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UP News : उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर में कांवड़ यात्रा मार्ग पर स्थित ‘पंडित जी वैष्णो ढाबा’ को लेकर शुरू हुआ विवाद अब उत्तर प्रदेश की कानून-व्यवस्था और सियासत का केंद्र बन गया है। ढाबे के संचालन को लेकर धार्मिक पहचान पर खड़े हुए सवालों ने नया मोड़ ले लिया है। पुलिस ने इस ढाबे के संचालक सनव्वर, उनके बेटे आदिल, जुबैर समेत दो अन्य के खिलाफ गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है।। पूर्व मैनेजर धर्मेंद्र की शिकायत पर पुलिस ने ढाबा संचालक सनव्वर, उनके बेटे आदिल, जुबैर और दो अन्य के खिलाफ मारपीट व धमकी देने का मामला दर्ज कर लिया है। धर्मेंद्र का आरोप है कि उन्होंने ढाबे के असली मालिकाना हक का सच उजागर किया, जिसके चलते उन्हें निशाना बनाया गया।

पहचान जांच की कार्रवाई पर विवाद तेज

मामले की शुरुआत रविवार को हुई जब स्वामी यशवीर महाराज की टीम ने कांवड़ मार्ग पर स्थित भोजनालयों के मालिकों की धार्मिक पहचान की जांच शुरू की। स्थानीय प्रशासन की अनुमति के बिना हुई इस कार्रवाई के दौरान कुछ ढाबा कर्मचारियों ने आरोप लगाया कि टीम ने जबरन उनकी पैंट उतरवाकर पहचान की पुष्टि करने की कोशिश की। हालांकि, यशवीर महाराज ने इन आरोपों को सिरे से खारिज किया है। पुलिस ने इस सिलसिले में स्वामी यशवीर महाराज के आश्रम से जुड़े छह लोगों — सुमित बहरागी, रोहित, विवेक, सुमित, सनी और राकेश — को नोटिस जारी कर तीन दिनों के भीतर थाने में उपस्थित होने का निर्देश दिया है। थाना प्रभारी दिनेश चंद भागल ने कहा कि मामले की गंभीरता को देखते हुए और भी लोगों को नोटिस भेजा जा सकता है।

उत्तर प्रदेश सरकार ने पिछले वर्ष एक आदेश जारी किया था, जिसमें तीर्थ मार्ग पर सभी ढाबों को अपने मालिक, संचालक और प्रबंधक के नाम सार्वजनिक करने के निर्देश दिए गए थे। इस साल उत्तराखंड सरकार ने भी कांवड़ यात्रा मार्ग पर खाद्य प्रतिष्ठानों को अपना लाइसेंस सार्वजनिक करने का आदेश जारी किया है। लेकिन विपक्ष इस तरह की कार्रवाइयों को धार्मिक भेदभाव की नजर से देख रहा है।

विपक्ष ने खड़े किए सवाल

समाजवादी पार्टी के नेता और मुरादाबाद से पूर्व सांसद एसटी हसन ने इस कार्रवाई की तुलना “आतंकवाद” से करते हुए कहा कि धर्म के आधार पर लोगों को बेइज्जत करना एक शर्मनाक हरकत है और इससे भारत की धर्मनिरपेक्षता को ठेस पहुंचती है। इस पर पलटवार करते हुए बीजेपी प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा, “हसन जैसे नेता उन लोगों के साथ क्यों खड़े होते हैं जो अपनी पहचान छुपाते हैं? यह वही एंटी-मोदी चश्मा है जिसे उतारे बिना इन्हें सच्चाई दिखेगी नहीं।”

ओवैसी का तीखा सवाल

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने भी इस घटनाक्रम पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि कांवड़ यात्रा तो पहले भी होती रही है, लेकिन अब अचानक यह माहौल क्यों बनाया जा रहा है? “दुकानदारों से आधार कार्ड मांगना, पैंट उतरवाना—क्या यही अब जांच का तरीका बन गया है?” उन्होंने पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए कहा कि “जो लोग दुकानदारों को डराने की कोशिश कर रहे हैं, उन्हें गिरफ्तार करना प्रशासन का काम है, न कि तमाशा बनाना। उन्होंने आगे कहा कि “कोई कैसे किसी ढाबे में घुसकर यह पूछ सकता है कि मालिक किस धर्म का है? यह सीधे-सीधे सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है।  UP News

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