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Gorakhpur News: सूबेदार सिंह के अचार के दीवाने हैं लोग,20 साल पहले घर चलाने के लिए शुरू किया था अचार बेचना

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Gorakhpur News:  अक्सर स्वादिष्ट अचार बनाना औरतों का काम माना जाता है लेकिन गोरखपुर में एक पिता और पुत्र की ऐसी जोड़ी है जो मिलकर अपने अचार के बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं। 20 साल पहले सूबेदार सिंह ने अचार बनाना शुरू किया था । अपने हाथों से अचार बनाते और लाकर उसे मार्केट में बेचते।  यह सिलसिला चलता रहा सूबेदार काम करते रहे, शुरू के दो चार साल काम धीमा रहा और मेहनत ज्यादा लगती थी,  फिर भी इस काम को सूबेदार सिंह ने जारी रखा. आज 20 साल उस काम को हो गए और अब वह अपने पुत्र के साथ इस बिजनेस को आगे बढ़ा रहे हैं 10 साल से उनका लड़का इस काम में उनका साथ दे रहा है.

पिता तैयार करते अचार, बेटा करता सेल

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गोरखपुर में रेलवे कारखाना गेट के पीछे अचार बेचते हुए सूबेदार सिंह के पुत्र चंदन से हमारी मुलाकात हुई चंदन बताते हैं हम गोरखपुर के शिवपुरी में एक किराए के कमरे में रहते हैं. पिताजी अचार का काम 20 साल से कर रहे हैं मैं पिछले 10 सालों से उनके साथ जुड़ा हूं हम लोग कहीं घूम के अचार नहीं बेचते कारखाने गेट के पीछे हम छोटी सी गाड़ी पर अचार बेचते हैं. हम दो भाई हैं एक प्राइवेट जॉब करते हैं मैं पिताजी के साथ काम कर रहा हूं 5 सालों से पिताजी के पैर में दिक्कत है तो वो अब सिर्फ घर पर बनाते हैं. मैं बाहर सेल करता हूं हमारा आचार पसंद करने वाले पुराने ग्राहक हैं इसीलिए 20 साल से इस सुनसान रोड पर भी हम लोग सारे अचार फटाफट बेच देते हैं.

Gorakhpur News:  10 से 15 तरह के अचार

सूबेदार सिंह की दुकान पर 10 से 15 तरह के अचार मिल जाते हैं. सूखी मिर्ची से लेकर हरी मिर्ची और कटहल से लेकर आलू तक के अचार यह बेचते हैं. ये अपने पैकेट बनाकर पहले से ही तैयार करते हैं ताकि कस्टमर के आने पर पैक ना करना पड़े । 50 रुपए से इनके 250 ग्राम के छोटे पैकेट शुरू हो जाते हैं और 300 तक के अचार इनके पास मौजूद है.।  चंदन बताते हैं कि इनके सबसे ज्यादा कस्टमर उसी रेल कारखाने में काम करने वाले रेलकर्मी हैं. कुछ तो ऐसे कस्टमर है जो पिताजी के समय से आज तक अचार के लिए हमारे ही पास आते हैं.

Gorakhpur News:  सूबेदार सिंह अकेले ही तैयार करते हैं आचार

अचार की दुकान चलाने वाले सूबेदार के पुत्र चंदन कहते हैं यह उनके दादा भी आचार बनाना जानते थे , पिताजी में भी ये हुनर था । शायद यही कारण है कि लोग हमारा आचार इतना पसंद करते हैं. पिताजी का अचार बनाने का पुराना नुस्खा है और उसकी तैयारी अकेले ही करते है मार्केट से एक एक चीज वह खुद खरीद कर और चेक करके ले आते हैं. 7 दिनों के प्रोसेस में सूबेदार सिंह करीब 30 से 40 किलो अचार तैयार कर देते हैं इन सब की तैयारी वो अकेले घर पर करते हैं और बेचने की जिम्मेदारी पुत्र चंदन संभाल रहे हैं.Gorakhpur News

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