GHAZIABAD SAMACHAR: गजियाबाद। शहर में इस समय भूजल दोहन चरम पर है। संभागीय परिवहन विभाग इसको रोक पाने में विफल है। साथ ही अपनी कमियों को छिपाने के लिए विभाग ने जो रिपोर्ट ग्राउंड वाटर कमेटी को भेजी है उसमें केवल 6 सर्विस स्टेशनों का ही जिक्र हैं। वहीं कमेटी के सदस्य आकाश वशिष्ठ ने आरटीओ की रिपोर्ट को मिथक बताते हुए पूरे शहर में 200 से अधिक सर्विस स्टेशनों के होने का दावा किया है।
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सर्विस स्टेशनों की आड़ में इस समय पूरे गाजियाबाद में भूलज दोहन का काम तेजी से हो रहा है। इसको न रोका गया तो दिल्ली की तरह गाजियाबाद में भी आगे चलकर पानी का संकट गहराएगा। इसको संज्ञान में लेते हुए ग्राउंड वाटर कमेटी ने संभागीय परिवहन कार्यालय से रिपोर्ट तलब की और पूछा कि गाजियाबाद शहर में कितने सर्विस स्टेशन हैं। कमेटी को जो रिपोर्ट आरटीओ ने सौंपी है उसके मुताबिक केवल 6 सर्विस स्टेशन ही हैं। ये वे सर्विस स्टेशन हैं जो आरटीओ से अधिकृत हैं। वहीं कमेटी सदस्य आकाश वशिष्ठ आरटीओ की रिपोर्ट को चैलेंज देते हुए कहते हैं कि शहर में 200 से भी अधिक सर्विस स्टेशन हैं।
अब सवाल है कि झूठ कौन बोल रहा है? आरटीओ या कमेटी सदस्य। लेकिन, सच्चाई तो यही कि शहर में सर्विस स्टेशनों की संख्या 6 से अधिक तो है ही। इतना तो है कि आरटीओ की रिपोर्ट सही नहीं है।
एक बिल्डर के पक्ष में ग्राउंड वाटर उपयोग की एनओसी को लेकर आपत्ति दर्ज करायी गई। बता दें, देखा जाए तो देश की राजधानी दिल्ली सीमा से लगे गाजियाबाद जिले में जबरदस्त तरीके से भूजल दोहन को बढ़ावा दिया जा रहा है। अधिकांश बिल्डरों के द्वारा बिल्डिंग निर्माण के दौरान भूजल का इस्तेमाल किया जा रहा है। इसके अलावा बड़े पैमानें पर भूमिगत पानी का दोहन करते हुए कारोबार व्यवस्थित तरीके से संचालित किया जा रहा है।
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