Gorakhpur News : गोरखपुर में दिव्यांग महिला की हत्या, भाई ने लगाया रेप के बाद हत्या का आरोप

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Bulandshahr News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar21 Jun 2023 10:56 PM
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गोरखपुर। जिले में एक दिव्यांग युवती की सिर कूंचकर हत्या कर दी गई। उसके सिर पर किसी रॉड से वजन वाली चीज से वार किया गया था। बुधवार की सुबह उसके घर में ही नग्न हालत में लाश मिली है। युवती शादीशुदा नहीं थी। उसके माता-पिता की मौत हो चुकी है। जबकि, भाई पत्नी के साथ ससुराल में रहता है। मृतका के भाई ने रेप के बाद हत्या का आरोप लगाया है। भाई का कहना है कि उसकी बहन का किसी तरह का कोई पुराना विवाद भी नहीं है।

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घटना हरपुर बुदहट इलाके के सोनबरसा की है। सूचना पाते ही SP साउथ अरुण कुमार सिंह, फॉरेंसिक टीम और डॉग स्क्वायड के साथ मौके पर पहुंच गए। फॉरेंसिक जांच के बाद पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।

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गांव के चंद्रशेखर पर हत्या का केस दर्ज ​मृतका के भाई रणविजय सिंह उर्फ बबलू ने गांव के ही चंद्रशेखर उर्फ नवीन सिंह और कुछ अज्ञात लोगों के खिलाफ रेप कर हत्या करने का आरोप लगाते हुए पुलिस को तहरीर दी है। घटना के बाद ही नवीन सिंह घर से गायब है। पुलिस उसकी तलाश में जुट गई है। भाई ने दी तहरीर SP साउथ ने बताया कि मृतका के भाई की तहरीर पर आरोपी नवीन सिंह के खिलाफ हत्या का केस दर्ज कर उसकी तलाश की जा रही है। शव का पोस्टमार्टम कराया जा रहा है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में अगर रेप की पुष्टि होती है तो धारा बढ़ा दी जाएगी।

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गुड़िया घर पर अकेली थी दरअसल, हरपुर बुदहट इलाके के सोनबरसा की रहने वाली रंजू उर्फ गुड़िया (40) एक हाथ एक पैर से दिव्यांग थी। इसी वजह से उसकी शादी नहीं हुई थी। उसके पिता देव प्रकाश सिंह की साल 2005 में मौत हो चुकी है। इसके कुछ साल के बाद गुड़िया की मां की भी मौत हो गई। मां की मौत के बाद भाई रणविजय उर्फ बबलू अपनी पत्नी के साथ अपने ससुराल संसारपार में जाकर रहने लगा। तभी से गुड़िया घर पर अकेली रहती थी।

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मिले हत्या के सुराग बुधवार की सुबह गुड़िया की घर में ही खून से लथपथ लाश मिली। उसका सिर कूंचकर हत्या की गई थी। पुलिस की जांच में घर के बगल में एक अंडरवियर, दो देशी शराब की खाली बोतलें और टूटा हुआ पाइप मिला है। जिस पर खून के धब्बे भी लगे ​हुए थे। उत्तर प्रदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Gorakhpur News : हर किसी को करना चाहिए योग, स्वस्थ रहने का है राज : सीएम योगी

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Everyone should do yoga, it is the secret to stay healthy: CM Yogi
locationभारत
userचेतना मंच
calendar21 Jun 2023 07:03 PM
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गोरखपुर। 9वें विश्व योग दिवस पर बुधवार को शहर से लेकर गांव तक योगमय नजर आ रहा है। गोरखनाथ मंदिर के अलावा कई जगह योग शिविर लगाए गए। सुबह गोरखपुर के लोगों ने योगाभ्यास कर निरोग रहने का संकल्प लिया। मुख्य आयोजन गोरखनाथ मंदिर में हुआ। योग दिवस पर सुबह 6 बजे गोरखनाथ मंदिर में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी योग किया। सीएम के साथ सांसद रवि किशन, महापौर डॉ. मंगलेश श्रीवास्तव सहित पुलिस और प्रशासन के अफसर भी योगाभ्यास करते दिखे।

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योग हमारी पुरानी विरासत है मुख्यमंत्री ने इस आयोजन में स्वयं भी कई योगासन किए। इस दौरान सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि सामान्य स्वास्थ्य के लिए लोग कई तरह एक्सरसाइज करते हैं, लेकिन स्वस्थ शरीर के साथ स्वस्थ मस्तिष्क केवल योग से ही संभव है। योग की विधा से ही ऐसा हो सकता है। भारतीय मनीषा के हजारों वर्षों की ये परंपरा हम सब की विरासत का हिस्सा है। विश्व आज ऋषि परंपरा के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहा है।

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योग से जुड़े दुनिया के 200 देश मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की प्रेरणा और मार्गदर्शन में आज दुनिया के 200 देश अंतरराष्ट्रीय योग के अवसर पर योग के विभिन्न कार्यक्रमों के साथ जुड़े हैं। इस तरह वह योग की विभिन्न विधाओं के साथ जुड़कर भारत की ऋषि परंपरा के प्रति अपनी कृतज्ञता व्यक्त कर रहे हैं।

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योग अवश्य अपनाएं मुख्यमंत्री ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर सभी को शुभकामनाएं देते हुए इसे अपनाने की अपील की। उन्होंने कहा कि योग संपूर्ण जीवन पद्धति, जीवन का अनुशासन है। शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य, योग के स्वाभाविक परिणाम हैं, इसलिए योग अवश्य अपनाएं।

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योगमय गोरखपुर गोरखपुर यूनिवर्सिटी परिसर, स्कूल-कॉलेज, मदरसों, पुलिस-सेना और अर्धसैनिक बलों के कैंपस, पार्कों, कॉलोनियों, हाउसिंग सोसाइटी, थानों और सरकारी विभागों के कार्यालयों से लेकर हर जगह लोग योगाभ्यास करते दिखे। योगा कर रहे लोगों का कहना है कि योग सुंदर जीवन जीने का मार्ग है। हम सभी को अपने शरीर को निरोग रखने के लिए रोजाना योगाभ्यास करना चाहिए। उत्तर प्रदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।
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Gorakhpur News : राष्ट्रवादी विचारधारा से ओतप्रोत एक मिशन है गीताप्रेस, समाज सुधार में भी छोड़ी अमिट छाप

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Geetapress is a mission steeped in nationalist ideology, left an indelible mark in social reform
locationभारत
userचेतना मंच
calendar20 Jun 2023 10:31 PM
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गोरखपुर। केंद्र सरकार की ओर से 2021 का गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर की प्रसिद्ध गीता प्रेस को देने की घोषणा की गई है। इसकी घोषणा होते ही कांग्रेस आदि दल गीता प्रेस को निशाने पर लेते हुए शाब्दिक बाण चलाना शुरू कर दिए हैं। बता दें कि गीता प्रेस की स्थापना जयदयाल गोयंदका (Jay Dayal Goyndka) ने 1923 में की थी। जयदयाल गोयंदका का जन्म साल 1885 में राजस्थान के चूरू में हुआ था। वे बचपन से ही गीता और रामचरितमानस से बेहद प्रभावित थे। बाद में वे अपने परिवार के साथ बिजनेस के लिए बांकुड़ा (पश्चिम बंगाल) चले गए। इन्होंने ही कोलकाता में 'गोविंद भवन' और गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की। 17 अप्रैल, 1965 को ऋषिकेश में गंगा किनारे जयदयाल गोयंदका ने अपना शरीर त्याग दिया था।

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गीता की शुद्ध प्रतियों के लिए गीता प्रेस की स्थापना जयदयाल गोयंदका बेहद धार्मिक प्रवृत्ति के थे। वे भगवद्गीता पर प्रवचन करते थे। भगवद्गीता के प्रचार के दौरान उन्हें लगा कि आज के समय में गीता की शुद्ध प्रतियां मिलना बेहद कठिन है। इसके बाद ही उनके मन में गीता को शुद्ध भाषा में प्रकाशित करने का विचार आया। उन्होंने 1923 में गोरखपुर में गीता प्रेस की स्थापना की। पवित्र काम में गोयंदका के मौसेरे भाई ने दिया साथ गीता प्रेस की स्थापना के बाद जयदयाल गोयंदका के मौसेरे भाई हनुमान प्रसाद पोद्दार भी उनसे जुड़ गए और समर्पित भाव से गीता प्रेस के लिए काम करने लगे। वर्तमान में गीता प्रेस का हेड ऑफिस कोलकाता स्थित 'गीता भवन' में है, जो कि एक रजिस्टर्ड सोसायटी है।

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गीता की 11 करोड़ से ज्यादा प्रतियों का हुआ है प्रकाशन गीता प्रेस द्वारा मुख्य रूप से हिंदी और संस्कृत भाषा में साहित्य प्रकाशित किया जाता था। हालांकि, बाद में तमिल, तेलुगु, मराठी, कन्नड़, बांग्ला, गुजराती, असमिया, गुरुमुखी, नेपाली तथा उड़िया समेत 15 भाषाओं में पुस्तकें प्रकाशित होने लगीं। गीता प्रेस से श्रीमद्भगवद्गीता की 11.42 करोड़ प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं। इसके अलावा श्रीरामचरितमानस की 9.22 करोड़, पुराण-उपनिषद जैसे ग्रंथों की 1.90 करोड़ प्रतियां प्रकाशित हो चुकी हैं।

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नहीं लेता कोई चंदा गीता प्रेस सरकार या किसी भी अन्य व्यक्ति या संस्था से किसी भी तरह का कोई अनुदान (Grant) या चंदा नहीं लेता है। गीता प्रेस में हर दिन करीब 50 हजार से ज्यादा पुस्तकें छपती हैं। गीता प्रेस अपनी पुस्तकों में किसी भी जीवित व्यक्ति की फोटो नहीं छापता है और न किसी तरह का कोई विज्ञापन प्रकाशित करता है। गीता प्रेस का संचालन कोलकाता स्थित 'गोविंद भवन' से होता है।

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गीता प्रेस का समाज कल्याण में अद्भुत योगदान गीता प्रेस दरअसल एक प्रकाशन नहीं, बल्कि राष्ट्रवाद की विचारधारा से ओतप्रोत एक मिशन है। बिना किसी मुनाफे की आकांक्षा के साहित्य के माध्यम से संस्कृति और सभ्यता के प्रचार प्रसार का मिशन। प्राणी मात्र का उत्तम चरित्र निर्माण और समाज के हर वर्ग में सुधार के लिए सौ वर्षों से निःस्वार्थ भाव से सेवा में जुटी गीता प्रेस को 2021 का ‘गांधी शांति पुरस्कार’ मिलना हर भारतीय के लिए प्रसन्नता और गौरव का विषय है। सहज सरल और त्रुटिहीन शब्दों के जरिये बेहद कम मूल्य में प्रकाशित पुस्तकें धर्म, शांति एवं समाज कल्याण के क्षेत्र में अद्भुत योगदान दे रहीं हैं। राजेन्द्र प्रसाद ने किया था प्रवेश द्वार का उद्घाटन गीता प्रेस का प्रवेश द्वार प्रतीकात्मक गीता द्वार का स्वरूप है, जिसका उद्घाटन तत्कालीन राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद ने 29 अप्रैल 1955 को किया था। गीता द्वार के निर्माण में देश की प्राचीन कला और प्राचीन स्थापत्य शैली नजर आती है। उत्तर प्रदेशकी खबरों से अपडेट रहने लिएचेतना मंचके साथ जुड़े रहें। देशदुनिया की लेटेस्ट खबरों से अपडेट रहने के लिए हमेंफेसबुकपर लाइक करें याट्विटरपर फॉलो करें।