UP Political News : डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने सपा पर बोला हमला




UP News /चित्रकूट। उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल में विधायक अब्बास अंसारी और उसकी पत्नी निखत की गैर कानूनी ढंग से मुलाकात मामले में पुलिस ने जेल अधिकारियों के आवास से करीब छह लाख रुपये की नकदी, एक कार और दो मोबाइल फोन बरामद किये हैं। पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला ने बताया कि चित्रकूट जेल में बंद विधायक अब्बास अंसारी तथा उसकी पत्नी निखत बानो की गैरकानूनी तरीके से जेल में मुलाकात के पीछे मोटी रकम एवं महंगे उपहार का लालच ही सबसे बड़ा कारण रहा।
उन्होंने बताया कि जेल में रहने के दौरान अब्बास को जेल अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर व वार्डन का पूरा सहयोग मिलता रहा। उन्होंने बताया कि सोमवार को जेल अधीक्षक अशोक सागर, जेलर संतोष कुमार तथा वार्डन जगमोहन का चिकित्सीय जांच कराकर पुलिस ने लखनऊ रवाना किया, जहां तीनों को भ्रष्टाचार निवारण अदालत में पेश किया गया।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इनके कब्जे से पुलिस ने लगभग छह लाख की नकदी, कार तथा दो मोबाइल बरामद किए हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिला जेल में लगभग दो माह से चल रहे गैरकानूनी कार्य के पीछे जेल अधीक्षक अशोक सागर, जेलर संतोष कुमार तथा वार्डन जगमोहन सिंह (तीनों निलंबित) की ही मुख्य भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में सामने आया कि रुपयों के लालच और विधायक अब्बास अंसारी के प्रभाव में आकर इन्होंने उसे जेल में पूरी छूट दी थी। बिना पर्ची उसकी पत्नी निखत और वाहन चालक नियाज डिप्टी जेलर चंद्रकला के कमरे में मिलते थे।
इस दौरान वार्डन जगमोहन सिंह जेल के अंदर तथा बाहर की व्यवस्था संभाला करता था। यही वार्डन कैंटीन चलाने वाले नवनीत सचान के घर से छह लाख रुपये लेकर आया और इन अधिकारियों को बांटा था।
प्रकरण की जांच टीम ने जेल अधीक्षक के आवास से चार लाख व जेलर के आवास से एक लाख 80 हजार रुपये की नकदी के साथ एक कार व दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बरामद कार जेलर संतोष को उपहार में दी गई थी। इसकी एक किश्त का नकद भुगतान हुआ है, ऐसे में इस बात की आशंका है कि जो नकदी मिली है उसी से इसका भुगतान हुआ है।
उन्होंने कहा कि नकदी व तोहफे देने का सिलसिला कई बार चला है, जिसकी जानकारी ली जा रही है। अभी तक यह पता चला कि अंतिम बार सात फरवरी को छह लाख रुपये दिए गए थे।
एसपी के अनुसार, आगे की जांच अभी जारी है, कई और नाम सामने आ सकते हैं। इसमें जेल से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी भी होंगे।
आपको बता दें कि अब तक इस मामले में अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो, वाहन चालक नियाज, सपा नेता फराज खान, कैंटीन चलाने वाला नवनीत सचान, डिप्टी जेलर चंद्रकला को पहले ही जेल भेजा जा चुका है और मामले में अब तक कुल आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।
UP News /चित्रकूट। उत्तर प्रदेश की चित्रकूट जेल में विधायक अब्बास अंसारी और उसकी पत्नी निखत की गैर कानूनी ढंग से मुलाकात मामले में पुलिस ने जेल अधिकारियों के आवास से करीब छह लाख रुपये की नकदी, एक कार और दो मोबाइल फोन बरामद किये हैं। पुलिस ने इसकी जानकारी दी।
पुलिस अधीक्षक वृंदा शुक्ला ने बताया कि चित्रकूट जेल में बंद विधायक अब्बास अंसारी तथा उसकी पत्नी निखत बानो की गैरकानूनी तरीके से जेल में मुलाकात के पीछे मोटी रकम एवं महंगे उपहार का लालच ही सबसे बड़ा कारण रहा।
उन्होंने बताया कि जेल में रहने के दौरान अब्बास को जेल अधीक्षक, जेलर, डिप्टी जेलर व वार्डन का पूरा सहयोग मिलता रहा। उन्होंने बताया कि सोमवार को जेल अधीक्षक अशोक सागर, जेलर संतोष कुमार तथा वार्डन जगमोहन का चिकित्सीय जांच कराकर पुलिस ने लखनऊ रवाना किया, जहां तीनों को भ्रष्टाचार निवारण अदालत में पेश किया गया।
पुलिस अधीक्षक ने बताया कि इनके कब्जे से पुलिस ने लगभग छह लाख की नकदी, कार तथा दो मोबाइल बरामद किए हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि जिला जेल में लगभग दो माह से चल रहे गैरकानूनी कार्य के पीछे जेल अधीक्षक अशोक सागर, जेलर संतोष कुमार तथा वार्डन जगमोहन सिंह (तीनों निलंबित) की ही मुख्य भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि अब तक की जांच में सामने आया कि रुपयों के लालच और विधायक अब्बास अंसारी के प्रभाव में आकर इन्होंने उसे जेल में पूरी छूट दी थी। बिना पर्ची उसकी पत्नी निखत और वाहन चालक नियाज डिप्टी जेलर चंद्रकला के कमरे में मिलते थे।
इस दौरान वार्डन जगमोहन सिंह जेल के अंदर तथा बाहर की व्यवस्था संभाला करता था। यही वार्डन कैंटीन चलाने वाले नवनीत सचान के घर से छह लाख रुपये लेकर आया और इन अधिकारियों को बांटा था।
प्रकरण की जांच टीम ने जेल अधीक्षक के आवास से चार लाख व जेलर के आवास से एक लाख 80 हजार रुपये की नकदी के साथ एक कार व दो मोबाइल फोन बरामद किए हैं। पुलिस अधीक्षक ने बताया कि बरामद कार जेलर संतोष को उपहार में दी गई थी। इसकी एक किश्त का नकद भुगतान हुआ है, ऐसे में इस बात की आशंका है कि जो नकदी मिली है उसी से इसका भुगतान हुआ है।
उन्होंने कहा कि नकदी व तोहफे देने का सिलसिला कई बार चला है, जिसकी जानकारी ली जा रही है। अभी तक यह पता चला कि अंतिम बार सात फरवरी को छह लाख रुपये दिए गए थे।
एसपी के अनुसार, आगे की जांच अभी जारी है, कई और नाम सामने आ सकते हैं। इसमें जेल से जुड़े अधिकारी और कर्मचारी भी होंगे।
आपको बता दें कि अब तक इस मामले में अब्बास अंसारी की पत्नी निखत बानो, वाहन चालक नियाज, सपा नेता फराज खान, कैंटीन चलाने वाला नवनीत सचान, डिप्टी जेलर चंद्रकला को पहले ही जेल भेजा जा चुका है और मामले में अब तक कुल आठ लोग गिरफ्तार हो चुके हैं।

UP News/ लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने मंगलवार को कहा कि प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस द्वारा अब तक की गयी कार्रवाई से जनता में कानून के राज को लेकर व्यापक संदेह पैदा हो गया है और पूरा देश देख रहा है कि क्या सरकार अपराधियों को सड़क पर खत्म करने का तरीका अपनायेगी।
मायावती ने दो सिलसिलेवार ट्वीट में उमेश पाल हत्याकांड मामले में पुलिस की कार्रवाई पर गम्भीर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकाण्ड के बाद इस संबंध में काफी आपाधापी में अब तक की गई पुलिस कार्रवाई जो जनता के सामने आई है, उससे लोगों के बीच प्रदेश में कानून के राज के प्रति भारी संदेह है कि क्या सरकार अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए दूसरा 'विकास दुबे काण्ड' करेगी। विकास दुबे जुलाई 2020 में कानपुर देहात के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की घात लगाकर हत्या किये जाने के मामले में मुख्य अभियुक्त था। मध्यप्रदेश से कानपुर लाते वक्त रास्ते में राज्य पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया।
प्रयागराज में पिछले महीने हुए उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों के हत्याकांड के मामले में प्रमुख अभियुक्त पूर्व सांसद अतीक अहमद के परिजन ने अहमद, उसके भाई और बेटों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या किये जाने की आशंका जाहिर की है।
मायावती ने एक अन्य ट्वीट में कहा 'वैसे पुराने राजू पाल हत्याकाण्ड के गवाह उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या को लेकर सरकार कानून—व्यवस्था के मामले में काफी तनाव एवं दबाव में है, मगर पूरा देश देख रहा है कि क्या सरकार कानून द्वारा कानून के राज पर अमल करेगी या अपराधियों को सड़क पर समाप्त करके अपराध रोकेगी?' गौरतलब है कि गत 24 फरवरी को प्रयागराज में एक दुस्साहसिक वारदात में हथियारबंद बदमाशों ने पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों की ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इस मामले में उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम तथा नौ अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
मामले में शामिल बताये जा रहे अरबाज और विजय चौधरी क्रमश: गत 27 फरवरी और छह मार्च को पुलिस के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।
अतीक अहमद के परिजन ने सोमवार को प्रयागराज में संवाददाता सम्मेलन में अहमद, उसके भाइयों और बेटों को फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगायी थी।
UP News/ लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी (BSP) अध्यक्ष मायावती (Mayawati) ने मंगलवार को कहा कि प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकांड के बाद पुलिस द्वारा अब तक की गयी कार्रवाई से जनता में कानून के राज को लेकर व्यापक संदेह पैदा हो गया है और पूरा देश देख रहा है कि क्या सरकार अपराधियों को सड़क पर खत्म करने का तरीका अपनायेगी।
मायावती ने दो सिलसिलेवार ट्वीट में उमेश पाल हत्याकांड मामले में पुलिस की कार्रवाई पर गम्भीर सवाल उठाये हैं। उन्होंने कहा कि प्रयागराज में उमेश पाल हत्याकाण्ड के बाद इस संबंध में काफी आपाधापी में अब तक की गई पुलिस कार्रवाई जो जनता के सामने आई है, उससे लोगों के बीच प्रदेश में कानून के राज के प्रति भारी संदेह है कि क्या सरकार अपनी विफलताओं पर पर्दा डालने के लिए दूसरा 'विकास दुबे काण्ड' करेगी। विकास दुबे जुलाई 2020 में कानपुर देहात के बिकरू गांव में आठ पुलिसकर्मियों की घात लगाकर हत्या किये जाने के मामले में मुख्य अभियुक्त था। मध्यप्रदेश से कानपुर लाते वक्त रास्ते में राज्य पुलिस की विशेष कार्य बल (एसटीएफ) के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारा गया।
प्रयागराज में पिछले महीने हुए उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों के हत्याकांड के मामले में प्रमुख अभियुक्त पूर्व सांसद अतीक अहमद के परिजन ने अहमद, उसके भाई और बेटों की फर्जी मुठभेड़ में हत्या किये जाने की आशंका जाहिर की है।
मायावती ने एक अन्य ट्वीट में कहा 'वैसे पुराने राजू पाल हत्याकाण्ड के गवाह उमेश पाल की दिनदहाड़े हुई हत्या को लेकर सरकार कानून—व्यवस्था के मामले में काफी तनाव एवं दबाव में है, मगर पूरा देश देख रहा है कि क्या सरकार कानून द्वारा कानून के राज पर अमल करेगी या अपराधियों को सड़क पर समाप्त करके अपराध रोकेगी?' गौरतलब है कि गत 24 फरवरी को प्रयागराज में एक दुस्साहसिक वारदात में हथियारबंद बदमाशों ने पूर्व विधायक राजू पाल हत्याकांड के प्रमुख गवाह उमेश पाल और उसके दो सुरक्षाकर्मियों की ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी थी।
इस मामले में उमेश पाल की पत्नी जया पाल की शिकायत पर धूमनगंज थाने में पूर्व सांसद अतीक अहमद, उसके भाई अशरफ, उसकी पत्नी शाइस्ता परवीन, उसके दो बेटों, उसके साथी गुड्डू मुस्लिम और गुलाम तथा नौ अन्य लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था।
मामले में शामिल बताये जा रहे अरबाज और विजय चौधरी क्रमश: गत 27 फरवरी और छह मार्च को पुलिस के साथ हुई कथित मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं।
अतीक अहमद के परिजन ने सोमवार को प्रयागराज में संवाददाता सम्मेलन में अहमद, उसके भाइयों और बेटों को फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की आशंका जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मदद की गुहार लगायी थी।