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उत्तर प्रदेश के इस खास मार्केट में विशेष रुचि ले रहे हैं अंबानी और अडानी

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UP News : उत्तर प्रदेश के एक खास मार्किट में अंबानी और अडानी खास रूचि ले रहे हैं। हम बात कर रहे हैं दुनिया भर में प्रसिद्ध उद्योगपति मुकेश अंबानी तथा गौतम अडानी की। इन दोनों उद्योगपतियों के साथ ही भारत के तीसरे प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा भी उत्तर प्रदेश के खास मार्किट में विशेष रुचि ले रहे हैं।

दरअसल उत्तर प्रदेश में फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स (एफएमसीजी) मार्किट पर उद्योगपतियों की विशेष नजर है। उत्तर प्रदेश का एफएमसीजी मार्किट बहुत ही तेजी से बढ़ता हुआ मार्किट है। उत्तर प्रदेश में सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार है। इसी कारण देश के इन बड़े दिग्गजों की नजर उत्तर प्रदेश के एफएमसीजी बाजार पर टिकी हुई है।

क्या कहते हैं विशेषज्ञ

बाजार पर नजर रखने वाले विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तर प्रदेश में एफएमसीजी बाजार पर टिकी हुई हैं। इतना ही नहीं देश के तीन बड़े उद्योगपति मुकेश अंबानी, गौतम अडानी तथा रतन टाटा की कम्पनी उत्तर प्रदेश के साथ ही साथ पूरे भारत के एफएमसीजी बाजार में निवेश बढ़ाने के काम में लगे हुए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मुकेश अंबानी, गौतम अडानी और रतन टाटा जैसे बड़े उद्योगपति एफएमसीजी (फास्ट मूविंग कंज्यूमर गुड्स) मार्केट में उत्तर प्रदेश समेत देश भर में बड़ा दांव लगाने में जुट गए हैं। हिंदुस्तान यूनिलीवर और ITC जैसे दिग्गज पहले से ही इस क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत बना चुके हैं। भारत की तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था और बढ़ते उपभोक्ता बाजार को देखते हुए ये कंपनियां इस मौके से फायदा उठाना चाहती हैं।

मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज (RIL) अपनी एफएमसीजी कंपनी में 3,900 करोड़ रुपये तक का निवेश करने की तैयारी में है। इक्विटी और डेट के जरिए जुटाई जाने वाली इस रकम से रिलायंस हिंदुस्तान यूनिलीवर, ITC, कोका-कोला और अडानी विल्मर जैसी कंपनियों को टक्कर देना चाहती है। अडानी ग्रुप भी एफएमसीजी कारोबार में निवेश बढ़ा रहा है। अडानी विल्मर मसालों, पैकेज्ड खाने-पीने की चीजों और रेडी-टू-कुक सेगमेंट में तीन ब्रांड खरीद सकती है। इसके लिए वह एक अरब डॉलर के फंड की व्यवस्था कर रही है।

टाटा ग्रुप की एफएमसीजी कंपनी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड (TCPL) भी नए उत्पाद श्रेणियों में प्रवेश करके अपनी उपस्थिति मजबूत करना चाहती है। कंपनी ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए अपने पूंजीगत व्यय को दोगुने से ज्यादा बढ़ाकर 785 करोड़ रुपये कर दिया है। इसका ज्यादातर हिस्सा वियतनाम में एक नए प्लांट के लिए है। हाल ही में टीसीपीएल ने अपनी तीन सहायक कंपनियों टाटा कंज्यूमर सोलफुल प्राइवेट लिमिटेड, नरिशको बेवरेजेज लिमिटेड और टाटा स्मार्टफूड्स लिमिटेड का विलय कर लिया है।

एफएमसीजी में क्या आकर्षण है ? UP News

बड़ा सवाल यह है कि रिलायंस, अडानी और टाटा जैसी कंपनियां ऐसे क्षेत्र में क्यों निवेश कर रही हैं जहां पहले से ही हिंदुस्तान यूनिलीवर, ITC, नेस्ले इंडिया, ब्रिटानिया इंडस्ट्रीज, गोदरेज, मैरिको और कोलगेट-पामोलिव जैसी दिग्गज कंपनियां मौजूद हैं?

इसका जवाब है भारत का तेजी से बढ़ता उपभोक्ता बाजार। रिलायंस इंडस्ट्रीज ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में कहा है कि भारतीय खुदरा बाजार दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ते बाजारों में से एक है। 2027 तक इसके 1.4 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंचने की उम्मीद है। रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत 2030 तक अमेरिका और चीन के बाद दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा खुदरा बाजार बन जाएगा। बढ़ता शहरीकरण, आमदनी में इजाफा, कामकाजी महिलाओं की बढ़ती संख्या और आकांक्षी युवा आबादी इसके पीछे मुख्य कारण हैं।

टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के चेयरमैन एन चंद्रशेखरन के मुताबिक, ‘भारत का उपभोक्ता बाजार दीर्घकालिक संरचनात्मक अवसर प्रदान करता है। युवा आबादी, बढ़ता मध्य वर्ग, तेजी से बढ़ता शहरीकरण, बढ़ती डिस्पोजेबल आय और बढ़ती आकांक्षाएं इसे रफ्तार प्रदान कर रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि इस दशक के अंत तक भारत का मध्य वर्ग आबादी का लगभग 30 फीसदी से बढ़कर 50 फीसदी हो जाएगा। यानी लगभग 30 करोड़ लोग मध्य वर्ग में शामिल होंगे। चंद्रशेखरन का मानना है कि ये सभी टाटा कंज्यूमर प्रोडक्ट्स लिमिटेड के लिए अनुकूल परिस्थितियां हैं। हालांकि, छोटी और मध्यम अवधि में महंगाई की दर और अनिश्चित मौसम जैसी चुनौतियां हैं। लेकिन, लंबी अवधि के दृष्टिकोण से भारत का एफएमसीजी सेक्‍टर रिलायंस, टाटा और अडानी जैसे समूहों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

रिपोर्ट में मिल रहे हैं बड़े संकेत

निवेश बैंक UBS ने हाल ही में एक रिपोर्ट में कहा है कि 2026 में भारत जर्मनी और जापान को पीछे छोड़ते हुए दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता बाजार बन जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि 2023 तक भारत में लगभग 4 करोड़ लोग (15 वर्ष और उससे अधिक आयु की आबादी में 4% हिस्सेदारी) समृद्ध श्रेणी (10,000 डॉलर से अधिक की वार्षिक आय) में थे। अगले 5 वर्षों में इनकी संख्या दोगुनी से अधिक होने की संभावना है। UBS ने अनुमान लगाया है कि 2028 तक 8.8 करोड़ लोगों की वार्षिक आय 10,000 डॉलर से अधिक होगी।

फिच सॉल्यूशंस कंपनी BMI की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत का प्रति व्यक्ति घरेलू व्यय इंडोनेशिया, फिलीपींस और थाईलैंड जैसी अन्य विकासशील एशियाई अर्थव्यवस्थाओं से तेजी से आगे निकल जाएगा। रिपोर्ट में कहा गया है कि आसियान और भारत के बीच कुल घरेलू व्यय में अंतर लगभग तीन गुना हो जाएगा। हाल ही में जारी घरेलू उपभोग व्यय सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, पिछले एक दशक में घरेलू खपत दोगुनी हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में औसत मासिक प्रति व्यक्ति उपभोग व्यय (MPCE) 2011-12 में 1,430 रुपये था जो 2022-23 में बढ़कर 3,773 रुपये हो गया, जबकि शहरी क्षेत्रों में औसत MPCE 2011-12 में 2,630 रुपये से बढ़कर 2022-23 में 6,459 रुपये हो गया।

खाद्य पदार्थों पर खर्च का हिस्सा कम हुआ है। जबकि गैर-खाद्य वस्तुओं पर खर्च का हिस्सा बढ़ा है। इसका मतलब है कि भारतीय परिवारों के पास अब पहले से ज्यादा पैसा है। वे कपड़े, जूते, परिवहन, शिक्षा, स्वास्थ्य और मनोरंजन जैसी चीजों पर ज्यादा पैसा खर्च कर रहे हैं। 2011-12 में ग्रामीण भारत में भोजन पर होने वाला खर्च 52.9% था जो 2022-23 में घटकर 46.38% हो गया, जबकि इसी अवधि में शहरी भारत में भोजन पर होने वाला खर्च 42.62% से घटकर 39.17% रह गया। यह दर्शाता है कि भारत में खपत न केवल बढ़ रही है बल्कि परिपक्व भी हो रही है। लोग अब भोजन के अलावा अन्य चीजों पर भी खर्च कर रहे हैं। इस प्रकार आप समझ गए होंगे कि भारत के दिग्गज उद्योगपति उत्तर प्रदेश के इस खास बाजार में विशेष रूचि क्यों ले रहे हैं। UP News

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