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उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट का बड़ा फैसला, वसीयत को रजिस्टर्ड करना अनिवार्य नहीं

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UP News : उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। प्रयागराज में स्थित उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश के किसी भी हिस्से में लिखी जाने वाली वसीयत को रजिस्टर्ड कराने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। पूरे उत्तर प्रदेश में इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले का व्यापक स्वागत किया जा रहा है। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का यह फैसला ऐसे समय में आया है जब पूरे उत्तर प्रदेश में वसीयत के मामलों से जुड़े हुए विवाद तथा मुकदमे बढ़ते जा रहे थे।

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यह है उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट का फैसला

शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के हाईकोर्ट ने एक बड़ा फैसला सुनाया है। हाईकोर्ट ने उत्तर प्रदेश में वसीयत पंजीकरण (रजिस्टर्ड)कराने की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। अब इसकी कोई जरूर नहीं पड़ेगी। साथ ही 2004 का संशोधन कानून भी शून्य करार दे दिया है। हाई कोर्ट ने उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश एवं भूमि सुधार अधिनियम की धारा 169 की उपधारा 3 रद्द कर दी है। उत्तर प्रदेश हाई कोर्ट ने इस संशोधन कानून को भारतीय पंजीकरण कानून के विपरीत करार दिया है। तत्कालीन सरकार ने 23 अगस्त 2004 से वसीयतनामे का पंजीकरण अनिवार्य कर दिया था। वहीं, अब हाई कोर्ट ने कहा कि वसीयत पंजीकृत नहीं है तो वह अवैध नहीं होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा और न्यायमूर्ति अजित कुमार की खंडपीठ ने दिया है। खंडपीठ ने मुख्य न्यायाधीश द्वारा भेजे गए रेफरेंस को निस्तारित करते हुए यह आदेश दिया है। याचिका पर अधिवक्ता आनंद कुमार सिंह ने बहस की। कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए रेफरेंस संशोधित कर मूल मुद्दे पर अपना फैसला सुनाया है।

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उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले के बाद अब उत्तर प्रदेश में किसी भी वसीयत को रजिस्टर्ड कराना अनिवार्य नहीं रहेगा। उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट के इस फैसले का व्यापक स्वागत हो रहा है।

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