लखनऊ : उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव 2022 (UP Assembly Election 2022) का बिगुल फुंकने वाला है. सभी राजनीतिक पार्टियां अपनी;अपनी सेनाओं को मोर्चे पर तैनात करने में जुट गई हैं. विकास और कानून व्यवस्था से लेकर जाति-धर्म के नाम पर ध्रुवीकरण (Polarization in the name of Caste and Religion) सभी मुद्दों को पर खींचतान मची हुई है. इस बार विधानसभा चुनाव में एक बार फिर ब्राह्मण समाज (Brahmin Society) के मुख्य धुरी बनने की संभावना उत्पन्न हो रही है. योगी सरकार (Yogi Govt) में ब्राह्मण समाज (Brahmin Society) के उत्पीड़न को लेकर निरंतर मुखर होकर उठती रही आवाज के चलते पिछले एक वर्ष से ब्राह्मण समाज को अपने अपने खेमे में खींचने के लिए राजनीतिक दलों में जोर आजमाइश हो रही है.
जहां भाजपा ब्राह्मणों पर अपना एकाधिकार मानकर चल रही है, वहीं सपा (Samajwadi Party) परशुराम जी की मूर्ति और मंदिर के नाम पर ब्राह्मण समाज को सरकार के खिलाफ लामबंद करने की कोशिशों में जुटी है. बसपा (BSP) और कांग्रेस (Congress) भी ब्राह्मण समाज से उम्मीद लगाए बैठी हैं. सभी पार्टियों की नजर 19 प्रतिशत ब्राह्मण वोटों (Brahmin Votes) पर है, लेकिन इस बार ब्राह्मण समाज राजनीतिक पार्टियों की पेशबंदी को लेकर काफी सजग है.
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ब्राह्मण समाज का कहना है कि चुनाव के समय तो सभी पार्टियां लुभावनी बातें करती हैं, लेकिन उसके बाद ब्राह्मण शोषण का शिकार होकर रह जाता है. अब ब्राह्मण जागरूक और संगठित हो चुका है. इसलिए उनके किसी भी झांसे में आने वाला नहीं है. राष्ट्रीय विप्र एकता मंच भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष पंडित मित्रेश चतुर्वेदी की ब्राह्मण समाज को संगठित करने में महती भूमिका रही है. उनके प्रयासों से कई ब्राह्मण संगठन (Brahmin organizations) एक प्लेटफार्म पर आ गए हैं. ऐसा पहली बार हुआ है. अब तक संगठनों द्वारा ब्राह्मण समाज को अलग अलग एकत्रित किया जाता था, लेकिन अब ब्राह्मण संगठन सामूहिक एकजुटता दर्शा रहे हैं. यह परिवर्तन आने वाले विधानसभा चुनाव में कोई नया गुल खिला सकता है. श्री चतुर्वेदी ने उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के कई राज्यों में ब्राह्मण समाज की एकजुटता और ब्राह्मण उत्पीड़न को लेकर हर जगह अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है और विभिन्न वर्गों में विभाजित ब्राह्मण समाज को आपस में जोड़ने के लिए कारगर पहल की है.
150 से ज्यादा ब्राह्मण संगठन हुए एकजुट
पंडित मित्रेश चतुर्वेदी (Pandit Mitresh Chaturvedi) कहते हैं कि अपने त्याग और तपस्या के बल पर ब्राह्मण समाज ने अपना सम्मान व गौरव अर्जित किया था और देश के लिए सबसे अधिक योगदान भी ब्राह्मण समाज का रहा है, लेकिन एक गलत धारणा बन गई है कि इस देश को सर्वाधिक क्षति ब्राह्मणों ने पहुंचाई है. यही वजह है कि अज्ञानी से अज्ञानी व्यक्ति भी हर बात के लिए ब्राह्मण समाज को दोषी ठहराता है. हर व्यक्ति ने ब्राह्मण को सॉफ्ट टारगेट समझ रखा है. इसीलिए गालियां देकर अपमानित किया जाता है. जगह-जगह ब्राह्मण समाज का उत्पीड़न हो रहा है. दुख की बात तो यह है कि ब्राह्मण समाज का उत्पीड़न करने वाले व्यक्तियों पर कार्रवाई भी नहीं होती. पुलिस का नजरिया भी ब्राह्मण और गैर ब्राह्मण को ध्यान में रखकर अलग-अलग रहता है. ब्राह्मण समाज अब पूरी तरह संगठित और जागरूक है. 150 से अधिक ब्राह्मण संगठन एक मंच पर आ चुके हैं और सामूहिक निर्णय लेकर ब्राह्मण समाज का उत्पीड़न करने वाले लोगों को उनकी हैसियत बताने का काम करेंगे.
उन्होंने कहा कि ब्राह्मण समाज से ज्यादा बड़ा राष्ट्रवादी और मानवीय दृष्टिकोण रखने वाला समाज कोई नहीं है. ब्राह्मणों (Brahmins) ने हमेशा सर्व समाज के कल्याण की भावना से कार्य किया है. उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में लगभग 19 प्रतिशत ब्राह्मण वोट हैं, जो सरकार बनाने का काम करते हैं. उनकी अनदेखी करके कोई भी सत्ता में नहीं रह सकता. ब्राह्मण समाज की अपनी मांगे हैं जो सभी राजनीतिक दलों को तक पहुंचा दी गई हैं. जो दल ब्राह्मण समाज की मांगों को पूरा करने के लिए सकारात्मक रुख के साथ सामने आएगा. ब्राह्मण उसी का साथ देंगे और उत्पीड़न किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. ब्राह्मण विरोधी मानसिकता रखने वालों को जवाब जरूर दिया जाएगा. ब्राह्मण उत्पीड़न केवल उत्तर प्रदेश का ही मुद्दा नहीं है बल्कि देश के अन्य कई राज्यों में भी ब्राह्मण समाज के हालात काफी बदतर हो चुके हैं. इसके लिए ब्राह्मण समाज की एकजुटता आवश्यक है. यदि इस समय ब्राह्मण समाज ने अपनी एकजुटता का परिचय नहीं दिया तो आने वाले समय में हालात और भी अधिक बुरे होंगे. नई पीढ़ी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अभी जागना होगा.
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ब्राह्मण संगठनों (Brahmin) को एकजुट करने में संरक्षक ब्रह्मदेव शर्मा, राष्ट्रीय विप्र एकता मंच, भारत के राष्ट्रीय अध्यक्ष मित्रेश चतुर्वेदी, अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेंद्र नाथ त्रिपाठी की प्रमुख भूमिका रही है.
ब्राह्मण समाज का मांग पत्र
1- भगवान परशुराम की जयंती पर पूर्व में दिए गए सार्वजनिक अवकाश को पुनः बहाल किया जाए.
2- सवर्ण आयोग का गठन किया जाए.
3- ब्राह्मण एवं ब्राह्मण हितों पर हो रहे कुठाराघात को रोका जाए .
4- संस्कृत, कर्मकांड ,ज्योतिष की शिक्षा को प्रोत्साहित किया जाए .
5- केंद्र सरकार द्वारा सवर्णों को दिए गए 10 प्रतिशत आरक्षण का उचित अनुपालन सुनिश्चित किया जाए.
6- गरीब सवर्णों को भी सभी जरूरी सुविधाएं दी जाए .
7- मदरसों, मस्जिदों के मौलानाओं की तरह मंदिर में कार्यरत पुजारियों को जीवन यापन भत्ता दिया जाए.
8- बेरोजगार को भत्ता दिया जाए.
9- लखनऊ के किसी एक प्रमुख चौराहे को परशुराम चौक के रूप में नामित कर विकसित किया जाए.
10- एससी एसटी एक्ट की आड़ में ब्राह्मण समाज का उत्पीड़न बंद किया जाए.