Site icon चेतना मंच

जाति-वर्ण को लेकर वस्तुस्थिति क्या है स्पष्ट करे भागवत : अखिलेश

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav: लखनऊ। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) द्वारा पंडितों और जाति-संप्रदाय को लेकर दिए गए बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए समाजवादी पार्टी (SP) सुप्रीमो अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) ने सोमवार को कहा कि आरएसएस प्रमुख को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि जाति-वर्ण को लेकर क्या वस्तुस्थिति है?

Akhilesh Yadav Mohan Bhagwat

सपा प्रमुख ने सोमवार को एक अखबार में प्रकाशित खबर की तस्वीर साझा करते हुए ट्वीट किया कि भगवान के सामने तो स्पष्ट कर रहे हैं, कृपया इसमें ये भी स्पष्ट कर दिया जाए कि इंसान के सामने जाति-वर्ण को लेकर क्या वस्तुस्थिति है। खबर के अनुसार, भागवत ने कहा है कि भगवान के सामने कोई जाति वर्ण नहीं हैं, श्रेणी पंडितों ने बनाई है।

Advertising
Ads by Digiday

RSS प्रमुख ने मुंबई में रविवार को एक कार्यक्रम में कहा था कि भगवान ने हमेशा बोला है मेरे लिए सभी एक है। उनमें कोई जाति वर्ण नही हैं, लेकिन पंडितों ने श्रेणी बनाई, वह गलत था। भारत देश हमारे हिंदू धर्म के अनुसार चलकर बड़ा बने और वह दुनिया का कल्याण करे। हिंदू और मुसलमान सभी एक हैं।

सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने इसी बयान पर एक अलग ट्वीट में कहा कि जाति-व्यवस्था पंडितों (ब्राह्मणों) ने बनाई है, यह कहकर संघ प्रमुख श्री भागवत ने धर्म की आड़ में महिलाओं, आदिवासियों, दलितों एवं पिछड़ों को गाली देने वाले तथाकथित धर्म के ठेकेदारों और ढोंगियों की कलई खोल दी, कम से कम अब तो ‘रामचरितमानस’ से आपत्तिजनक टिप्पणी हटाने के लिये आगे आयें।

मौर्य ने कहा कि यदि यह बयान मजबूरी का नहीं है तो साहस दिखाते हुए केंद्र सरकार को कहकर, ‘रामचरितमानस’ से जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर नीच, अधम कहने तथा महिलाओं, आदिवासियों, दलितों एवं पिछड़ों को प्रताड़ित, अपमानित करने वाली टिप्पणियों को हटवायें। मात्र बयान देकर लीपापोती करने से बात बनने वाली नही है।

सपा नेता मौर्य ने 22 जनवरी को एक बातचीत में कहा था कि धर्म का वास्तविक अर्थ मानवता के कल्याण और उसकी मजबूती से है। अगर ‘रामचरितमानस’ की किन्हीं पंक्तियों के कारण समाज के एक वर्ग का जाति, वर्ण और वर्ग के आधार पर अपमान होता हो तो यह निश्चित रूप से धर्म नहीं बल्कि अधर्म है। ‘रामचरितमानस’ की कुछ पंक्तियों (दोहों) में कुछ जातियों जैसे कि तेली और कुम्हार का नाम लिया गया है।

मौर्य ने कहा था कि इन जातियों के लाखों लोगों की भावनाएं आहत हो रही हैं। इसी तरह से ‘रामचरितमानस’ की एक चौपाई यह कहती है कि महिलाओं को दंड दिया जाना चाहिए। यह उनकी (महिलाओं) भावनाओं को आहत करने वाली बात है जो हमारे समाज का आधा हिस्सा हैं। अगर तुलसीदास की ‘रामचरितमानस’ पर वाद-विवाद करना किसी धर्म का अपमान है तो धार्मिक नेताओं को अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों, अन्य पिछड़े वर्गों तथा महिलाओं की चिंता क्यों नहीं होती। क्या यह वर्ग हिंदू नहीं है?

उन्होंने कहा था कि ‘रामचरितमानस’ के आपत्तिजनक हिस्सों जिनसे जाति वर्ग और वर्ण के आधार पर समाज के एक वर्ग का अपमान होता है उन्हें प्रतिबंधित कर दिया जाना चाहिए।

Greater Noida : टोल मांगने पर कर्मचारियों के साथ जमकर मारपीट, देखें वीडियो

उत्तर प्रदेश की खबरों से अपडेट रहने लिए चेतना मंच के साथ जुड़े रहें।

देश-दुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें फेसबुक पर लाइक करें या ट्विटर पर फॉलो करें।

Exit mobile version