सहारनपुर। नेशनल वेक्टर बोर्न डिजीज कंट्रोल प्रोग्राम को जनपदज में गतिमान किया जा रहा है। इसके अंर्तगत डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया आदि पर प्रभावी नियंत्रण एवं रोकथाम के ठोस उपाय किए जा रहे हैं। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डा. संजीव मांगलिक ने मच्छर जनित रोगों से निपटने के लिए सख्त कदम उठाने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया इसी क्रम में जनपद के छह ब्लॉक एवं 20 गावों में मच्छर लार्वा भक्षी गंबूजिया मछलियों को तालाबों में डाला गया है।
जनपद के ब्लॉक-मुजफ्फराबाद के ग्राम बेहड़ा सन्दल सिंह, दतौली मुगल, खुजनावार, ब्लॉक- नागल के ग्राम बड़ेढ़ी कोली, खेड़ा मुगल, नागल एवं भाटखेड़ी, ब्लॉक-नकुड़ के ग्राम अबीर, खेड़ा अफगान, खारीबांस एवं टाबर, ब्लॉक- सरसावा के ग्राम पिलखनी, सौराना एवं गदरहेड़ी, ब्लॉक- सुनहटी खड़खड़ी के ग्राम बीतिया, शेरपुर कदीम, एवं नन्हेड़ा गुर्जर तथा ब्लॉक- गंगोह के ग्राम कुण्डा कलां, कलसी एवं बीराखेड़ी के तालाबों मंं गंबूजिया मछली डाल दी गई है। उधर, इस संबंध में जिला मलेरिया अधिकारी शिवांका गौड़ ने बताया कि लार्वा भक्षी मछलियां जैसे गंबूजिया मछलियों के द्वारा जैविक विधि से मछरों पर नियंत्रण किया जा सकता है।
इस मछली का मुख्य भोजन मच्छर का लार्वा है। एक मछली एक दिन में मच्छरों के 80 से 100 लार्वा खा लेती है। पानी की सतह पर पड़े लार्वा को खा लेती है। इन मछलियों को मछरों के ब्रीडिंग स्थानों पर डाल दिया जाये तो लम्बे समय तक मच्छर के प्रजनन पर नियंत्रण रहता है। यह विधि रासायनिक विधियों द्वारा किये जाने वाले मछर नियंत्रण से सस्ती है। यह मछली इको फ्रेन्डली है। यह मछली उथले तालाबों में भी जीवित रहती है। यह मछली मच्छर लार्वा की अनुपस्थिति में अन्य पदार्थों पर जीवित रह सकती है।
गंबूजिया अधिक तापमान और अधिक प्रकाश की तीव्रता पर भी जीवित रह सकती है, जिससे वेक्टर जनित रोगों से बचा जा सकता है। यह मच्छली परस्थित तन्त्र एवं पर्यावरण में सन्तुलन स्थापित करती है। शिवांका गौड़ ने बताया कि ग्राम वासियों को विभिन्न कैम्पों के द्वारा संक्रमण रोगों से बचने के लिए पानी से भरे बर्तन जैसे कूलर, गमले, छतों पर रखे पुराने टायर, फ्रिज की ट्रे आदि जिनमें एक सप्ताह से ज्यादा पानी रुका रहता है उन्हें खाली करें, क्योंकि इन्हीं बर्तनों में मच्छर पनपते हैं।
मलेरिया/डेंगू के लक्षण होने पर क्या करें:-
तेज बुखार होने पर ठण्डे पानी से शरीर को पोंछे। डेंगू उपचार के लिये कोई खास दवा अथवा बचाव के लिये कोई वैक्सीन नहीं है। औषधियों का सेवन चिकित्सकों की सलाह से करें। गंभीर लक्षण (खून आना) होने पर चिकित्सालय में तुरन्त सम्पर्क करें। एसप्रीन व स्टीराइड दवा का सेवन कदापि न करें। डेंगू रोगी मच्छरदानी का प्रयोग अवश्य करें।