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Sawan Special : इस शिवधाम में खुले आसमान के नीचे है शिवलिंग, नहीं डल पाती है छत

Sawan Special: Shivling is under the open sky in this Shivdham, the roof cannot be put

 

 

 

सैय्यद अबू साद

Sawan Special : कानपुर। सावन के पवित्र माह में बाबा शिव के दर्शन के लिए इन दिनों हर शिव मंदिर में भक्तों की भीड़ उमड़ी हुई है। बाबा के हर शिवालयों में सुबह से ही भक्तों का तांता लग जाता है। भगवान शिव के दरवार में भक्त माथा टेककर मन्नत मांग रहे हैं। ऐसे में हम आपको उत्तर प्रदेश के कानपुर जनपद स्थित ऐसे इकलौत शिवमंदिर से रूबरू कराने जा रहे हैं, जहां पर खुले आसमान के नीचे विराजमान है शिवलिंग। बहुत ही अनोखा है भोलानाथ धाम उर्फ भोली देवी का मंदिर का रहस्य। मान्यता है कि मंदिर में भगवान शिव पर एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से महादेव सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। श्रावण मास में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है।

Sawan Special :

 

यूं पड़ा भोली देवी मंदिर नाम
मान्यता है कि जिस जगह पर मंदिर स्थित है वहां काफी समय पहले जंगल था। चरवाहे यहां अपनी गायों को चराने के लिए लाते थे। एक गाय मंदिर वाले स्थान पर अपना दूध गिरा देती थी। जब इस जगह खोदाई हुई तो यहां एक शिवलिंग निकला। इसके बाद यहां मंदिर की स्थापना की गई। यहां स्थापित शिवलिंग खुले आसमान के नीचे है। मंदिर में शिवलिंग के साथ कई देवियों की प्रतिमाएं स्थापित है। इसलिए इस मंदिर को भोली देवी मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। मुख्य पुजारी के अनुसार, मंदिर में भगवान भोलेनाथ और देवियों के दर्शन के लिए दूर-दूर से भक्त आते हैं। मंदिर में भगवान शिव पर एक लोटा जल चढ़ाने मात्र से भक्तों को उनका आशीष प्राप्त होता है। मान्यता है कि महादेव अपनी चौखट पर आने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी करते हैं। श्रावण मास में यहां भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। सोमवार के दिन पूजा का विशेष महत्व होता है।

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नहीं डल पाती है छत
भीतरगांव स्थित यह मंदिर प्राचीनकाल का बताया जाता है। मंदिर अपने आप में कई रहस्य समेटे हुए है। इस मंदिर की ख्याति आसपास जनपदों तक फैली हुई है। इस मंदिर की मान्यता है कि आजतक कोई भी मंदिर की छत नहीं डलवा पाया है। प्राचीन शिव मंदिर के ऊपर कई बार छत डलवाने की कोशिश की गई, लेकिन कभी आंधी तो कभी दूसरे कारणों से छत नहीं पड़ पाई। स्थानीय बुजुर्ग बताते हैं कि कई बार मंदिर में भक्तों ने छत डलवानी चाही पर बाबा ने उन्हें सपना देकर मना कर दिया। इसके चलते यहां पर शिवलिंग खुले आसमान के नीचे विराजमान है। यहां पर दूर-दूर से आने वाले भक्त अपनी मनोकामना मांगते हैं। बाबा सभी भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। सावन में यहां आसपास से लोग दर्शन करने आते हैं। शिवरात्रि में यहां पर बाबा की बारात निकलती है।

पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित
कानपुर से करीब 45 किमी की दूरी पर स्थित भीतरगांव ब्लाक के परौली गांव में रिंद नदी के किनारे भोलानाथ धाम उर्फ भोली देवी का मंदिर स्थित है। प्राचीन मंदिर पुरातत्व विभाग द्वारा संरक्षित है। यह मंदिर भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र रहता है। भीतरगांव निवासी दीपेंद्र कुशवाहा ने बताया कि इसकी ख्याति और इसके रहस्य के कारण पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर को अपने संरक्षण में लिया है। श्रावण मास में महादेव के शृंगार और देवियों के दर्शन को बड़ी संख्या में भक्त पहुंचते हैं। महादेव का जलाभिषेक करने के बाद देवी मां के दर्शन से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

मंदिर की विशेषता
मंदिर में स्थापित शिवलिंग जमीन से निकला हुआ है। बुजुर्गों ने बताया कि कई बार ग्रामीणों ने शिवलिंग का छोर तलाशने के लिए यहां पर खोदाई की पर यहां पर उन्हें शिवलिंग का छोर नही मिला। इसके बाद ग्रामीणों ने यहां पर चबूतरा बना दिया। यहां पर बड़ी संख्या में पहुंचने वाले भक्त बाबा को बेल पत्र चढ़ाकर शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। यहां पर सावन में भक्त कांवर भी चढ़ाते हैं। स्थानीय निवासी ओमप्रकाश मिश्रा ने बताया कि मंदिर में पहुंचने वाले सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह मंदिर आसपास के गांव के लोगों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र है। यहां पर भगवान भोलेनाथ का जलाभिषेक करने से कष्ट दूर होते हैं।

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