Lucknow News : उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में मंदबुद्धि नाबालिग सगी भतीजी के साथ दुष्कर्म करने के आरोपी चाचा को पॉक्सो एक्ट के तहत कोर्ट ने दोषी ठहराया है। विशेष न्यायाधीश ने 20 वर्ष के कठोर कारावास व 30 हजार रुपए के जुर्माने की सज़ा सुनाई है। वहीं अदालत ने कहा है कि जुर्माने की आधी धनराशि पीड़िता को दी जाएगी। बता दें कि इस मामले की पीड़िता के परिजन ने कृष्णा नगर थाने में एफआईआर दर्ज कराई थी।
2017 में दर्ज हुआ था मुकदमा
विशेष अधिवक्ता सुखेंद्र प्रताप सिंह ने अदालत को बताया कि वादी ने कृष्णा नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराते हुए कहा था कि 17 जुलाई 2017 को वह अपनी पत्नी एवं बेटे के साथ सिंगार नगर गए थे तथा घर में मंदबुद्धि नाबालिग बेटी थी। कहा गया कि उसकी बेटी अच्छे बुरे का अंतर नहीं समझ पाती तथा घर में सो रही थी। इसी बीच उसके छोटे भाई आरोपी ने घर में जाकर पीड़िता के साथ दुराचार किया। अदालत को बताया गया है कि मां को देखकर पीड़िता रोने लगी तथा उसने बताया कि चाचा लालता प्रसाद ने उसके साथ दुष्कर्म किया है। फोन द्वारा वादी को जब सूचना दी गई कि इसी बीच आरोपी मौका पाकर भाग गया था।
जानिए क्या है पॉस्को एक्ट
बता दें कि देश में बच्चों और नाबालिगों के यौन-शोषण के बढ़ते मामलों के मद्देनजर सरकार द्वारा पॉक्सो एक्ट लागू किया गया था, जिससे बाल यौन-शोषण की घटनाओ पर अंकुश लगाया जा सके। ये एक्ट या अधिनियम महिला और बाल विकास मंत्रालय द्वारा वर्ष 2012 में बनाकर लागू किया गया था। जिसमें बच्चों और नाबालिगों के साथ यौन-शोषण पर प्रभावी अंकुश लगाने एवं बच्चों को यौन-शोषण, यौन उत्पीड़न एवं पोर्नोग्राफी के खिलाफ असरदार तरीके से बचाव करने के प्रावधान किए गए हैं। इसमें बाल यौन-शोषण के वर्गीकरण के साथ आरोपितों को सजा के कड़े प्रावधानों की व्यवस्था है।
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