Thursday, 25 April 2024

Akhilesh-Shivpal reunion अखिलेश-शिवपाल का पुनर्मिलन स्थायी: रामगोपाल

Akhilesh-Shivpal reunion मैनपुरी। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा, अखिलेश यादव-शिवपाल यादव का पुनर्मिलन नाटक नहीं स्थायी…

Akhilesh-Shivpal reunion अखिलेश-शिवपाल का पुनर्मिलन स्थायी: रामगोपाल

Akhilesh-Shivpal reunion
मैनपुरी। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता रामगोपाल यादव ने कहा, अखिलेश यादव-शिवपाल यादव का पुनर्मिलन नाटक नहीं स्थायी है। भाजपा पर प्रहार करते हुए कहा, ऐसा नाट्य कला में निपुण लोगों को ही लगता है।

सपा महासचिव यादव ने मुलायम सिंह यादव के प्रतिनिधित्व वाली सीट पर कमल खिलने का दावा करने के लिए सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी पर भी कटाक्ष किया और कहा कि वे (भाजपा) “मूर्खों के स्वर्ग में रह रहे हैं।”.

उन्होंने मैनपुरी में सपा उम्मीदवार के रूप में डिंपल यादव के चयन को “परिवारवाद” (वंशवादी राजनीति) का हिस्सा करार देने को लेकर भाजपा से पूछा कि क्या उसमें कोई परिवारवाद नहीं है। रामगोपाल भाषा से कहा, भाजपा के लोग नाटक करते हैं और इसीलिए उन्हें सब कुछ नाटक लगता है। यादव ने दावा किया कि आपसी कलह को खत्म कर परिवार के सदस्यों का साथ आना भविष्य में भी बना रहेगा।

समाजवादी पार्टी (सपा) के संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन से रिक्त हुई मैनपुरी संसदीय सीट पर पांच दिसंबर को होने वाले चुनाव में चाचा-भतीजा (शिवपाल सिंह यादव-अखिलेश यादव) मिलकर परिवार की परंपरागत सीट बचाने के लिए जनसंपर्क और सभा कर रहे हैं। छह साल पहले एक-दूसरे से अलग होने के बाद से यह चौथा मौका है जब आपस में विवादों में उलझे चाचा-भतीजे ने हाथ मिलाया है।

प्रतिद्वंद्वी दावा कर रहे हैं कि नवीनतम पुनर्मिलन लंबे समय तक नहीं चलेगा और अतीत की तरह मैनपुरी उपचुनाव के बाद दोनों फिर से अलग हो जाएंगे। हाल ही में जसवंतनगर में एक चुनावी सभा के दौरान मंच पर अखिलेश यादव ने शिवपाल के पैर छुए। शिवपाल ने एक अन्य कार्यक्रम में रामगोपाल यादव के पैर छुए। यह यादव परिवार में व्यापक सुलह के संकेत थे।

राजनीतिक हलकों में चर्चा थी कि चाचा-भतीजे बीच संबंधों में तनाव मुख्य रूप से शिवपाल और रामगोपाल यादव के बीच मतभेदों के कारण आया था, जो मुलायम सिंह यादव के राजनीतिक परिवार में 2016 में सत्ता की लड़ाई के बाद शुरू हुआ था। शिवपाल यादव सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई हैं, जबकि रामगोपाल यादव उनके चचेरे भाई हैं।

भाजपा नेताओं के इस दावे पर कि मैनपुरी में कमल (भाजपा का चुनाव चिह्न) खिलेगा और सपा का आखिरी गढ़ गिरेगा, सपा के राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव ने कहा, भाजपा नेता मूर्खों के स्वर्ग में रह रहे हैं। समाजवादी पार्टी मैनपुरी संसदीय क्षेत्र के सभी पांच विधानसभा क्षेत्रों को जीतने जा रही है और आप आठ दिसंबर को परिणाम देखेंगे।

इस आरोप पर कि सपा डिंपल यादव को अपना उम्मीदवार बनाकर ‘परिवारवाद’ में लिप्त है, सपा महासचिव ने कहा, उन्होंने (भाजपा) लोगों को झूठे वादों के अलावा कुछ नहीं दिया है, तो वे क्या कहेंगे? वे हिंदू और मुसलमान या ‘परिवारवाद’ जैसी बातें ही कहेंगे। क्या उनकी पार्टी में कोई ‘परिवारवाद’ नहीं है?

रामगोपाल यादव ने कहा कि उपचुनाव बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि सत्ता पक्ष और सपा दोनों ही जीत के लिए अपनी पूरी ताकत लगा रहे हैं।

उन्होंने कहा, सपा कार्यकर्ता इस उपचुनाव को अपना चुनाव मान रहे हैं। यह एक ऐसा निर्वाचन क्षेत्र है, जहां हमारे कार्यकर्ता अपने स्तर पर यह सुनिश्चित करने की पूरी कोशिश करेंगे कि मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है और जीत का अंतर (इस बार) बढ़े।

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन सपा मतदाताओं को उनके मताधिकार का प्रयोग करने से रोकने की कोशिश करेगा और उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं को जमानती अपराधों में गिरफ्तार करना शुरू कर दिया है, जिसमें किसी को जेल नहीं भेजा जा सकता है। उन्होंने आरोप लगाया, उन्हें (सपा कार्यकर्ताओं को) पुलिस थानों में बैठाया जा रहा है और जमानत नहीं दी जा रही है।

रामगोपाल यादव ने जोर देकर कहा कि सपा हर “सरकारी तिकड़म” (सरकार की चाल) को विफल कर देगी और पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे चुनाव को अपने “निजी सम्मान” के मामले के रूप में मानें और यह सुनिश्चित करें कि प्रत्येक वोट डिंपल यादव के पक्ष में डाला जाए।

यादव ने विश्वास व्यक्त किया कि उपचुनावों में जीत का अंतर 2019 के चुनावों की तुलना में बहुत अधिक होगा। उन्होंने कहा पिछले लोकसभा चुनावों में, हम सभी व्यस्त थे, और कुछ चीजें हुई थी और कई कारण भी थे। इस समय, उन कारकों पर चर्चा करने की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि वे अब मौजूद नहीं हैं। उन्होंने कहा कि जीत का अंतर निश्चित रूप से 2019 के लोकसभा चुनाव से अधिक होगा। उन्होंने जाहिर तौर पर संकेत दिया कि तब अखिलेश और शिवपाल के अलग होने और यादव परिवार में दरार वजह बनी लेकिन अबकी बार परिवार की एकजुटता का लाभ मिलेगा।
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