सहारनपुर। सितंबर माह का द्वितीय सप्ताह भी अब समाप्त होने को है, जैसे जैसे इस माह के दिन घट रहे हैं, वैसे ही वायरल फीवर, मलेरिया, टॉइफाइड के बाद डेंगू जैसे गंभीर बीमारियां कहर बरपा रही हैं। यदि केवल डेंगू की ही बात की जाए तो हर साल इस बीमारी की चपेट में आने से सैकड़ों मौत हो जाती है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग अपने आंकड़ों की बाजीगरी में सबसे आगे हैं। विभाग के आंकडों के अनुसार पिछले 17 सालों में मात्र एक ही मरीज की मौत डेंगू से हुई है।
विभाग डेंगू के मरीजों को वायरल से पीड़ित बताकर अपनी खामियां छिपाने का प्रयास करता रहा है। जबकि एसबीडी अस्पताल में डेंगू वार्ड तो बनाया जाता है, लेकिन इसमें नाम मात्र के मरीजों को भर्ती किया जाता रहा है। मरीजों में लक्षण दिखते ही मरीजों को हॉयर सेंटर रेफर कर दिया जाता है। जबकि निजी चिकित्सकों और पैथोलॉजी लैब पर डेंगू की पुष्टि लगातार होती रही है।
यदि 2005 से अब तक डेंगू से मौत के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो ये आंकड़ें सैकड़ा पार कर जाएंगे। 2015 से 2021 के आंकड़ों पर नजर डालें तो ये संख्या दर्जनों तक पहुंच जाएगी। इसमें 2017 में चिलकाना, गागलहेड़ी और छुटमलपुर में डेंगू से मौत हुई थी। इसके अलावा शहर और बड़गांव से डेंगू के मरीजों की पुष्टि हुई है। 2018 में गांव साखन कला निवासी कपित की पांच वर्षीय पुत्री आक्षी की डेंगू से मौत हुई थी। मांटेसरी जूनियर हाई स्कूल के प्रबंधक अरविंद सिसौदिया के पिता ठा.रामसिंह सिसौदिया की भी मौत डेंगू से हुई थी। मोहल्ला सरावज्ञान निवासी मित्रगढ़ गांव के प्राथमिक विद्यालय की प्रधानाध्यापिका सलेलता की मौत भी डेंगू बुखार के कारण हुई। 2015 में मूल रूप से हरियाणा के जनपद कैथल निवासी 33 वर्षीय संजीव कुमार क्षेत्र की उत्तम शुगर मिल में कार्यरत थे और उनकी डेंगू से मौत हुई थी।
सहारनपुर में डेंगू का प्रकोप बढ़ता जा रहा है। गांव टपरी कलां के बाद मुजफ्फराबाद ब्लॉक के गांव शेखुपुर 6 व खाताखेड़ी में डेंगू 11 ओर नए मरीज मिले हैं। जिले में अब डेंगू के 32 मरीज हो गए है। इतनी बड़ी संख्या में मरीज मिलने से जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया है। हैरानी की बात यह है कि जिला अस्पताल के बर्न वार्ड में डेंगू का वार्ड बनाया गया है। इतने डेंगू के मरीज मिलने के बाद भी खाली पड़ा हुआ है।
31 अगस्त को टपरी कलां गांव में रहस्मय बुखार से चार लोगों की मौत होने के बाद जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की आंख खुली। स्वास्थ्य टीमों ने गांव में डेरा जमा लिया। हालांकि स्वास्थ्य विभाग इन मौतों का कारण अन्य बता रहा है। गांव में कैंप में ग्रामीणों की जांच हुई। जिसमें 4 सितंबर को 7 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई, इसके बाद 8 ओर डेंगू के मरीज इसी गांव में मिले। टपरी कलां गांव में डेंगू मरीजों की संख्या 15 हो गई। इसके बाद जिला अस्पताल में थाना देहात कोतवाली क्षेत्र में पड़ने वाली खाताखेड़ी के बुखार के मरीज पहुंचने लगे। लैब में जांच कराई गई। यहां से भी डेंगू की पुष्टि हुई। स्वास्थ्य विभाग ने यहां पर कैंप लगााया और बुधवार को डेंगू के 11 ओर नए मरीज मिले। यहीं नहीं मुजफ्फराबाद ब्लॉक के गांव शेखुपुरा में 104 सैंपले लिए गए जिनमें से 6 मरीजों में डेंगू की पुष्टि हुई है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से डेंगू मरीजों की संख्या अब 32 हो गई है। जबकि स्थिति इसे अलग है।
जिला अस्पताल का डेंगू वार्ड खाली
स्वास्थ्य विभाग के रिकॉर्ड के हिसाब से जिले में 32 डेंगू के मरीज है। जिला अस्पताल में एहतियात के तौर पर 50 बेड और राजकीय मेडिकल कॉलेज में 140 बेड का डेंगू वार्ड बनाएं गए हैं। हैरानी की बात यह है कि यह है कि दोनों ही जगहों पर एक भी डेंगू का मरीज भर्ती नहीं है। डेंगू वार्ड खाली पड़े हुए है। वहीं स्वास्थ्य अधिकारियों का कहना है कि डेंगू के मरीज अपने घर पर ही इलाज करा रहे हैं। गंभीर स्थिति में मरीजों को भर्ती होते हैं।
यह है 17 सालों का आंकड़ा
————— मलेरिया——-डेंगू—————-
वर्ष——स्लाइड——-पॉजीटिव—पॉजीटिव—-मौत
2005—92791——– 366——– 5——— 00
2006—100250——-352——– 36——–00
2007— 59593——- 306——– 08——–00
2008— 94941——- 959——– 02——- 00
2009—111020——-375——– 02——- 00
2010—193660—– 1702——- 75——- 00
2011— 206350—– 3512——-05——- 00
2012– 153528—– 1893——- 00——- 00
2013—156120—– 1702——-13——– 01
2014—155415—– 2434—— 02——– 00
2015– 168066—– 3053—— 00——– 00
2016—212066—–2686——- 263—— 00
2017—211720—- 1141——- 64——– 00
2018– 207817—- 389——– 35———00
2019–248220—–198———-22———00
2020–41100——-05———–00———00
2021–90492——-00———–32———00
जिला मलेरिया अधिकारी शिवांक गौड का कहना है कि डेंगू और मलेरिया के मरीजों की मौत का आंकड़ा छुपाया नहीं जाता है। डेंगू और मलेरिया के मरीजों की जांच के लिए टीमें बनाई गई है। जो घर घर जाकर स्लाइड बना रही है। गांव और शहरों में फॉगिंग कराई जा रही है। पुरानी जो भी मौतें हुई है। वह कैंसर, टीबी व अन्य असाध्य रोगों के कारण हुई है।