रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वाले दो के खिलाफ लगा रासुका, स्वामी प्रसाद के बयान के बाद बढ़ा विवाद

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Lucknow
locationभारत
userचेतना मंच
calendar06 Feb 2023 03:51 PM
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Lucknow News: उत्तर प्रदेश में रामचरितमानस की प्रतियां जलाने को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। बिहार से शुरु हुए इस विवाद को स्वामी प्रसाद मौर्य के विवादित बयान ने इस मामले को तूल दिया। उसके बाद विरोध के नाम पर प्रतियां जलाने ने भी समाज के बड़े तबके की भावनाओं को आहत किया। अब उस विवाद को लेकर ही यूपी पुलिस ने बड़ा एक्शन लिया है। जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार के आदेश पर दो आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई है। बता दें कि प्रतियां जलने के मामले में सपा नेता स्वामी प्रसाद के साथ 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है।

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5 आरोपी गिरफ्तार

बता दें कि 29 जनवरी को भाजपा कार्यकर्ता सतनाम सिंह लवी ने श्री रामचरितमानस की प्रतियां जलाने वालों के खिलाफ तहरीर दी थी इसके बाद पुलिस ने सलीम हसन और सत्येंद्र कुशवाहा समेत कुल 5 लोगों को गिरफ्तार किया था। फिर गिरफ्तार आरोपियों के खिलाफ जांच पड़ताल की कार्रवाई शुरू की गई। वहीं सलीम और सत्येंद्र कुशवाहा के खिलाफ एनएसए की कार्रवाई करते हुए रासुका लगाया गया। वहीं अन्य आरोपियों की भी भूमिका जांच की जा रही है। माना जा रहा है कि इस मामले में स्वामी प्रसाद मौर्य की मुश्किलें भी बढ़ सकती है।

जिस मंच पर व्याख्या करनी पड़ेगी करूंगा- सीएम योगी

स्वामी प्रसाद का समर्थन करते हुए अखिलेश यादव ने कहा था कि वह सदन में सीएम योगी आदित्यनाथ से उन चौपाइयों का अर्थ पूछेंगे, जिसे लेकर विवाद है। अखिलेश ने खुद को शूद्र कहकर राजनीति को हवा भी दी। उन्होंने सदन में सीएम योगी से इस संदर्भ में सवाल भी पूछने की बात कही। वहीं सीएम योगी ने चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने ने कहा, मुझे जिस मंच पर रामचरितमानस की व्याख्या करनी होगी, वहां मैं जरूर करूंगा। मैं इतना जरूर कह सकता हूं कि यह प्रकरण विकास और निवेश जैसे मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए उसी पार्टी की शरारत का हिस्सा है, जिसके एजेंडे में कभी विकास रहा ही नहीं।

सपा नेता ने राम चरितमानस को लेकर कही थी ये बात

दरअसल, जिन लोगों ने रामचरितमानस की प्रतियां जलाईं थीं। वो सभी ओबीसी महासभा से जुड़े हैं। एक तरफ स्वामी प्रसाद मौर्य का समर्थन कर रहे थे तो वहीं दूसरी तरफ रामचरितमानस का विरोध कर रहे थे। वैसे ये पूरा विवाद स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान के बाद ही शुरू हुआ था। सपा के राष्ट्रीय महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा था कि कई करोड़ लोग रामचरितमानस को नहीं पढ़ते, सब बकवास है। यह तुलसीदास ने अपनी खुशी के लिए लिखा है। उन्होंने कहा था कि- सरकार को इसका संज्ञान लेते हुए रामचरितमानस से आपत्तिजनक अंशों को बाहर करना चाहिए या इस पूरी पुस्तक को ही बैन कर देना चाहिए।

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मुसलमान पूरी तरह शरीअत पर अमल करें, यूनिफॉर्म सिविल कोड का इरादा छोड़े सरकार : पर्सनल लॉ बोर्ड

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UP News All India Muslim Personal Law Board
locationभारत
userचेतना मंच
calendar02 Dec 2025 04:40 AM
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UP News : लखनऊ। ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (All India Muslim Personal Law Board) ने रविवार को मुसलमानों से पूरी तरह शरिअत पर अमल करने की अपील करते हुये सरकार से समान नागरिक संहिता का इरादा छोड़ने का अनुरोध किया है तथा कहा है कि देश के संविधान में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी है।

UP News All India Muslim Personal Law Board

मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना सैयद राबे हसनी नदवी की अध्यक्षता में नदवतुल उलेमा लखनऊ में बोर्ड की कार्यकारिणी की रविवार को हुयी बैठक में प्रस्ताव पारित कर मुसलमानों से यह आह्वान किया गया।

बैठक के बाद बोर्ड के महासचिव मौलाना खालिद सैफ उल्लाह रहमानी की ओर से जारी बयान में कहा गया, 'बोर्ड की बैठक मुसलमानों को यह याद दिलाती है कि मुसलमान का मतलब अपने आपको अल्लाह के हवाले करना है, इसलिए हमें पूरी तरह शरीअत पर अमल करना है।'

बोर्ड ने अपने प्रस्ताव में यह भी कहा कि देश के संविधान में बुनियादी अधिकारों में हर व्यक्ति को अपने धर्म पर अमल करने की आजादी दी गयी है, इसमें पर्सनल लॉ शामिल है। इसलिए हुकूमत से अपील है कि वह आम नागरिकों की मजहबी आजादी का भी एहतराम करे, क्योंकि समान नागरिक संहिता लागू करना अलोकतांत्रिक होगा। उन्होंने सरकार से इस इरादे को छोड़ने की अपील की है।

धर्मांतरण को लेकर बनाए गए विभिन्‍न राज्‍यों के कानूनों पर क्षोभ प्रकट करते हुए बोर्ड ने यह भी प्रस्‍ताव पारित किया है कि धर्म का संबंध उसके यकीन से है, इसलिए किसी भी धर्म को अपनाने का अधिकार एक बुनियादी अधिकार है।

All India Muslim Personal Law Board

उन्होंने बताया कि इसी बिना पर हमारे संविधान में इस अधिकार को स्‍वीकार्य किया गया है और हर नागरिक को किसी भी धर्म को अपनाने तथा धर्म का प्रचार करने की पूरी आजादी दी गयी है, लेकिन वर्तमान में कुछ प्रदेशों में ऐसे कानून लाए गए हैं, जो नागरिकों को इस अधिकार से वंचित करने की कोशिश है जो कि निंदनीय है।

उल्लेखनीय है कि उत्‍तर प्रदेश में उत्‍तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध अधिनियम-2021 के अनुसार राज्य में गैर कानूनी तरीके से धर्म परिवर्तन कराने या पहचान छिपाकर शादी करने के मामले में सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

आल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने यह भी प्रस्ताव पारित किया कि इबादतगाहों से संबंधित 1991 का कानून खुद हुकूमत का बनाया हुआ कानून है, जिसे संसद ने पारित किया है उसको कायम रखना सरकार का कर्तव्‍य है और इसमें देश का फायदा भी है।

बोर्ड के महासचिव रहमानी ने 1991 के कानून की याद दिलाते हुए बताया कि यह उपासना स्थल अधिनियम-1991’ को बरकरार रखने के लिए बोर्ड पैरवी कर रहा है।

उल्लेखनीय है कि वाराणसी में ज्ञानवापी और गौरी श्रृंगार विवाद तथा मथुरा में श्रीकृष्ण जन्‍म भूमि और शाही ईदगाह जैसे कुछ मामले हाल में सामने आये हैं जिनमें इस अधिनियम का हवाला दिया गया।

यह अधिनियम कहता है कि 15 अगस्त 1947 से पहले अस्तित्व में आए किसी भी धर्म के उपासना स्थल को, किसी दूसरे धर्म के उपासना स्थल में नहीं बदला जा सकता और यदि कोई इसका उल्लंघन करने का प्रयास करता है तो उसे जुर्माना और तीन साल तक की जेल भी हो सकती है।

यह कानून तत्कालीन प्रधानमंत्री पीवी नरसिंह राव के नेतृत्व वाली सरकार 1991 में लेकर आई थी, यह कानून तब आया जब बाबरी मस्जिद और अयोध्या का मुद्दा बेहद गर्म था।

बोर्ड की बैठक में मुसलमानों से अधिक से अधिक संख्या में अपने शैक्षिक संस्थान कायम करने तथा आधुनिक शिक्षा के साथ-साथ सभ्‍यता और संस्‍कृति की सुरक्षा को भी यकीनी बनाने की दिशा में काम करने की अपील की गयी है।

बोर्ड ने प्रस्ताव के जरिये औरतों के साथ इंसाफ, बुजुर्गों के साथ अच्‍छा व्‍यवहार, शादी में फिजूलखर्ची से परहेज, अपने मामलों को धार्मिक रहनुमाओं से हल कराने की कोशिश, गलत कार्यों से दूरी बनाए रखना, निकाह के बगैर औरत-मर्द को जिस्मानी संबंध से दूर रहने के लिये कहा है। बोर्ड ने मुसलमानों से यह भी अपील की कि बोर्ड के बनाए हुए निकाहनामें का प्रयोग करें।

सूत्रों ने बताया कि बोर्ड की बैठक में असम सरकार द्वारा बाल विवाह के खिलाफ शुरू किये गये अभियान की भी निंदा की गयी, बोर्ड ने इसकी निंदा करते हुए मामले का पुरजोर विरोध करने का भी फैसला किया।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व शर्मा ने शनिवार को कहा था कि राज्य पुलिस द्वारा पिछले दिन से शुरू किया गया बाल विवाह के खिलाफ अभियान 2026 में अगले विधानसभा चुनाव तक जारी रहेगा।

राज्य सरकार के अनुसार, 14 वर्ष से कम आयु की लड़कियों से शादी करने वालों के खिलाफ यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया जाएगा और जिन्होंने 14-18 वर्ष आयु वर्ग की लड़कियों से शादी की है उनके खिलाफ बाल विवाह निषेध अधिनियम, 2006 के तहत मामले दर्ज किए जाएंगे।

बोर्ड की बैठक में आल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी तथा मौलाना महमूद मदनी के अलावा कार्यकारिणी के अन्य सदस्य भी शामिल हुये।

Lucknow News: मौर्य के बयान के बाद ब्राह्मणों को साध रही सपा, जारी की गई नई सूची

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Lucknow News: मौर्य के बयान के बाद ब्राह्मणों को साध रही सपा, जारी की गई नई सूची

Akhilesh yadav
locationभारत
userचेतना मंच
calendar01 Dec 2025 11:03 PM
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Lucknow News: वरिष्ठ सपा नेता स्वामी प्रसाद मौर्य द्वारा रामचरितमानस को दिए गए विवादास्पद बयान के बाद समाजवादी पार्टी ने ब्राह्मण समाज को साधने का प्रयास किया है। रविवार को पार्टी की कार्यकारिणी की संशोधित सूची जारी की गई है। इस सूची में ब्राह्मण नेताओं को तवज्जों दी गई है। इसके अलावा ठाकुर नेताओं को भी इस नई सूची में शामिल करते हुए उन्हें पार्टी में वरिष्ठ पदों पर तैनाती दी गई है।

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सपा की पार्टी कार्यकारणी की संशोधित लिस्ट सूची के अनुसार, MLA ओम प्रकाश सिंह को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है, जबकि अरविंद सिंह गोप, अभिषेक मिश्र, अनु टंडन, तारकेश्वर मिश्र आदि को भी राष्ट्रीय सचिव बनाते हुए अहम जिम्मेदारी सौंपी गई है।

आपको बता दें कि रविवार की शाम समाजवादी पार्टी ने राष्ट्रीय कार्यकारणी की संशोधित लिस्ट जारी की गई। संशोधित सूची के मुताबिक, पूर्व मंत्री रहे और विधायक ओम प्रकाश सिंह को राष्ट्रीय सचिव बनाया गया है।

गौरतलब है कि 29 जनवरी को सपा के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से पार्टी के 62 सदस्यीय राष्ट्रीय कार्यकारिणी की सूची साझा की गई थी।

इस सूची के अनुसार फिर अखिलेश यादव को राष्ट्रीय अध्यक्ष, किरणमय नंदा को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, राम गोपाल यादव को राष्ट्रीय प्रमुख महासचिव बनाया गया था। इसके अलावा मोहम्मद आजम खां, शिवपाल सिंह यादव, स्वामी प्रसाद मौर्य, रवि प्रकाश वर्मा, बलराम यादव सहित 14 नेताओं को राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया था।

सपा कार्यकारिणी की नई संशोधित सूची

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