आगरा में सीएम योगी ने की बैठक, एसआईआर में गति लाने का दवाब बनाया

खेरिया एयरपोर्ट से सीधे आयुक्त सभागार पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा मंडल के चारों जिलों आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी के जनप्रतिनिधियों व भाजपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की।

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सीएम योगी आगरा बैठक के लिए जाते हुए
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userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar08 Dec 2025 07:09 PM
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UP News : सोमवार शाम आगरा पहुंचे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंडलीय समीक्षा के साथ-साथ भाजपा के जनप्रतिनिधियों की एक महत्वपूर्ण बैठक की। करीब चार बजे खेरिया एयरपोर्ट पर उनके आगमन पर भाजपा के सांसद, विधायक, जिला पदाधिकारी और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने उनका स्वागत किया।

चार जिलों के जनप्रतिनिधियों के साथ विस्तृत समीक्षा

खेरिया एयरपोर्ट से सीधे आयुक्त सभागार पहुंचकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आगरा मंडल के चारों जिलों आगरा, मथुरा, फिरोजाबाद और मैनपुरी के जनप्रतिनिधियों व भाजपा पदाधिकारियों के साथ बैठक की। यह बैठक लगभग दो घंटे तक चली, जिसमें उन्होंने मंडल से जुड़े शासन, विकास और संगठनात्मक मुद्दों पर विस्तार से चर्चा की।

एसआईआर की धीमी प्रगति पर असंतोष

बैठक के दौरान मुख्यमंत्री ने विशेष गहन पुनरीक्षण एसआईआर की धीमी प्रगति पर चिंता जताई। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची पुनरीक्षण अभियान लोकतांत्रिक प्रक्रिया का महत्वपूर्ण हिस्सा है, इसलिए इसमें तेजी जरूरी है। सीएम योगी ने उपस्थित जनप्रतिनिधियों तथा पार्टी कार्यकतार्ओं से अपील की कि वे मतदान सूची में नए पात्र मतदाताओं के जोड़ने के कार्य में सक्रिय भूमिका निभाएँ और अभियान में गति लाएँ। आयुक्त सभागार में आयोजित इस बैठक में आगरा मंडल के सभी प्रमुख जनप्रतिनिधि, पार्टी पदाधिकारी और संगठन के महत्वपूर्ण सदस्य शामिल रहे। मुख्यमंत्री ने इसमें विकास योजनाओं, शासन स्तर पर लंबित मामलों और संगठनात्मक रणनीतियों पर भी चर्चा की।

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अखिलेश यादव बोले- वंदे मातरम सिर्फ गाने के लिए नहीं, निभाने के लिए होना चाहिए

समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने वंदे मातरम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं। अखिलेश यादव ने कहा कि वंदे मातरम ने देश को एक सूत्र में पिरोया और स्वतंत्रता आंदोलन में लोगों को बल देने का काम किया।

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सांसद अखिलेश यादव
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar08 Dec 2025 06:37 PM
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UP News : संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान लोकसभा में कई अहम मुद्दों पर चर्चा हुई। इसी क्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर विशेष बहस की शुरुआत की। पीएम मोदी ने कहा कि सदन ऐसे ऐतिहासिक क्षण का साक्षी बन रहा है जब इस राष्ट्रीय गीत की यात्रा और महत्व पर विस्तृत चर्चा हो रही है। प्रधानमंत्री के संबोधन के बाद कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने अपनी बात रखी। इसके बाद समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और सांसद अखिलेश यादव ने वंदे मातरम पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए कई महत्वपूर्ण टिप्पणियाँ कीं। अखिलेश यादव ने कहा कि वंदे मातरम ने देश को एक सूत्र में पिरोया और स्वतंत्रता आंदोलन में लोगों को बल देने का काम किया।

सत्ता पक्ष पर विरासत को अपना बताने का आरोप

अखिलेश यादव ने अपने भाषण में आरोप लगाया कि सत्ता पक्ष हर उस चीज को अपने नाम करने की कोशिश करता है जो देश की साझा विरासत है। उन्होंने कहा कि कुछ लोग हर परंपरा, विचार और राष्ट्रीय धरोहर को अपना बताने की कोशिश करते हैं, जबकि ये देश की सामूहिक पहचान का हिस्सा है। अखिलेश के मुताबिक उनकी बातें सुनकर ऐसा लगता है मानो वंदे मातरम भी उन्हीं लोगों द्वारा रचित गीत हो।

वंदे मातरम पढ़ने के लिए नहीं, आचरण में उतारने के लिए है : अखिलेश

अखिलेश यादव ने स्पष्ट कहा कि वंदे मातरम केवल पढ़ने या गाने का विषय नहीं है, बल्कि इसके संदेश को जीवन में उतारना जरूरी है। उन्होंने तंज करते हुए कहा कि जिन्होंने आजादी की लड़ाई में भाग नहीं लिया, वे इस गीत की वास्तविक भावना को कैसे समझ सकते हैं? अखिलेश ने कहा कि असली राष्ट्रवादी वे लोग हैं जिनके कार्य देश के लिए समर्पित हों, सिर्फ नारे लगाने वालों को राष्ट्रवादी नहीं कहा जा सकता।

पीएम मोदी ने बताया, वंदे मातरम देश की प्रेरणा शक्ति

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि स्वतंत्र भारत का सपना हमारे महापुरुषों ने देखा था और आज की पीढ़ी समृद्ध भारत का संकल्प लिए हुए है। उनके अनुसार स्वतंत्रता आंदोलन को मजबूती देने में वंदे मातरम की भावना ने अहम भूमिका निभाई थी और आने वाले वर्षों में विकसित भारत का लक्ष्य भी इसी प्रेरणा से आगे बढ़ेगा। पीएम ने कहा कि भारत जब भी संकटों से गुजरा, चाहे युद्ध की स्थिति हो, आपातकाल का दौर हो या किसी भी प्रकार का राष्ट्रीय चुनौती, देश वंदे मातरम की भावना के साथ एकजुट होकर खड़ा हुआ। वंदे मातरम के 150 वर्ष पूरे होने पर आयोजित इस चर्चा में सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों ही तरफ से तीखे और महत्वपूर्ण तर्क सुनने को मिले। कांग्रेस, सपा और भाजपा नेताओं के विचारों ने बहस को और व्यापक बना दिया, जिससे सत्र का यह हिस्सा पूरे दिन चर्चा का केंद्र रहा।

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उत्तर प्रदेश के इस बड़े जंक्शन में आज भी बसती है ‘बैरक’ वाली कहानी

यहां से गुजरने और रुकने वाली ट्रेनें केवल यात्रियों को ही नहीं, बल्कि माल, व्यापार, उद्योग और सर्विस सेक्टर की रफ्तार को भी आगे बढ़ाती हैं। यही वजह है कि कानपुर सेंट्रल को उत्तर प्रदेश की रेल लाइनों पर बस बना–ठना स्टेशन नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिक नब्ज़ से जुड़ा एक रणनीतिक जंक्शन माना जाता है।

उत्तर प्रदेश के कानपुर सेंट्रल जंक्शन पर लगा CNB बोर्ड
उत्तर प्रदेश के कानपुर सेंट्रल जंक्शन पर लगा CNB बोर्ड, उत्तर प्रदेश की सैन्य और रेल विरासत का अनोखा प्रतीक
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar08 Dec 2025 04:41 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश की दौड़ती रेल पटरियों के बीच एक ऐसा जंक्शन भी धड़कता है, जो सिर्फ ट्रेनों के ठहरने की जगह नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश के औपनिवेशिक दौर की यादों का जिंदा पहरेदार है। कानपुर सेंट्रल… भीड़ से भरे सैकड़ों स्टेशनों के बीच यह स्टेशन अपनी अलग पहचान रखता है। प्लेटफॉर्म पर गूंजती अनाउंसमेंट, सामान ढोती भागती टोलियाँ और सीटी मारती रफ्तार पकड़ती ट्रेनें – इन सबके शोर के बीच भी यहां आज तक स्टेशन कोड में छुपी ‘बैरक’ की कहानी सुनाई देती है। कानपुर सेंट्रल का कोड CNB महज तीन अक्षर नहीं, बल्कि उस दौर का निशान है, जब यह इलाका ब्रिटिश राज की सबसे अहम सैन्य छावनियों में शामिल Cawnpore North Barracks के नाम से जाना जाता था। शहर का नाम Cawnpore से Kanpur हो गया, सियासी नक्शा बदला, सरकारें बदलीं, मगर CNB आज भी चुपचाप पुराने दौर की वो पहचान थामे खड़ा है।

कैसे बना कानपुर का CNB कोड?

आज जिसे हम कानपुर सेंट्रल के नाम से जानते हैं, वही स्टेशन ब्रिटिश हुकूमत के दौर में ‘कॉनपोर’ (Cawnpore) की पहचान के साथ उत्तर प्रदेश की सैन्य धड़कन माना जाता था। उस समय उत्तर प्रदेश के इस औद्योगिक शहर का उत्तरी हिस्सा अंग्रेजी फौज की बड़ी छावनी था, जिसे Cawnpore North Barracks कहा जाता था। यहीं से जन्म लिया उन तीन अक्षरों ने –

C = Cawnpore, N = North, B = Barracks – जो मिलकर बने रेलवे का मशहूर कोड CNB। उत्तर प्रदेश के इस अहम जोन में सैनिक बैरक, हथियारों का जखीरा और फौजी आवाजाही इतनी घनी थी कि स्टेशन की पहचान भी आम स्टेशन जैसी नहीं, बल्कि एक रणनीतिक छावनी वाले जंक्शन के रूप में दर्ज हो गई। आज जब CNB लिखा दिखता है, तो उसमें सिर्फ कानपुर सेंट्रल नहीं, बल्कि पूरे उत्तर प्रदेश की उस सैन्य–ऐतिहासिक पृष्ठभूमि की अनकही कहानी छिपी नजर आती है।

1855 की रेल लाइन और उत्तर प्रदेश का बदलता रेल नक्शा

साल 1855 का दौर था, उत्तर भारत की पटरी पर रेल अपने शुरुआती सफर की तैयारी कर रही थी और उत्तर प्रदेश उसका बड़ा मंच बन रहा था। इसी समय कानपुर नॉर्थ बैरक्स से इलाहाबाद (आज का प्रयागराज) तक पहली रेल लाइन बिछाई गई। यहीं से रेलवे स्टेशनों को छोटे–छोटे कोड देने की परंपरा की शुरुआत हुई और उत्तर प्रदेश की इस फौजी अहमियत वाले जंक्शन को मिला खास कोड – CNB। दूसरी ओर प्रयागराज के लिए तय हुआ ALD। शायद उस वक्त किसी ने कल्पना भी नहीं की होगी कि आगे चलकर कानपुर उत्तर प्रदेश का बड़ा औद्योगिक और कारोबारी शहर बन जाएगा, लेकिन उसके स्टेशन कोड में दर्ज ‘बैरक’ वाली यह विरासत आने वाली हर पीढ़ी को चुपचाप यह बताती रहेगी कि CNB सिर्फ तीन अक्षर नहीं, बल्कि इतिहास और उत्तर प्रदेश की बदलती तस्वीर का गवाह है।

शहर का नाम बदल गया लेकिन CNB नहीं बदला

वक्त के साथ Cawnpore की स्पेलिंग बदली, शहर का नाम कानपुर हो गया, उत्तर प्रदेश की राजनीति से लेकर उद्योग, शिक्षा और रोज़गार की सूरत भी पूरी तरह बदल गई, लेकिन भारतीय रेलवे ने स्टेशन के कोड से उसकी पुरानी पहचान मिटने नहीं दी। आज कानपुर सेंट्रल उत्तर मध्य रेलवे के सबसे अहम जंक्शनों में गिना जाता है, जहां से दिल्ली, लखनऊ, प्रयागराज, मुंबई समेत उत्तर भारत और देश के कई बड़े शहरों के लिए लगातार ट्रेनें आवाजाही करती रहती हैं। बावजूद इसके, स्टेशन की हर डिजिटल डिस्प्ले स्क्रीन, हर टिकट, हर रेलवे ऐप और चार्ट पर उसके नाम के साथ आज भी वही पुराना कोड चमकता है – CNB मानो आधुनिक होता उत्तर प्रदेश भी अपने इस ऐतिहासिक रेलवे हस्ताक्षर को ससम्मान सलाम कर रहा हो।

उत्तर प्रदेश के सबसे व्यस्त स्टेशनों में शामिल

कानपुर सेंट्रल आज उत्तर प्रदेश ही नहीं, पूरे उत्तर भारत की रेल आवाजाही का धड़कता हुआ हब माना जाता है। रोजाना सैकड़ों ट्रेनें यहां ठहरती हैं और लाखों मुसाफिर इस जंक्शन से होकर उत्तर प्रदेश के अलग–अलग जिलों से लेकर देश के सुदूर कोनों तक का सफर तय करते हैं। स्टेशन की इमारत भी अपने आप में एक पहचान है – इसकी बनावट में औपनिवेशिक दौर की झलक और मुगल वास्तुकला का स्पर्श एक साथ दिखता है। यही वजह है कि उत्तर प्रदेश आने–जाने वाले यात्रियों के लिए कानपुर सेंट्रल सिर्फ ट्रांजिट पॉइंट नहीं, बल्कि ऐसा ऐतिहासिक लैंडमार्क बन जाता है, जहां प्लेटफॉर्म पर कदम रखते ही उन्हें पुराना दौर और नया इंडिया एक साथ दिखाई देता है।

कानपुर सेंट्रल: उत्तर प्रदेश की आर्थिक नब्ज से जुड़ा स्टेशन

कानपुर सेंट्रल की अहमियत सिर्फ रेलवे के नजरिए से नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की धड़कती अर्थव्यवस्था से भी गहराई से जुड़ी हुई है। स्टेशन सीधे जयपुरिया रोड, रेल बाज़ार, हैरिस गंज, मीरपुर जैसे इलाकों से सटा हुआ है, जो कानपुर और आसपास के क्षेत्रों की रोजमर्रा की कारोबारी हलचल का असली चेहरा माने जाते हैं। यहां से गुजरने और रुकने वाली ट्रेनें केवल यात्रियों को ही नहीं, बल्कि माल, व्यापार, उद्योग और सर्विस सेक्टर की रफ्तार को भी आगे बढ़ाती हैं। यही वजह है कि कानपुर सेंट्रल को उत्तर प्रदेश की रेल लाइनों पर बस बना–ठना स्टेशन नहीं, बल्कि प्रदेश की आर्थिक नब्ज़ से जुड़ा एक रणनीतिक जंक्शन माना जाता है।

आधुनिक सुविधाएं लेकिन पुरानी पहचान जस की तस

पिछले कुछ सालों में कानपुर सेंट्रल का चेहरा–मोहरा काफी बदल चुका है। प्लेटफॉर्म पर बेहतर सुविधाएं, हर कोने पर इलेक्ट्रॉनिक डिस्प्ले, एस्केलेटर और लिफ्ट, साफ–सफाई और सुरक्षा पर खास फोकस इन सबने उत्तर प्रदेश के इस बड़े रेलवे स्टेशन को एक मॉडर्न जंक्शन की शक्ल दे दी है। लेकिन दिलचस्प ये है कि चमचमाती नई व्यवस्था के बीच भी इसकी एक पहचान ज़रा भी नहीं बदली – स्टेशन का कोड CNB। यही छोटा–सा कोड आज भी British Era की उस कहानी को संभाले हुए है, जब Cawnpore North Barracks उत्तर प्रदेश की सबसे अहम सैन्य छावनियों में गिना जाता था। यानी इमारत बदली, सुविधाएं बदलीं, दौर बदला, पर CNB अब भी चुपचाप खड़ा है, जैसे इतिहास और आज के बीच पुल बनाकर रखे हुए हो। UP News

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