देश दुनिया में अपने बेहतरीन रिसर्च वर्क के लिए पहचाने जाने वाले आईआईटी कानपुर ने अब एक ऐसे रोबोट को बनाने का बीड़ा उठाया है जो इंसान के शरीर के अंदर जाकर उन तमाम बीमारियों की सही और सटीक जानकारी उपलब्ध कराएगा जो अभी एक जटिल प्रक्रिया मानी जाती है। नसों, धमनियों और कोशिकाओं पर दिल, गुर्दा, फेफड़ा, लिवर समेत शरीर के अन्य हिस्सों में होने वाले रोग का सीधा असर पड़ता है। इन बीमारियों का असानी से पता लगाने के लिए अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी), कानपुर नए प्रयोग पर काम कर रहा है। अगर यह प्रयोग सफल होता है तो इससे न केवल संबंधित बीमारियों का आसानी से पता लगाया जा सकेगा बल्कि रोगग्रस्त अंग तक दवा भी पहुंचाई जा सकेगी।
दरअसल, कानपुर आइआइटी में मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग के विशेषज्ञ माइक्रो रोबोट पर काम रहे हैं जो रक्तवाहिकाओं (धमनियों, नसों) तथा कोशिकाओं में जाकर न सिर्फ कारण पता लगाएगा बल्कि रोगग्रस्त अंग तक दवा भी पहुंचाएगा। इसका सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि अधिकांश मरीजों में सर्जरी की जरूरत नहीं पड़ेगी। जहां रोगग्रस्त अंग में स्थिति अधिक नाजुक होगी, वहीं सर्जरी का वैकल्पिक इस्तेमाल किया जाएगा। इस माइक्रो रोबोट के अगले साल तक विकसित कर लिए जाने की संभावना है। इस प्रोजेक्ट में आइआइटी कानपुर के विशेषज्ञ जर्मनी के इंस्टीट्यूट फार इंटेलीजेंस सिस्टम के विशेषज्ञों के साथ काम कर सकते हैं। इसके बनने के बाद पशुओं और मनुष्यों पर परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण के काम में सरकारी और निजी अस्पताल की मदद ली जा सकती है। बताया जा रहा है कि माइक्रो रोबोट आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, मशीन लर्निंग और मैथमेटिकल माडलिंग की तकनीक पर आधारित रहेगा। यह नस, धमनियों और कोशिकाओं के अंदर जाते ही आक्सीजन का स्तर, रक्त की गुणवत्ता, रोग प्रतिरोधक क्षमता, प्रोटीन और अन्य कारकों की जांच करके रिपोर्ट स्वचालित तरीके से कंप्यूटर स्क्रीन पर भेजेगा। यह अपने आप निर्णय ले सकता है। इसे शरीर से आसानी से बाहर निकाला जा सकेगा।
कम लागत पर होगा खास ध्यान :
यह तकनीक आम आदमी की पहुंच में रहे, इसका विशेष रूप से ध्यान रखा जाएगा। विज्ञानी इसके लिए अभी से कार्ययोजना बना रहे हैं कि कैसे इसे बनाने और संचालित करने में कम से कम लागत की दिशा में काम किया जाए।
200 माइक्रान का होगा रोबोट :
शोध से जुड़े वैज्ञानिकों ने बताया कि नस की चौड़ाई 300 माइक्रान होती है। इसे यूं समझें कि बाल की मोटाई तकरीबन 100 माइक्रान होती है और नस उससे तीन गुना मोटी होती है। रोबोट 200 माइक्रान तक का होगा। उन्होंने बताया कि अगले साल तक माइक्रो रोबोट तैयार करने की योजना है।
इंजेक्शन द्वारा शरीर में भेजा जाएगा रोबोट :
विशेषज्ञों के मुताबिक रोबोट को नसों के जरिये विशेष प्रकार के इंजेक्शन के द्वारा शरीर के भीतर भेजा जाएगा। इसके लिए अन्य सरल तरीके भी देखे जाएंगे। रोबोट अंगों में कैंसर, संक्रमण या अन्य किसी भी बैक्टीरिया और वायरस के संक्रमण की स्थिति तथा वजह का पता लगाने के साथ ही रोगग्रस्त स्थान पर दवा पहुंचाकर रोगी हो ठीक करने में मदद पहुंचाएगा।