Site icon चेतना मंच

उत्तर प्रदेश में खुले रहेंगे सभी मदरसे, आ गया सुप्रीम फरमान

UP News

UP News

UP News :  उत्तर प्रदेश में मुस्लिम समाज द्वारा चलाए जाने वाले मदरसे बंद नहीं होंगे। उत्तर प्रदेश में स्थापित सभी 23500 मदरसे बाकायदा खुले रहेंगे। उत्तर प्रदेश में मदरसे कायम रखने का फैसला किसी सरकार ने नहीं सुनाया है। उत्तर प्रदेश में मदरसा व्यवस्था को कायम रखने का बड़ा फैसला भारत के सुप्रीम कोर्ट ने सुनाया है। भारत के सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले को बहुत बड़ा फैसला माना जा रहा है।

सुप्रीम कोर्ट ने दे दी बड़ी राहत

उत्तर प्रदेश में मदरसा व्यवस्था जारी रखने के समर्थन में पूरा मुस्लिम समाज रहा है। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को अपने फैसले से उत्तर प्रदेश के मदरसा समर्थकों को बड़ी राहत दे दी है। भारत के सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के उस फैसले को रद्द कर दिया है, जिसमें अदालत ने मदरसा एक्ट को संविधान के खिलाफ बताया था।

UP News :

कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि सभी मदरसे क्लास 12 तक के सर्टिफिकेट दे सकेंगे लेकिन उसके आगे की तालीम का सर्टिफिटेक देने की मान्यता मरदसों के पास नहीं होगी। इसका मतलब ये हुआ कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड द्वारा मान्यता प्राप्त मदरसे छात्रों को कामिल और फ़ाजि़ल की डिग्री नहीं दे सकेंगे क्योंकि ये यूजीसी अधिनियम के खिलाफ होगा। मदरसा बोर्ड ‘कामिल’ नाम से अंडर ग्रेजुएशन और ‘फ़ाज़िल’ नाम से पोस्ट ग्रेजुएशन की डिग्री देता रहा है. इसके तहत डिप्लोमा भी किया जाता है, जिसे ‘कारी’ कहा जाता है. बोर्ड हर साल मुंशी और मौलवी (10वीं क्लास) और आलिम (12वीं क्लास) के एग्जाम भी करवाता रहा है.

उत्तर प्रदेश के मदरसों को बड़ी सौगात

सुप्रीम कोर्ट में मदरसा एक्ट पर यह फैसला चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की पीठ ने सुनाया है। पीठ ने कहा कि उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का फैसला ठीक नहीं था. इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने मदरसा एक्ट को भी सही बताया है।

UP News :

सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से उत्तर प्रदेश के 16 हजार मदरसों को राहत मिल गई है. यानी अब उत्तर प्रदेश के अंदर मदरसे चलते रहेंगे। सूबे में मदरसों की कुल तादाद करीब 23,500 है। इनमें 16,513 मदरसे मान्यता प्राप्त हैं. यानी ये सभी रजिस्टर्ड हैं। इसके अलावा करीब 8000 मदरसे गैर मान्यता प्राप्त हैं। मान्यता प्राप्त मदरसों में 560 ऐसे हैं, जो एडेड हैं। यानी 560 मदरसों का संचालन सरकारी पैसों से होता है।

क्या था पूरा मामला?

मदरसा बोर्ड कानून के खिलाफ अंशुमान सिंह राठौड़ नाम के शख्स ने उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। राठौड़ ने इस कानून की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी थी। इसी पर उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने 22 मार्च को फैसला सुनाया था। उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने कहा था, ‘यूपी बोर्ड ऑफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 असंवैधानिक है और इससे धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन होता है।’ इसके साथ ही राज्य सरकार को मदरसों में पढऩे वाले बच्चों को सामान्य स्कूलिंग सिस्टम में शामिल करने का आदेश दिया था।
उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा था, ‘मदरसा कानून 2004 धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है, जो भारत के संविधान के बुनियादी ढांचे का हिस्सा है।’ अदालत ने ये भी कहा था कि सरकार के पास धार्मिक शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने या किसी विशेष धर्म के लिए स्कूली शिक्षा के लिए बोर्ड बनाने का अधिकार नहीं है। UP News :

आपको नहीं पता कहां पर है दुनिया का सबसे बड़ा स्कूल

ग्रेटर नोएडा – नोएडा की खबरों से अपडेट रहने के लिए चेतना मंच से जुड़े रहें।

देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमें  फेसबुक  पर लाइक करें या  ट्विटर  पर फॉलो करें।

Exit mobile version