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बीवी और बेटे से अलग हुए सपा नेता आजम खान, भेजे गए सीतापुर जेल

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UP News : उत्तर प्रदेश में सपा की सरकार में कद्दावर मंत्री और नेता रहे वरिष्ठ सपा नेता आजम खान एक बार फिर से अपनी बीवी और बेटे से अलग हो गए हैं। उन्हें रामपुर जिला कारागार से एक बार फिर सीतापुर जिला कारागार में शिफ्ट कर दिया गया है। आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को हरदोई की जिला कारागार में शिफ्ट किया गया है।

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आपको बता दें कि सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान, उनकी पत्नी तंजीम ​फातमा और बेटा अब्दुल्ला आजम जेल में बंद हैं। रविवार को आजम खान की पत्नी तंजीम फातमा को रामपुर की जिला जेल में ही रखा गया है, जबकि आजम खान और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम को अलग अलग जेलों में शिफ्ट कर दिया गया है। रविवार की सुबह करीब पौने पांच बजे अब्दुल्ला आजम को जिला कारागार हरदोई में शिफ्ट किया गया है।

इस बीच जब अब्दुल्ला से पत्रकारों ने बात करने की कोशिश की तो उन्होंने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया। जेलर संजय सिंह ने बताया कि अब्दुल्ला को रामपुर से सुबह हरदोई जेल लाया गया है। आजम खान की ससुराल हरदोई के बिलग्राम में है इसलिए उनके बेटे अपने ननिहाल वाले जनपद की जिला कारागार में शिफ्ट किया गया हैं। हरदोई में हाई सिक्योरिटी बैरक नहीं है इसलिए उन्हें आम बंदियों की तरह सामान्य बैरक में रखा गया है।

फिर सीतापुर जेल पहुंचे आजम खान

आजम खान को सीतापुर की जेल ले जाया गया। आजम खान को 17 माह बाद एक बार फिर सीतापुर जेल में भेजा गया है। 27 माह तक सीतापुर जिला जेल में बंद रहने के बाद 20 मई 2022 को आजम खान रिहा हुए थे और फिर से एक बार उन्हें यहा लाया गया। रामपुर जेल से शिफ्ट करते समय सुबह आजम खान ने एनकाउंटर की आशंका जताते हुए कहा था कि कुछ भी हो सकता है। आजम खान की पत्नी तंजीन फातिमा को अभी रामपुर जेल में रखा गया है।

किस केस में जेल में बंद हैं आजम खान

आपको बता दें कि भाजपा विधायक आकाश सक्सेना ने 2019 में गंज थाने में सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान के बेटे पूर्व विधायक अब्दुल्ला आजम के खिलाफ दो जन्म प्रमाणपत्र होने का मामला दर्ज कराया था। जिसमें सपा नेता आजम खान और उनकी पत्नी डॉ. तंजीन फातमा को भी आरोपी बनाया गया था।

आरोप पत्र के मुताबिक, रामपुर नगर पालिका द्वारा जारी एक जन्म प्रमाणपत्र में, अब्दुल्ला आजम की जन्म तिथि एक जनवरी, 1993 बताई गई थी। दूसरे प्रमाणपत्र के अनुसार उनका जन्म 30 सितंबर, 1990 को लखनऊ में हुआ था। आरोप था कि अब्दुल्ला ने अपने दो जन्म प्रमाणपत्र बनवाए हैं, जिनमें एक रामपुर नगरपालिका परिषद से, जबकि दूसरा प्रमाणपत्र लखनऊ नगर निगम से बनवाया और इनका समय-समय पर गलत इस्तेमाल किया।

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