Thursday, 19 June 2025

उत्तर प्रदेश की अजब कहानी, जीवित व्यक्ति की हत्या का आरोप

UP News : उत्तर प्रदेश की एक अजब कहानी प्रकाश में आई है। इसे कहानी कहना भी गलत होगा। दरअसल…

उत्तर प्रदेश की अजब कहानी, जीवित व्यक्ति की हत्या का आरोप

UP News : उत्तर प्रदेश की एक अजब कहानी प्रकाश में आई है। इसे कहानी कहना भी गलत होगा। दरअसल यह उत्तर प्रदेश के एक मामले का कड़वा सच है। हुआ यह कि एक व्यक्ति बाकायदा जीवित है किन्तु कागजों में उस व्यक्ति की हत्या हो गई है। इतना ही नहीं उत्तर प्रदेश की इस घटना में हद तो तब हो गई जब एक जीवित व्यक्ति की हत्या के आरोप में पूरे ढाई साल तक जेल के अंदर रहना पड़ा। मामला तब खुला जब मरा हुआ बताए जा रहे व्यक्ति ने खुद अदालत में जाकर साबित किया कि वह तो बाकायदा जीवित है।

जीवित व्यक्ति की हत्या के आरोप में ढ़ाई साल रहा उत्तर प्रदेश की जेल में

यह पूरा मामला उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले का है। शाहजहांपुर जिला अदालत ने एक फैसला सुनाया है। इस फैसले में ढाई साल से हत्या की सजा काट रहे एक युवक को बरी कर दिया गया है। उत्तर प्रदेश सरकार के सरकारी वकील श्रीपाल वर्मा ने बताया कि 16-17 दिसंबर 2022 की रात्रि को अयोध्या दिल्ली एक्सप्रेस के जनरल कोच में एक महिला का फोन चोरी हो गया था। लोगों ने शक के आधार पर एक व्यक्ति को पीट दिया। इस दौरान नरेंद्र दुबे भी उस व्यक्ति के साथ मारपीट करने लगा और उसे ट्रेन से धक्का दे दिया। वो व्यक्ति शाहजहांपुर का तिलहर स्टेशन पास गिरा था। इसके के बाद ट्रेन बरेली रुकी जहां जीआरपी ने नरेंद्र दुबे को गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद मृतक की बॉडी तिलहर स्टेशन पर बरामद कर ली गई।

पोस्टमार्टम के बाद मृतक का फोटो जीआरपी पुलिस ने वायरल किया। 21 दिसंबर को बिहार के रहने वाले याकूब ने मृतक की पहचान अपने बेटे ऐताब के रूप में की। जल्द बाजी में याकूब ने शिनाख्त की थी जबकि मृतक उसका बेटा नहीं था। अब शिनाख्त हो गई थी तो अपने बेटे को उसने मृतक मान लिया और मुस्लिम रीति रिवाज से उसका अंतिम संस्कार कर दिया था। जबकि उसका बेटा गुजरात में था। 6 महीने बाद जब बेटा अपने घर बिहार के जिला मुजफ्फरपुर थाना क्षेत्र कुंडली गांव तरासन सुमेरा पहुंचा तब उसको जिंदा देखकर पड़ोसियों ने इसकी सूचना पुलिस को कर दी।

मरने वाले के बयान के बाद मिली रिहाई

उत्तर प्रदेश सरकार के अधिवक्ता श्रीपाल वर्मा ने बताया कि मुकदमे के दौरान कथित मृतक ऐताब का बयान हुआ। ऐताब ने कहा कि मैं उसे ट्रेन में नहीं था। मेरे साथ कोई मारपीट नहीं हुई। मैं नरेंद्र दुबे को नहीं जानता हूं। उसके बाद न्यायालय ने नरेंद्र दुबे को दोष मुक्त कर दिया। लेकिन न्यायालय ने टिप्पणी की है कि नरेंद्र दुबे ने ट्रेन से जिस व्यक्ति को धक्का दिया था और उसके साथ मारपीट की थी उसकी मृत्यु हो गई थी वह बॉडी किसकी थी ये अज्ञात है। अब कोई उसकी शिनाख्त करता है। तो वह पुन: नरेंद्र दुबे के खिलाफ अपनी कार्रवाई न्यायालय में कर सकता है. उसमें यह आदेश बाधित नहीं करेगा।

उत्तर प्रदेश सरकार के वकील श्रीपाल वर्मा का कहना है कि नरेंद्र दुबे मूल रूप से फैजाबाद तहसील के बिकापुर गांव में खेमा सराय का रहने वाला है। अब जो मृतक था आखिर वह कौन था। इसके लिए पुलिस जांच करेगी उसके बाद ही अगर कुछ पता लगेगा तो इस मामले में कार्रवाई पुन: शुरू हो जाएगी। हालांकि सवाल तो उठाता है कि आखिर दो गज जमीन के नीचे किसका शव दफन कर दिया गया।

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