UP News / बुलंदशहर। ग्रामीण क्षेत्रों की बच्चियों के जीवन को शिक्षा की ज्योति से रोशन करने वाली परदादा-परदादी एजुकेशन सोसायटी द्वारा संचालित परदादा-परदादी इंटर कॉलेज की शिक्षा व्यवस्था को देखकर जम्मू-कश्मीर के पूर्व विधायक एवं केन्द्रीय राज्य मंत्री जितेन्द्र सिंह के अनुज देवेन्द्र सिंह राणा अभिभूत हो गए।
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अनूपशहर पहुंचे पूर्व विधायक देवेन्द्र सिंह राणा ने कॉलेज में गरीब बच्चियों को जिस स्तर की शिक्षा दी जा रही है उसको सराहा और कहा कि परदादा-परदादी एजुकेशन सोसायटी के संस्थापक वीरेन्द्र सेम सिंह जो कार्य कर रहे हैं वह बिना दृढ निश्चय और सच्ची निष्ठा के करना संभव नहीं है। देवेन्द्र सिंह राणा ने व्यक्गित रूप से इस संस्था से जुडऩे व मदद करने का आश्वासन भी दिया। ब्लॉक प्रमुख चौधरी अतुल कुमार सिंह ने देवेन्द्र राणा का स्वागत किया।
बच्चियों को मुफ्त देते हैं शिक्षा
परदादा-परदादी एजुकेशन सोसायटी द्वारा स्थापित इस कॉलेज में बुलंदशहर के 100 किलोमीटर के दायरे में स्थित गांवों की बच्चियों को नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। इस कॉलेज के संस्थापक वीरेन्द्र सेम सिंह का मानना है कि जब एक बच्ची शिक्षित होती है तो पूरा परिवार शिक्षित होता है और शिक्षित समाज ही एक सशक्त व विकसित देश का निर्माण कर सकता है।
परदादा परदादी एजुकेशनल सोसाइटी की स्थापना
परदादा परदादी एजुकेशनल सोसाइटी की स्थापना सन 2000 में वीरेंद्र सेम सिंह द्वारा की गई थी, जो एक सेवानिवृत्त अमेरिकी ड्यूपॉन्ट दक्षिण एशिया प्रमुख थे और अनूपशहर में पले-बढ़े थे। सोसाइटी ग्रामीण लड़कियों और उनके परिवारों को उनकी गरीबी की स्थिति से बाहर निकालने के लिए काम करता है। इसके लिए पीपीईएस ने एक शैक्षिक कार्यक्रम विकसित किया और परदादा परदादी स्कूल की स्थापना की।
आधुनिक शिक्षा से भी कराते हैं रू-ब-रू
सन 2000 में क्षेत्र के सबसे गरीब परिवारों की 45 लड़कियों के साथ स्कूल शुरू हुआ था। आज स्कूल में 100 से अधिक गांवों के लगभग 1750 छात्र हैं। वर्ष 2006 में पीपीईएस की पहली स्नातक कक्षा में 14 में से 13 लड़कियों ने यूपी बोर्ड की 10वीं कक्षा की परीक्षा उत्तीर्ण की। बोर्ड स्तर पर अपनी सफलताओं के आलोक में, पीपीईएस ने स्कूल से परे अपने मिशन का विस्तार करने की योजना बनाई है। स्कूल अनूपशहर और आसपास के गांवों में सेवा करता है, जो बेहद गरीब परिवारों से आने वाली लड़कियों को स्वीकार करता है, जो आमतौर पर प्रतिमाह प्रतिघर 600 रुपये से कम कमाते हैं। उनकी बच्चियों को मुफ्त पाठ्य पुस्तकों और मुफ्त भोजन के साथ पूरी तरह से मुफ्त शिक्षा दी जाती है। साथ ही इस कॉलेज मे पढऩे वाली बच्चियों को आधुनिक शिक्षा से रूबरू कराया जाता है। UP News
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