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Atiq Ahmed Meurder Case : इन अनसुलझे सवालों का नहीं मिल रहा कोई जवाब

Atiq Ahmed Meurder Case

Atiq Ahmed Meurder Case

Atiq Ahmed Meurder Case / प्रयागराज: माफिया अतीक अहमद और अशरफ की हत्या शनिवार को देर रात कर दी गई। इस घटना को पुलिस और मीडिया के सामने अंजाम दिया गया। हालांकि इस घटना के पहले के तकरीबन 2 घंटे काफी हैरान करने वाले थे। पुलिस अतीक और अशरफ को रात तकरीबन 9 बजे कसारी-मसारी के जंगलों में लेकर जाती है। वहां उनकी बताई जगहों पर सर्चिंग की जाती है और दो विदेशी पिस्टल बरामद होती है। इसी के साथ 58 कारतूस भी बरामद किए जाते हैं।

Atiq Ahmed Meurder Case

इस तरह से माफिया को जंगल में ले जाना और वहां से पिस्टल बरामद होना कई सवाल खड़े करता है। सवाल यह है कि क्या माफिया या उसके भाई ने पुलिस को बताया था कि पिस्टल कहां पर हैं? अतीक और अशरफ दोनों जब इतने समय से जेल में हैं तो यह पिस्टल जंगल में इतने समय तक कैसे सुरक्षित रह सकती हैं? पिस्टल की बरामदगी के बाद पुलिस अतीक और अशरफ को एक ही हथकड़ी में धूमनगंज थाने लेकर गई। यहां से पुलिस उन्हें रात तकरीबन 10 बजे कॉल्विन हॉस्पिटल लेकर जाती है। इससे एक दिन पहले भी दोनों को इसी हॉस्पिटल में लाया गया था। बेटे की मौत के परेशान अतीक जब मीडिया से रूबरू होता है उसी दौरान उसे गोली मार दी जाती है। यह हमला 10 बजकर 30 मिनट पर होता है। जिस दौरान यह घटना होती है उस समय दोनों माफिया ब्रदर्स के आसपास सुरक्षाकर्मी भी काफी कम नजर आते हैं।

आखिर इस बार क्यों दी गई इतनी छूट

अतीक की हत्या करने वाला लवलेश तिवारी बांदा, सनी कासगंज और अरुण मौर्य हमीरपुर का रहने वाला है। इनके तार आपस में कैसे जुड़े इसको लेकर जांच जारी है। हालांकि घटना को अंजाम देने के बाद यह सभी मौके से फरार भी नहीं हुए। मौके पर ही उनके द्वारा असलहे फेंक दिए गए। वहीं इस घटना के बाद एक सवाल यह भी खड़ा होता है कि जिस माफिया अतीक अहमद को साबरमती से प्रयागराज लाए जाने और अन्य जगहों पर मीडिया से बातचीत की इजाजत नहीं दी जाती थी उसकी देर रात बड़े आराम से मीडिया से बातचीत कैसे करवाई जा रही थी। ज्ञात हो कि साबरमती जेल से भी जब माफिया को यूपी लाया जाता तो उसकी गाड़ी को पूरी तरह कवर किया जाता और मीडिया से चंद सेकेंड की ही बातचीत संभव हो पाती। हालांकि देर रात प्रयागराज में जिस तरह से माफिया बड़े आराम से मीडिया से बातचीत कर रहा था उसको लेकर भी सवाल उठ रहे हैं।

इन सवालों का भी नहीं कोई जवाब

हमलावरों पर पुलिस ने एक भी काउंटर अटैक क्यों नहीं किया ?

तबीयत खराब होने या बिगडने की शिकायत पर पुलिस दोनों को अस्पताल ले गई, इसकी जानकारी मीडिया को क्यों दी गई ?

जब गुजरात से प्रयागराज लाते समय उसकी सुरक्षा में 40 गाडियां तैनात की गई थी, तब इतनी कम सुरक्षा के साथ उसे अस्पताल क्यों ले जाया गया ?

आजीवन कारावास की सजा भुगत रहे किसी अपरा​धी को मीडिया से बात करने की इजाजत किसने दी ?

जब पुलिस ने घेरा बनाकर रखा तो हत्यारा अतीक तक कैसे पहुंच गया  ?

माफिया ब्रदर्स की सुरक्षा में इतने कम पुलिसकर्मी क्यों थे ?

रिमांड के दौरान इतने आराम से मीडिया से बातचीत की इजाजत क्यों दी गई? जबकि पहले ऐसा नहीं होता था ?

देर रात सड़क पर माफिया की खुली परेड क्यों करवाई जा रही थी ?

कसारी-मसारी में इतने समय बाद तक पिस्टल छिपी कैसे रही ?

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