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संसाधन विकसित कर आत्मनिर्भर बनें पंचायतें: भूपेंद्र सिंह चौधरी, ग्राम भारती पत्रिका की ओर से ‘आत्मनिर्भर भारत बनाने में पंचायतों की भूमिका’ विषय पर हुई गोष्ठी

Moradabad: उत्तर प्रदेश सरकार (UP Govt) के पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी (Bhupendra Singh Chaudhary, Minister of Panchayati Raj) ने कहा कि ग्राम पंचायतों को स्वयं के संसाधन विकसित कर आत्मनिर्भर बनने का प्रयास करना चाहिए। श्री चौधरी मुरादाबाद(Moradabad) में ‘आत्मनि  से भरपूर अपने संबोधन में पंचायती राज मंत्री भूपेंद्र सिंह चौधरी ने कहा कि भाजपा सरकार बगैर भेदभाव के कार्य कर रही है। पंचायतों के प्रतिनिधियों को भी राजनीतिक भेदभाव से ऊपर उठकर काम करना चाहिए। पंचायतों के सामने संसाधनों की कमी की चुनौती है। सरकार भी पंचायतों की अपेक्षाएं पूरी नहीं कर पाती है। फिर भी हमें आगे बढ़ते जाना है। उन्होंने कहा कि विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों की अलग प्रकार की चुनौतियां हैं। विकसित देशों में शत-प्रतिशत नागरिक सरकार को टैक्स देते हैं। हमारे यहां टैक्स देने वालों की संख्या नगण्य है। फिर भी लोग कल्याणकारी सरकार को अपना फर्ज पूरी कुशलता से निभाना ही है।

कार्यक्रम में रामपुर की पटवाई ग्राम प्रधान नसीम बानो, पूर्व प्रधान उषा देवी, डीपीआरओ डॉ. दुर्गा प्रसाद तिवारी, पटवाई के सचिव दानिश, शाहजहांपुर के वरिष्ठ पत्रकार संजीव कुमार गुप्ता का सम्मान किया गया। साथ ही ग्राम भारती के पंचायत और अमृत महोत्सव विशेषांक का लोकार्पण किया गया।

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इस गोष्ठी में मुख्य वक्ता के तौर पर भाजपा के वरिष्ठ नेता व विधान परिषद के सदस्य डॉ. जय पाल सिंह व्यस्त ने कहा कि पंचायती राज व्यवस्था ही भारतीय लोकतंत्र का मूल आधार है। उन्होंने उदाहरण देकर विस्तार से बताया कि कैसे ब्यूरोक्रेट्स(Bureaucrats)  यानि प्रशासनिक अफसर इस व्यवस्था को कमजोर रखकर गांवों की सत्ता को भी अपने हाथों में रखना चाहते थे, किन्तु आज गांवों की सत्ता ग्रामीणों के अपने हाथ में है।

गोष्ठी में विशिष्ट अतिथि के तौर पर शरीक हुए चेतना मंच(Chetnamanch)  के संपादक आरपी रघुवंशी(R.P. Raghuvanshi) ने अपने ओजपूर्ण संबोधन में व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाया। उन्होंने जोर देकर कहा कि हमारे देश की प्रशासनिक मशीनरी में भयानक भ्रष्टाचार (Corruption)व्याप्त है। हमारी असली समस्या संसाधनों का अभाव नहीं, बल्कि भ्रष्टाचार सबसे बड़ी समस्या है। श्री रघुवंशी ने आंकड़े देते हुए बताया कि देश का आजादी से लेकर आज तक यानि 75 वर्षों में हमारे ग्रामीण विकास पर हमारी सरकारों ने 26 सौ खरब 15 अरब रुपये खर्च किए हैं। इस राशि को यदि प्रत्येक गांवों में बांटकर कैलकुलेट(Calculate)  करके देखने पर देखते हैं तो प्रत्येक गांव के हिस्से में 35 अरब 93 करोड़ रुपये आते हैं। श्री रघुवंशी ने कहा कि कोई मूर्ख भी अंदाजा लगा सकता है कि जिस गांव में 35 अरब रुपये खर्च हो गए होंगे, उसकी सड़कें संगमरमर के पत्थर की होनी चाहिए थी। पांच सितारा व सात सितारा स्तर के स्कूल, कॉलेज एवं अस्पताल होने चाहिए थे। देश का प्रत्येक गांव दुनिया के किसी भी सुंदर शहर जैसा चमकता हुआ नजर आना चाहिए था, किन्तु हुआ तो इसके ठीक विपरीत ही है। ना तो गांवों में ढंग की सड़कें हैं। स्कूलों के नाम पर छोटे-छोटे खंडहर हैं। अस्पताल की बात कौन कहे, प्राथमिक उपचार केन्द्र या तो हैं ही नहीं और यदि हैं भी तो खुद ही बीमार हैं। इसका सीधा साधा सा अर्थ यह हुआ कि विकास के लिए पैसा या तो कागजों पर दिखाई दिया या फिर सफेदपोश बिचौलियों, ठेकेदारों, इंजीनियरों, सरकारी अफसरों, थोड़ा बहुत गांवों के चंद दलालों तक पहुंचा और विदेशी बैंकों में जाकर जमा हो गया। आएदिन हजारों लाखों करोड़ के सामने आने वाले भ्रष्टाचार तो इस महा भ्रष्टाचार की झलक मात्र हैं। देश की मूल समस्या यही है। यह सारा धन जो विकास के लिए कागजों पर दर्शाया गया वास्तव में खर्च हो गया होता तो निश्चित ही हमारे स्वतंत्रता के अमर सपूतों के सपनों का भारत बनता हुआ हम देख सकते थे।

 

इस गोष्ठी व विमोचन समारोह के आयोजक देश के जाने माने पत्रकार सर्वेश सिंह(Journalist Sarvesh Singh) थे। श्री सिंह ने सभी आगंतुकों का स्वागत किया। गोष्ठी में विमोचित हुई ग्राम भारती पत्रिका के राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस विशेषांक के संपादकीय में सर्वेश सिंह ने पंचायती राज व्यवस्था को बड़े ही सलीके से रेखांकित किया है। ‘स्वशासन की अवधारणा का पर्व’ शीर्षक से लिखे गए उनके संपादकीय की खूब सराहना हो रही है।

इस गोष्ठी में भाजपा के पूर्व जिलाध्यक्ष राकेश सिंह, वरिष्ठ पत्रकार अखिलेश शर्मा, संघ के पूर्व सह विभाग संघचालक रामबाबू भटनागर, विद्यालय के प्रबंधक विनोद सक्सेना, ब्लॉक प्रमुख मनीष सिंह, बीडीसी मोहम्मद आरिफ, ब्रजपाल सिंह यादव, कार्तिकेय उपाध्याय, विमल, ग्राम भारती के संपादक सर्वेश कुमार सिंह ने विचार व्यक्त किए। गोष्ठी का संचालन बाबा संजीव आकांक्षी ने किया।

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