GDA NEWS: गजियाबाद। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण के सचिव बृजेश सिंह ने नक्शा पास सरलीकरण को लेकर शासन के पास पांच सूत्रीय सुझाव भेजे हैं। उन्होंने कहा है, किसी भी टाउनशिप अथवा बिल्डर आदि का नक्शा सरल तरीके से स्वीकृति के लिए शासन स्तर से कई तरह से सिस्टम में बदलाव करना होगा। तभी आम लोगों को इसका लाभ मिल पाएगा।
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जीडीए सचिव ने आवास बंधु के निदेशक को भेजे लेटर के माध्यम से स्पष्ट किया कि आन लाइन मानचित्र स्वीकृति के उपरांत आवेदक को शुल्क जमा किए जाने हेतु डिमांड पत्र स्वतः चला जाता है,लेकिन आवेदक स्तर से शुल्क जमा कराने की कोई समय सीमा निर्धारित न होने के कारण मानचित्र लंबित रहते है। आवेदक स्तर पर शुल्क जमा करने के लिए समय सीमा का निर्धारण किया जाना आवश्यक है। साथ ही आवेदक स्तर पर लंबित आपत्तियों के निस्तारण हेतु समय सीमा निर्धारित किया जाना उचित होगा।
प्राधिकरण सचिव ने ये भी सुझाव दिया कि प्रायः यह भी तथ्य सामने आ रहे है कि आवेदक के मानचित्रों पर लगी आपत्तियों का निस्तारण नहीं किया जाता,बल्कि पुनःआवेदन कर दिया जाता है। पोर्टल पर ऐसी व्यवस्था की जानी चाहिए कि पोर्टल पर जब तक पूर्व आवेदन का निस्तारण न हो जाए। पुनःआवेदन न किया जा सकें। शासन द्वारा 20 जून 2019 के आदेश के माध्यम से प्रत्येक पटल पर तकनीकी परीक्षण हेतु पर्याप्त समय दिया गया है,जबकि 26 जून 2021 के आदेश के माध्यम से सहायक अभियंता/नगर नियोजक स्तर पर समय सीमा को संशोधित करते हुए 4 व 3 दिवस से घटाकर 1-1 दिवस कर दिया गया,जो कि पर्याप्त नहीं है। चूंकि मानचित्र स्वीकृति से पूर्व अवर अभियंता द्वारा स्थलीय निरीक्षण कर पत्रावली सहायक अभियंता/नगर नियोजक को अग्रेतर करनी होती है,ऐसे मंे तकनीकी परीक्षण किया जाना संभव नहीं है। ऐसे में सहायक अभियंता/नगर नियोजक स्तर समय सीमा पूर्व की भांति 3 से 4 दिन दिया जाना उचित होगा।
प्राधिकरण सचिव ने शासन के सामने ये भी सुझाव दिया कि प्राधिकरण व शासन स्तर पर आनलाइन पोर्टल पर निवेश मित्र,हाई ओबीपीएस व लाॅरिस्क की श्रेणियों में स्वीकृत मानचित्रों के सापेक्ष कुल जमा धनराशि का वर्षवार विवरण उपलब्ध कराने के लिए कहां जाता हैलेकिन उनके द्वारा बताया जाता है कि इस प्रकार को कोई विवरण पोर्टल पर उपलब्ध न होनेे के कारण दिया जाना संभव नहीं है। साथ ही अवगत है कि शासन को प्रेषित किए जाने वाले एमपीआर के विभिन्न प्रारूपों पर वांछित सूचना पोर्टल पर उपलब्ध नहीं करायी जाती है,जिसका भी प्राविधान पोर्टल पर किया जाना आवश्यक है। इसके साथ साथ मानचित्र स्वीकृति हेतु साफट वेक कंपनी द्वारा साफट वेयर पर मानचित्रों की स्क्रूटनी प्रभावी भवन निर्माण एवं विकास उपविधि 2008 यथा संशोधित तथा अन्य नियमों के अनुसार की जाती है।
स्क्रूटनी के उपरांत भी मानचित्रों में कतिपय नियमों का परीक्षण नहीं किया जाता है,जिस कारण मानचित्र स्वीकृति के समय अवर अभियंता अथवा उच्च स्तर पर परीक्षण किए जाने पर उक्त कमियां आवेदक कोसूचित की जाती है। पोर्टलद्वारा मानचित्र स्क्रूटनी पूर्ण रूप से न किए जाने के कारण प्राधिकरण द्वारा अनावश्यक रूप से आवेदकों को आपत्तियां प्रेषित की जा रही है। पार्टल पर प्राप्त मानचित्रों की स्क्रूटनी प्रभावी उपविधि एवं नियमों के अनुरूप किए जाने हेतु पोर्टल पर कतिपय सशोधन आवश्यक है।
उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यूपीओबीपीएएस पोर्टल पर 26 जून 2019 का शासनादेश लागू होेने के बाद आनलाइन की जा रही है,लेकिन पोर्टल संचालन में अभी भी कठिनाईयां आ रही है। ऐसे में उचित होगा कि शमन मानचित्र स्वीकृति की प्रक्रिया को आफ लाइन ही रखा जाना चाहिए तथा शमन मानचित्र की स्वीकृति को पायलट प्रोजेक्ट के रूप में कामयाब होने के बाद ही प्रदेश के सभी प्राधिकरणा में लागू किया जाए, ताकि जनसामान्य को कठिनाई का सामना न करना पड़े साथ—साथ प्राधिकरण को वित्तीय हानि भी न हो।
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