UP News : भारत गांवों का देश है, ये कहना भारतीय समाज की आत्मा का प्रतिबिंब है। इन गांवों ने न केवल देश को अन्नदाता दिए, बल्कि ऐसे वीर सपूत भी दिए जिन्होंने सीमाओं की रक्षा में अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में बसा गहमर गांव इसका एक अप्रतिम उदाहरण है। यह न केवल एशिया का सबसे बड़ा गांव माना जाता है, बल्कि इसकी वीरता और अनुशासन की परंपरा इसे भारत की सैन्य संस्कृति की धरोहर बनाती है।
इतिहास की गहराई में गहमर
गहमर की नींव सन 1530 में कुसुम देव राव द्वारा रखी गई थी। गंगा नदी के किनारे बसे इस गांव का भूगोल जितना विशाल है, इतिहास उतना ही समृद्ध। समय के साथ यह गांव न केवल कृषि में आगे बढ़ा, बल्कि सैन्य परंपरा का गढ़ बन गया। यहां की मिट्टी में जैसे जन्म लेते ही बच्चों के हाथों में हल नहीं, बल्कि वर्दी पहनने का सपना होता है।
भौगोलिक विस्तार और जनसंख्या
गहमर का कुल क्षेत्रफल 4,364 एकड़ (लगभग 17.5 वर्ग किमी) है। इसकी जनसंख्या लगभग 1.35 लाख (स्थानीय अनुमान), 25,994 (जनगणना 2011) के अनुसार है। इसका घनत्व लगभग 1,500 व्यक्ति प्रति वर्ग किमी है। यह गांव गाजीपुर जिला मुख्यालय से 40 किमी, वाराणसी से 76 किमी दूर है। यह गांव 22 पट्टियों (टोले) में विभाजित है। हर पट्टी का नाम किसी सैनिक के नाम पर रखा गया है। गहमर में रेलवे स्टेशन, बैंक, डिग्री कॉलेज, स्वास्थ्य केंद्र और डाकघर जैसी शहरी सुविधाएं उपलब्ध हैं। यहां का माहौल किसी छोटे कस्बे से कम नहीं लगता।
गांव नहीं, सैनिकों की शाला
गहमर को यूं ही फौजियों का गांव नहीं कहा जाता। यहां की हर गली, हर घर और हर पीढ़ी में देश सेवा की भावना जन्म से ही मौजूद रहती है। 12,000+ वर्तमान सैनिक तथा 30,000+ अब तक देश को समर्पित सैनिक। 40+ उच्च पदस्थ सैन्य अधिकारी यहां से हैं। यहां हर घर से सेना में कोई न कोई अवश्य होता है। 1965, 1971, कारगिल और दोनों विश्वयुद्धों में इस गांव के रहने वाले सैनिकों ने हिस्सा लिया था। आज भी गांव के युवा सुबह सूरज उगने से पहले सेना की भर्ती की तैयारी में जुट जाते हैं। UP News
कामाख्या देवी मंदिर : गहमर की आध्यात्मिक शक्ति
गांव में स्थित कामाख्या देवी मंदिर यहां की सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान है। माना जाता है कि मां के आशीर्वाद से कोई भी सैनिक शहीद नहीं होता। हर सैनिक ड्यूटी पर जाने से पहले मंदिर में माथा टेकता है। देवी मां की पूजा गांव में सामूहिक उत्सव की तरह होती है। UP News
रेलवे से सीधा संपर्क, पर्यटन की संभावना
गहमर गांव से होकर मुगलसराय (अब पं. दीन दयाल उपाध्याय नगर) से पटना जाने वाली ट्रेनों की आवाजाही होती है। रेलवे स्टेशन से लेकर सड़क मार्ग तक यह गांव हर तरह से जुड़ा हुआ है, जो इसे पर्यटन और आर्थिक दृष्टि से भी महत्व देता है। गांव में शिक्षा को लेकर भी जागरूकता है। डिग्री कॉलेज और इंटर कॉलेज गांव में ही उपलब्ध हैं। युवाओं को एनडीए, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे जैसी परीक्षाओं के लिए प्रेरित किया जाता है। कई संस्थान गहमर को ग्रामीण शिक्षा और राष्ट्रसेवा का मॉडल मानते हैं। UP News
डॉक्यूमेंट्री या टूरिज्म सीरीज के लिए एक आदर्श विषय
गहमर पर आधारित एक डॉक्यूमेंट्री या डिजिटल सीरीज देश को ग्रामीण भारत की ताकत, परंपरा और जुनून दिखा सकती है। यदि भारत की आत्मा को समझना है, तो गहमर को जानना जरूरी है। गहमर केवल गांव नहीं, गौरव है। गहमर एक ऐसा गांव है जो भारत की मिट्टी में जन्मे उस जज्बे का प्रतीक है, जिसे ना भूख झुका सकती है, ना डर डिगा सकता है। ये गांव सिर्फ खेत, खलिहान और गलियों का नहीं, बल्कि कर्तव्य, त्याग और देशभक्ति का पर्याय बन चुका है। UP News
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