UP cabinet meeting: उत्तर प्रदेश की सरकार की कैबिनेट की एक महत्वपूर्ण बैठक में उत्तर प्रदेश के तीन अन्य शहरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू किए जाने के लिए प्रस्ताव पारित हो गया है। प्रदेश के प्रयागराज, आगरा और गाजियाबाद में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू करने को कैबिनेट की मुहर लगी है। तीनों जगहों पर पुलिस कमिश्नरों की तैनाती की जाएगी।
UP cabinet meeting
आपको बता दें कि उत्तर प्रदेश के 7 महानगरों में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हो चुकी है। इनमें यूपी की राजधानी लखनऊ में सुजीत पांडे और नोएडा में आलोक सिंह को पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया था। 26 मार्च 2021 को दूसरे चरण में कानपुर और वाराणसी में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू हुई थी। कानपुर में विजय सिंह मीणा और वाराणसी में ए सतीश गणेश को पुलिस कमिश्नर बनाया गया था।
गाजियाबाद, आगरा, प्रयागराज में पुलिस कमिश्नरेट बनाने को लेकर योगी सरकार की तैयारी चल रही थी। इस संबंध में पुलिस महानिदेशक ने गृह विभाग को प्रस्ताव भेजा था। इन तीन महानगरों में पुलिस कमिश्नरेट बनने से जिले के शीर्ष पुलिस अधिकारी के अधिकार और बढ़ जाएंगे।
पुलिस कमिश्नरी प्रणाली में ADG रैंक का अधिकारी पुलिस आयुक्त होता है। साथ ही आईजी रैंक के अफसर को ज्वाइंट पुलिस कमिश्नर बनाया जाता है, जबकि डीआईजी रैंक के पुलिस अधिकारी अपर पुलिस आयुक्त बनाए जाते हैं। जिले की कानून-व्यवस्था की आवश्यकता, क्षेत्रफल और आबादी के हिसाब से पद सृजित किए जाते हैं।
आपको बता दें कि भारत में पुलिस कमिश्नरी सिस्टम ब्रिटिश कालीन परंपरा है, जो 1861 से चली आ रही है। भारत के अन्य महानगरों या बड़े शहरों में भी बेहतर कानून-व्यवस्था के लिए समय-समय पर पुलिस कमिश्नरों की नियुक्ति होती रही है। पुलिस कमिश्नरी में दंड प्रक्रिया संहिता के तहत सारे अधिकार पुलिस कमिश्नर रखता है। उसे संबंधित जिले के जिलाधिकारी से पुलिस के मामले में कोई निर्देश लेने की आवश्यकता नहीं होती।
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