Site icon चेतना मंच

Saharanpur News : ड्रीम प्रोजेक्ट में वन विभाग का अड़ंगा, रोका गया नेशनल हाईवे का निर्माण कार्य

उत्तर प्रदेश के सहारनपुर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट ‘दिल्ली-सहारनपुर फोर लेन हाईवे’ में वन विभाग के डीएफओ ने रोड़ा अटका दिया है। दिल्ली से सहारनपुर तक बनने वाले राष्ट्रीय राजमार्ग में सामाजिक वानिकी प्रभाग ने तत्काल प्रभाव से निर्माण कार्य रोकने को नोटिस जारी किया है। जिसमें पर्यावरण नियमों का हवाला दिया गया है। वन विभाग की ओर से यह नोटिस एक सितंबर को दिया गया था, जिसके बाद आज से निर्माण एजेंसी ने कार्य रोक दिया है।

सामाजिक वानिकी प्रभाग के डीएफओ ईश्वर चंद सिंह ने सहारनपुर क्षेत्र में चल रहे दिल्ली-सहारनपुर हाईवे को नियम विरुद्ध बताते हुए निर्माण कार्य को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए कहा है। वहीं, नेशनल हाईवे एथारिटी आफ इंडिया के अधिकारी सहारनपुर डीएम अखिलेश सिंह से प्रकरण में दखल करने का अनुरोध कर रहे हैं। नेशनल हाईवे एथारिटी आफ इंडिया ने तर्क दिया है कि जब शामली बागपत में हाईवे का निर्माण हो रहा था। तब नियम दूसरे थे, सहारनपुर में निर्माण प्रारंभ होते ही वानिकी पर्यावरण नियमों का हवाला देने लगा है।

Advertising
Ads by Digiday

दिल्ली-शामली-बागपत-सहारनपुर हाईवे के निर्माण के लिए शासन ने 11 साल पहले उपसा (उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग प्राधिकरण) को जिम्मेदारी दी थी। यूपी में भाजपा सरकार बनने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 2017 में इस प्रोजेक्ट को भारत सरकार के राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को हस्तांतरित कर दिया था। इसके बाद से ही राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण मार्ग बना रहा है। भारतमाला परियोजना के तहत दिल्ली से सहारनपुर तक राष्ट्रीय राजमार्ग 709बी की लंबाई 155 किलोमीटर प्रस्तावित है। यूपी बॉर्डर से सहारनपुर तक 140.55 किलोमीटर राजमार्ग का निर्माण कार्य तीन चरणों में चल रहा है।

राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण के परियोजना निदेशक संजय मिश्र का कहना है कि यह प्रोजेक्ट एनएचआईए स्थानांतरित किया गया था। उपसा ने सभी नियमों को पूर्ण कर पर्यावरण मंत्रालय से भी अनुमति ली थी। पेड़ कटवाने का कार्य पहले ही उपसा द्वारा पूरा कर लिया गया था। उनका कहना है कि यदि वन विभाग को कोई नोटिस देना था तो 3 साल पहले देना चाहिए था।

नोटिस में लिखा है कि उपसा ने पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की ओर से 31 मई 2013 को अनुमति मांगी गई थी, जिसमें 28 मई 2014 को विधिवत स्वीकृति मिली थी। उपसा द्वारा इस भूमि को एनएचएआई को हस्तांतरित करने के बाद चौड़ीकरण का कार्य किया जा रहा है, जो नियम विरुद्ध है। उनका कहना है कि उपसा को पूर्व में हस्तांतरित संरक्षित वन भूमि पर यदि एनएचएआई द्वारा कार्य कराया जाता है तो पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की अनुमति प्राप्त करनी होगी। डीएम अखिलेश सिंह का कहना है कि मामला संज्ञान में है। वन विभाग के अफसरों को बुलाकर बात की जाएगी। जो भी उचित कार्रवाई होगी कराई जाएगी।

Exit mobile version