, अमेरिका और इंडोनेशिया (भारत) को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की आबादी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से ज्यादा नहीं है। यानी, यूपी का चुनाव दुनिया के ज्यादातर देशों के राष्ट्रीय चुनावों से भी बड़ा है।
इतना ही नहीं, भारत के 14 में से 9 प्रधानमंत्री अकेले उत्तर प्रदेश से आते हैं। आजादी के बाद लगभग छह दशक तक भारत की राजनीति के केंद्र में रहने वाले नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ भी यूपी ही रहा है और फिलहाल, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) यूपी के बनारस (Varanasi) से सांसद हैं।
मंडल की राजनीति की औपचारिक शुरुआत करने वाले वीपी सिंह रहे हों या कमंडल की राजनीति के प्रणेता लालकृष्ण आडवाणी। इन सबकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश ही रही है। यही वजह है कि यूपी चुनाव (UP Election 2022) और इसका परिणाम केवल एक प्रदेश ही नहीं, देश के ज्यादातर हिस्से में कौतुलह पैदा करता है।
कुछ घंटों बाद यूपी चुनाव के नतीजे (UP Election 2022 result) सबके सामने होंगे। चुनाव, आम जनता की राजनीतिक समझ को जानने का सबसे सटीक अवसर होते हैं। इस दौरान हमने गोरखपुर (Gorakhpur) के चौरीचौरा से लेकर मथुरा (Mathura) के विश्राम घाट तक कई शहरों और वहां रहने वालों से यह समझने का प्रयास किया कि आखिर उनके लिए इस चुनाव का मुख्य मुद्दा क्या है।
पहला मुद्दा: बीजेपी (BJP)के धुर समर्थक भी दबे मन से ही सही लेकिन, इस बात से इनकार नहीं कर पाए कि बेरोजगारी, महंगाई और आवारा पशु के चलते आम आदमी की परेशानी बढ़ी है।
दूसरा मुद्दा: योगी सरकार के घोर विरोधी भी यह मानते हैं कि पिछले पांच साल में गुंडा राज कम हुआ है और कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी है। सड़कें और बिजली की हालत में सुधार हुआ है। गरीबों को आवास और मुफ्त राशन मिला है। किसानों के बैंक खाते में पैसे आए हैं।
तीसरा मुद्दा: चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार के कुछ मंत्रियों का इस्तीफा देना और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल होने जैसी घटना ने अचानक अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का कद बड़ा कर दिया। सरकार के समर्थक और विरोधी, दोनों यह मानने लगे कि इस बार लड़ाई दो-तरफा है और फैसला किसी के भी पक्ष में आ सकता है।
चौथा मुद्दा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन और लखीमपुर खेड़ी की घटना के बाद लोग यह मानने लगे कि किसान और पश्चिमी यूपी का जाट समुदाय योगी सरकार से नाराज है। आरएलडी (RLD) नेता जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) का अखिलेश यादव से हाथ मिलाना इसका सबसे बड़ा प्रमाण माना गया।
पांचवां मुद्दा: ओमप्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे क्षत्रपों और पिछड़ी जातियों के छोटे-छोटे वर्गों के नेताओं का समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाने के बाद माना जाने लगा कि अखिलेश यादव ने बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग की हवा निकाल दी है। जातियों के इसी समीकरण को साधने के कारण 2017 के चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत 40 के करीब पहुंच गया था।
छठवां मुद्दा: चुनाव की घोषणा से पहले और बाद में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और इसकी मुखिया मायावती (Mayawati) की कम सक्रीयता के चलते यह माना जाने लगा कि जाटव समाज को छोड़कर अन्य अति-पिछड़े वर्गों का वोट कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में बंट सकता है। इससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मुसीबतें बढेंगी।
सातवां मुद्दा: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के दो बयानों ने यूपी चुनाव को दिलचस्प बना दिया। अस्सी-बीस और जून में जनवरी की गर्मी वाले बयानों के बाद यह माना जाने लगा कि बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। विशेषज्ञों सहित, आम आदमी को भी लगने लगा कि इस बार मुसलमान केवल बीजेपी (BJP) को हराने के लिए एकतरफा वोट डालेंगे। यानी, मुसलमानों के वोट कांग्रेस (Congress), सपा (SP) और बसपा (BSP) में बंटेंगे नहीं और बीजेपी को तो बिलकुल नहीं जाएंगे।
आठवां मद्दा: यह भी धारणा बनती दिखी कि यूपी की जनता किसी भी सरकार को एक से ज्यादा मौका नहीं देती। हर पांच साल पर यहां सरकार बदलती रहती है इसलिए, इस बार भी बदलाव तय है।
नौवां मुद्दा: चुनाव के पहले ओपिनियन पोल (Opinion Poll) और चुनाव के बाद सभी एग्जिट पोल (Exit Poll) के अनुमानों में बीजेपी को बहुमत के सबसे करीब पहुंचने वाली पार्टी बताया गया। साथ ही, समाजवादी पार्टी की सीटों में भी बड़े उछाल का संकेत दिया गया। इससे भी आम लोगों में यह राय बनी कि यूपी में इस बार का चुनाव दो ध्रुवीय है और सरकार किसी की भी बन सकती है।
दसवां मुद्दा: भारत के ज्यादातर राज्यों में चुनाव के दौरान महिलाओं की राय को कम ही जगह मिल पाती है। महिलाएं अपनी राय खुलकर बताती भी नहीं हैं लेकिन, यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार के मुद्दे ने सबसे ज्यादा इसी वर्ग को प्रभावित किया है। हालांकि, महंगाई और बेरोजगारी का सीधा असर भी रसोई पर पड़ता है।
महिलाओं के लिए कानून व्यवस्था, महंगाई और बेरोजगारी में से कौन सा मुद्दा सबसे अहम है यह तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, यह तय है कि महिलाओं की अपनी प्राथमिकताएं हैं और ज्यादातर महिलाएं उनके आधार पर ही वोट करने का मन बना चुकी थीं।
पुरुषों में भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो आवास, मुफ्त राशन और कैश ट्रांसफर जैसे लाभ को सरकार की उपलब्धि मानता है। बिजली, सड़क और पीने के पानी की बढ़ती पहुंच से भी लोग प्रभावित हैं। इसके बावजूद महंगाई, बेरोजगारी और अवारा पशुओं की समस्या भी उनके लिए चुनावी मुद्दा रहा है। वोट डालते समय कौन सा मुद्दा हावी रहा होगा इसका पता तो 10 मार्च को ही चलेगा।
ग्यारहवां मुद्दा: 2017 के चुनाव के बाद अचानक सीएम बनने के बाद पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपनी एक विशेष छवि बनाई है। गुंडों और माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के चलते उन्हें 'बुलडोजर बाबा' कहा गया। यानी, एक सख्त प्रशासक के तौर पर खुद को स्थापित करने में सफल रहे हैं। साथ ही, योगी का अपना परिवार न होना, भ्रष्टाचार से दूरी और गेरुआ पहनावे ने उन्हें हिंदुओं के बड़े और ईमानदार नेता के तौर पर स्थापित किया है।
पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपना खुद का प्रशंसक वर्ग तैयार किया है जो उन्हें अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखता है। हालांकि, एक बड़ा तबका योगी की इस छवि से बेहद नाराज दिखता है और इसे कट्टरता को बढ़ावा देने वाला मानता है। कौन सा वर्ग किस पर भारी पड़ेगा, यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगा।
यूपी के लोग जाति या धर्म के आधार पर बंटे नहीं हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता। हालांकि, अब वोटरों को केवल इन खांचों में बांट कर नहीं देखा जा सकता। शिक्षा के बढ़ते स्तर, इंटरनेट और सूचनाओं की आसान पहुंच ने एक ऐसा वर्ग तैयार किया है जो जाति, धर्म के बजाए सरकारों के प्रदर्शन और असल मुद्दों के आधार पर वोट करने के लिए तैयार है।
इसमें बड़ा तबका युवा लड़के-लड़कियों का है। यह वर्ग चुनाव परिणामों को किसी भी दिशा में मोड़ सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ चुनावों की ही तरह इस बार भी महिलाओं का वोट ही निर्णायक साबित होने वाला है। इस वर्ग के बारे में अनुमान लगाना आसान नहीं है क्योंकि, आमतौर यूपी-बिहार की ग्रामीण महिलाएं खुलकर बोलने से कतराती हैं।
- संजीव श्रीवास्तव
भारत
चेतना मंच
01 Dec 2025 10:29 AM
यूपी ऐसा राज्य है जहां से लोकसभा और राज्यसभा के सबसे ज्यादा सांसद आते हैं। यूपी, आबादी के लिहाज से भारत का सबसे बड़ा राज्य है। चीन, अमेरिका और इंडोनेशिया (भारत) को छोड़कर दुनिया के किसी भी देश की आबादी उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) से ज्यादा नहीं है। यानी, यूपी का चुनाव दुनिया के ज्यादातर देशों के राष्ट्रीय चुनावों से भी बड़ा है।
इतना ही नहीं, भारत के 14 में से 9 प्रधानमंत्री अकेले उत्तर प्रदेश से आते हैं। आजादी के बाद लगभग छह दशक तक भारत की राजनीति के केंद्र में रहने वाले नेहरू-गांधी परिवार का गढ़ भी यूपी ही रहा है और फिलहाल, देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi) यूपी के बनारस (Varanasi) से सांसद हैं।
मंडल की राजनीति की औपचारिक शुरुआत करने वाले वीपी सिंह रहे हों या कमंडल की राजनीति के प्रणेता लालकृष्ण आडवाणी। इन सबकी कर्मभूमि उत्तर प्रदेश ही रही है। यही वजह है कि यूपी चुनाव (UP Election 2022) और इसका परिणाम केवल एक प्रदेश ही नहीं, देश के ज्यादातर हिस्से में कौतुलह पैदा करता है।
कुछ घंटों बाद यूपी चुनाव के नतीजे (UP Election 2022 result) सबके सामने होंगे। चुनाव, आम जनता की राजनीतिक समझ को जानने का सबसे सटीक अवसर होते हैं। इस दौरान हमने गोरखपुर (Gorakhpur) के चौरीचौरा से लेकर मथुरा (Mathura) के विश्राम घाट तक कई शहरों और वहां रहने वालों से यह समझने का प्रयास किया कि आखिर उनके लिए इस चुनाव का मुख्य मुद्दा क्या है।
पहला मुद्दा: बीजेपी (BJP)के धुर समर्थक भी दबे मन से ही सही लेकिन, इस बात से इनकार नहीं कर पाए कि बेरोजगारी, महंगाई और आवारा पशु के चलते आम आदमी की परेशानी बढ़ी है।
दूसरा मुद्दा: योगी सरकार के घोर विरोधी भी यह मानते हैं कि पिछले पांच साल में गुंडा राज कम हुआ है और कानून व्यवस्था की स्थिति सुधरी है। सड़कें और बिजली की हालत में सुधार हुआ है। गरीबों को आवास और मुफ्त राशन मिला है। किसानों के बैंक खाते में पैसे आए हैं।
तीसरा मुद्दा: चुनाव से ठीक पहले योगी सरकार के कुछ मंत्रियों का इस्तीफा देना और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) में शामिल होने जैसी घटना ने अचानक अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) का कद बड़ा कर दिया। सरकार के समर्थक और विरोधी, दोनों यह मानने लगे कि इस बार लड़ाई दो-तरफा है और फैसला किसी के भी पक्ष में आ सकता है।
चौथा मुद्दा: कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों के आंदोलन और लखीमपुर खेड़ी की घटना के बाद लोग यह मानने लगे कि किसान और पश्चिमी यूपी का जाट समुदाय योगी सरकार से नाराज है। आरएलडी (RLD) नेता जयंत चौधरी (Jayant Chaudhary) का अखिलेश यादव से हाथ मिलाना इसका सबसे बड़ा प्रमाण माना गया।
पांचवां मुद्दा: ओमप्रकाश राजभर, स्वामी प्रसाद मौर्य, दारा सिंह चौहान जैसे क्षत्रपों और पिछड़ी जातियों के छोटे-छोटे वर्गों के नेताओं का समाजवादी पार्टी से हाथ मिलाने के बाद माना जाने लगा कि अखिलेश यादव ने बीजेपी की सोशल इंजीनियरिंग की हवा निकाल दी है। जातियों के इसी समीकरण को साधने के कारण 2017 के चुनाव में भाजपा का मत प्रतिशत 40 के करीब पहुंच गया था।
छठवां मुद्दा: चुनाव की घोषणा से पहले और बाद में बहुजन समाज पार्टी (Bahujan Samaj Party) और इसकी मुखिया मायावती (Mayawati) की कम सक्रीयता के चलते यह माना जाने लगा कि जाटव समाज को छोड़कर अन्य अति-पिछड़े वर्गों का वोट कांग्रेस और समाजवादी पार्टी में बंट सकता है। इससे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की मुसीबतें बढेंगी।
सातवां मुद्दा: योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) के दो बयानों ने यूपी चुनाव को दिलचस्प बना दिया। अस्सी-बीस और जून में जनवरी की गर्मी वाले बयानों के बाद यह माना जाने लगा कि बीजेपी ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है। विशेषज्ञों सहित, आम आदमी को भी लगने लगा कि इस बार मुसलमान केवल बीजेपी (BJP) को हराने के लिए एकतरफा वोट डालेंगे। यानी, मुसलमानों के वोट कांग्रेस (Congress), सपा (SP) और बसपा (BSP) में बंटेंगे नहीं और बीजेपी को तो बिलकुल नहीं जाएंगे।
आठवां मद्दा: यह भी धारणा बनती दिखी कि यूपी की जनता किसी भी सरकार को एक से ज्यादा मौका नहीं देती। हर पांच साल पर यहां सरकार बदलती रहती है इसलिए, इस बार भी बदलाव तय है।
नौवां मुद्दा: चुनाव के पहले ओपिनियन पोल (Opinion Poll) और चुनाव के बाद सभी एग्जिट पोल (Exit Poll) के अनुमानों में बीजेपी को बहुमत के सबसे करीब पहुंचने वाली पार्टी बताया गया। साथ ही, समाजवादी पार्टी की सीटों में भी बड़े उछाल का संकेत दिया गया। इससे भी आम लोगों में यह राय बनी कि यूपी में इस बार का चुनाव दो ध्रुवीय है और सरकार किसी की भी बन सकती है।
दसवां मुद्दा: भारत के ज्यादातर राज्यों में चुनाव के दौरान महिलाओं की राय को कम ही जगह मिल पाती है। महिलाएं अपनी राय खुलकर बताती भी नहीं हैं लेकिन, यूपी की कानून व्यवस्था में सुधार के मुद्दे ने सबसे ज्यादा इसी वर्ग को प्रभावित किया है। हालांकि, महंगाई और बेरोजगारी का सीधा असर भी रसोई पर पड़ता है।
महिलाओं के लिए कानून व्यवस्था, महंगाई और बेरोजगारी में से कौन सा मुद्दा सबसे अहम है यह तो नतीजों के बाद ही पता चलेगा। हालांकि, यह तय है कि महिलाओं की अपनी प्राथमिकताएं हैं और ज्यादातर महिलाएं उनके आधार पर ही वोट करने का मन बना चुकी थीं।
पुरुषों में भी एक बड़ा तबका ऐसा है जो आवास, मुफ्त राशन और कैश ट्रांसफर जैसे लाभ को सरकार की उपलब्धि मानता है। बिजली, सड़क और पीने के पानी की बढ़ती पहुंच से भी लोग प्रभावित हैं। इसके बावजूद महंगाई, बेरोजगारी और अवारा पशुओं की समस्या भी उनके लिए चुनावी मुद्दा रहा है। वोट डालते समय कौन सा मुद्दा हावी रहा होगा इसका पता तो 10 मार्च को ही चलेगा।
ग्यारहवां मुद्दा: 2017 के चुनाव के बाद अचानक सीएम बनने के बाद पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपनी एक विशेष छवि बनाई है। गुंडों और माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही के चलते उन्हें 'बुलडोजर बाबा' कहा गया। यानी, एक सख्त प्रशासक के तौर पर खुद को स्थापित करने में सफल रहे हैं। साथ ही, योगी का अपना परिवार न होना, भ्रष्टाचार से दूरी और गेरुआ पहनावे ने उन्हें हिंदुओं के बड़े और ईमानदार नेता के तौर पर स्थापित किया है।
पिछले पांच साल में योगी आदित्यनाथ (Yogi Adityanath) ने अपना खुद का प्रशंसक वर्ग तैयार किया है जो उन्हें अगले प्रधानमंत्री के तौर पर देखता है। हालांकि, एक बड़ा तबका योगी की इस छवि से बेहद नाराज दिखता है और इसे कट्टरता को बढ़ावा देने वाला मानता है। कौन सा वर्ग किस पर भारी पड़ेगा, यह तो चुनाव नतीजों के बाद ही स्पष्ट होगा।
यूपी के लोग जाति या धर्म के आधार पर बंटे नहीं हैं, ऐसा नहीं कहा जा सकता। हालांकि, अब वोटरों को केवल इन खांचों में बांट कर नहीं देखा जा सकता। शिक्षा के बढ़ते स्तर, इंटरनेट और सूचनाओं की आसान पहुंच ने एक ऐसा वर्ग तैयार किया है जो जाति, धर्म के बजाए सरकारों के प्रदर्शन और असल मुद्दों के आधार पर वोट करने के लिए तैयार है।
इसमें बड़ा तबका युवा लड़के-लड़कियों का है। यह वर्ग चुनाव परिणामों को किसी भी दिशा में मोड़ सकता है। इसमें कोई दो राय नहीं कि पिछले कुछ चुनावों की ही तरह इस बार भी महिलाओं का वोट ही निर्णायक साबित होने वाला है। इस वर्ग के बारे में अनुमान लगाना आसान नहीं है क्योंकि, आमतौर यूपी-बिहार की ग्रामीण महिलाएं खुलकर बोलने से कतराती हैं।