नहीं रहे राम मंदिर आंदोलन के स्तंभ डॉ. रामविलास वेदांती

संत समाज और रामभक्तों ने उन्हें आंदोलन की “जीवंत आवाज” के रूप में याद किया। उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है और मंगलवार को सरयू तट पर धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ जल समाधि दी जाएगी।

राम जन्मभूमि आंदोलन के पुरोधा डॉ. रामविलास वेदांती नहीं रहे
राम जन्मभूमि आंदोलन के पुरोधा डॉ. रामविलास वेदांती नहीं रहे
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar15 Dec 2025 02:08 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश में राम जन्मभूमि आंदोलन की पहचान बन चुके संत-नेता और भाजपा के पूर्व सांसद डॉ. रामविलास वेदांती का सोमवार दोपहर निधन हो गया। बीते कुछ दिनों से वे अस्वस्थ थे और मध्य प्रदेश के रीवा स्थित संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में उनका उपचार चल रहा था। जैसे ही उनके देहावसान की खबर अयोध्या पहुंची, सरयू नगरी से लेकर प्रदेशभर के मंदिर-मठों तक शोक की लहर दौड़ गई संत समाज और रामभक्तों ने उन्हें आंदोलन की “जीवंत आवाज” के रूप में याद किया। उनका पार्थिव शरीर अयोध्या लाया जा रहा है और मंगलवार को सरयू तट पर धार्मिक रीति-रिवाजों के साथ जल समाधि दी जाएगी।

रीवा में अचानक बिगड़ी तबीयत

सूत्रों के मुताबिक 67 वर्षीय डॉ. रामविलास वेदांती बीते दो दिनों से रीवा में रामकथा कार्यक्रमों के सिलसिले में प्रवास पर थे। रविवार को अचानक उनकी तबीयत बिगड़ी, जिसके बाद उन्हें संजय गांधी मेमोरियल अस्पताल में भर्ती कराया गया। रातभर हालत में उतार-चढ़ाव बना रहा और देर रात हार्ट अटैक की आशंका/जानकारी भी सामने आई। सोमवार सुबह से ही स्वास्थ्य को लेकर चिंता बढ़ी रही विशेषज्ञ डॉक्टर लगातार मॉनिटरिंग करते रहे और बेहतर इलाज के लिए उन्हें एयरलिफ्ट कर भोपाल या उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ले जाने जैसे विकल्पों पर भी विचार हुआ। लेकिन खराब मौसम और कम विजिबिलिटी के चलते यह योजना परवान नहीं चढ़ सकी। इलाज जारी रहा, मगर दोपहर करीब 12:30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ले ली, और खबर मिलते ही अयोध्या से लेकर पूरे यूपी के संत समाज में शोक की लहर दौड़ गई।

अयोध्या में अंतिम दर्शन की तैयारी

डॉ. रामविलास वेदांती का नाम अयोध्या के धार्मिक-सामाजिक जीवन में लंबे समय तक एक प्रभावशाली पहचान के तौर पर दर्ज रहा। राम मंदिर आंदोलन के दौर में उनकी सक्रियता ने उन्हें सिर्फ अयोध्या तक सीमित नहीं रखा बल्किउत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों में फैले रामभक्तों और संत समाज के बीच उनकी मौजूदगी एक मजबूत ‘संगठनात्मक सेतु’ की तरह मानी जाती रही। अब जैसे ही उनका पार्थिव शरीर अयोध्या धाम पहुंचेगा, अंतिम दर्शन और सरयू तट पर होने वाली जल समाधि के लिए तैयारियां तेज कर दी गई हैं, ताकि श्रद्धालु उन्हें अंतिम विदाई दे सकें।

सीएम योगी समेत नेताओं ने जताया दुख

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने डॉ. रामविलास वेदांती के निधन पर गहरा शोक जताया है। मुख्यमंत्री ने उन्हें राम जन्मभूमि आंदोलन का अहम स्तंभ बताते हुए कहा कि उनका जाना संत समाज ही नहीं, बल्कि सनातन परंपरा और आध्यात्मिक जगत के लिए भी बड़ी क्षति है। उन्होंने प्रभु श्रीराम से प्रार्थना की कि दिवंगत आत्मा को सद्गति और शांति मिले। UP News

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घने कोहरे ने मचाई तबाही, ग्रेटर नोएडा हाईवे पर 12 वाहनों की भीषण टक्कर

सुबह के समय कोहरा इतना घना था कि चालकों को आगे चल रहे वाहनों का अंदाजा नहीं लग पाया। एक वाहन के अचानक ब्रेक लगाने के बाद पीछे से आ रहे अन्य वाहन लगातार टकराते चले गए और देखते ही देखते लंबी श्रृंखला में दुर्घटना हो गई।

accident (2)
घने कोहरे के शिकार वाहन
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar15 Dec 2025 02:06 PM
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Greater Noida News : ग्रेटर नोएडा में सोमवार सुबह घने कोहरे के कारण एक बड़ा सड़क हादसा हो गया। ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे पर अचानक दृश्यता बेहद कम होने से करीब 12 वाहन आपस में भिड़ गए, जिससे हाईवे पर अफरा-तफरी मच गई। इस दुर्घटना में कई लोग घायल हो गए, जिन्हें तुरंत नजदीकी अस्पतालों में भर्ती कराया गया। जानकारी के अनुसार, यह हादसा उस समय हुआ जब वाहन पलवल से ग्रेटर नोएडा की ओर जा रहे थे। सुबह के समय कोहरा इतना घना था कि चालकों को आगे चल रहे वाहनों का अंदाजा नहीं लग पाया। एक वाहन के अचानक ब्रेक लगाने के बाद पीछे से आ रहे अन्य वाहन लगातार टकराते चले गए और देखते ही देखते लंबी श्रृंखला में दुर्घटना हो गई।

पुलिस और राहत दल मौके पर पहुंचे

घटना की सूचना मिलते ही पुलिस और राहत दल मौके पर पहुंचे। घायलों को एंबुलेंस की मदद से अस्पताल भेजा गया और क्षतिग्रस्त वाहनों को हटाकर यातायात को धीरे-धीरे सामान्य किया गया। हादसे के कारण हाईवे पर कुछ समय तक जाम की स्थिति बनी रही।

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि पिछले तीन दिनों से ग्रेटर नोएडा और आसपास के इलाकों में लगातार घना कोहरा छाया हुआ है, जिसके चलते सड़क दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। इससे पहले भी शनिवार और रविवार को इसी हाईवे पर हादसे सामने आ चुके हैं।

कोहरे से यात्रा में हो रही परेशानी

कोहरे का असर केवल ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेसवे तक सीमित नहीं है, बल्कि नोएडा-ग्रेटर नोएडा एक्सप्रेसवे और यमुना एक्सप्रेसवे पर भी विजिबिलिटी काफी कम दर्ज की जा रही है, जिससे यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रशासन और यातायात पुलिस ने वाहन चालकों से अपील की है कि वे कोहरे के दौरान वाहन धीमी गति से चलाएं, फॉग लाइट और इंडिकेटर का सही उपयोग करें, आगे चल रहे वाहन से सुरक्षित दूरी बनाए रखें, अनावश्यक यात्रा से बचें। सावधानी बरतने से ही ऐसे हादसों को रोका जा सकता है।



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पश्चिमी उत्तर प्रदेश की हवा पर योगी सरकार सख्त, 7 विभागों से रिपोर्ट तलब

यह निर्देश वायु गुणवत्ता प्रबंधन से जुड़ी एजेंसी/आयोग के पत्र के अनुपालन में जारी हुए हैं, ताकि उत्तर प्रदेश के एनसीआर बेल्ट में प्रदूषण नियंत्रण केवल “अभियान” नहीं, बल्कि सालभर चलने वाली मापनीय रणनीति बनकर लागू हो सके।

योगी सरकार ने 7 विभागों से मांगी कार्रवाई रिपोर्ट
योगी सरकार ने 7 विभागों से मांगी कार्रवाई रिपोर्ट
locationभारत
userअभिजीत यादव
calendar15 Dec 2025 10:49 AM
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UP News : दिल्ली -एनसीआर की सरहद से सटे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर योगी सरकार ने रुख और कड़ा कर दिया है। प्रदूषण पर लगाम कसने के लिए शासन ने सात विभागों से अब तक उठाए गए कदमों की विस्तृत रिपोर्ट तलब की है। साथ ही उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद समेत मेरठ, हापुड़–पिलखुआ, बुलंदशहर, खुर्जा, बागपत–बड़ौत और मुजफ्फरनगर के विकास प्राधिकरणों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि वे “सालभर लागू” रहने वाली वार्षिक कार्ययोजना (Annual Action Plan) बनाकर शासन को सौंपें ताकि उत्तर प्रदेश में प्रदूषण पर नियंत्रण सिर्फ ‘सीजनल’ अभियान न रहे, बल्कि पूरे वर्ष सतत और परिणाम-आधारित रूप से लागू की जा सके।

एनसीआर बेल्ट में “धूल-धुआं” सबसे बड़ा खतरा

शासन की प्राथमिकता अब एनसीआर बेल्ट और उससे सटे उत्तर प्रदेश के जिलों में प्रदूषण के “असली कारणों” पर सीधी चोट करने की है। अधिकारियों को साफ निर्देश दिए गए हैं कि इस बार रिपोर्ट सिर्फ कागजों की खानापूरी न बने, बल्कि जमीन पर दिखने वाले असरदार कदमों का पूरा ब्लूप्रिंट सामने आए अब तक क्या कार्रवाई हुई, कहां ढिलाई या कमी रही, किन बिंदुओं पर तुरंत सुधार जरूरी है और आगे उत्तर प्रदेश में निगरानी, नियंत्रण व जवाबदेही की व्यवस्था किस तरह मजबूत की जाएगी।

विकास प्राधिकरणों से मांगा गया “साल भर का रोडमैप”

उत्तर प्रदेश में एनसीआर से सटे जिलों के विकास प्राधिकरणों को सरकार ने साफ-साफ “टास्क मोड” में डाल दिया है। आदेश है कि हर प्राधिकरण अपने इलाके की वर्तमान वायु गुणवत्ता की तस्वीर शासन के सामने रखे, यह बताए कि प्रदूषण घटाने के लिए अब तक जमीन पर क्या-क्या कदम उठाए गए, और 2026 के लिए महीने-दर-महीने/सीजन-वार एक्शन प्लान भी पेश करे। खास तौर पर निर्माण स्थलों पर उड़ती धूल को रोकने, मलबा प्रबंधन, नियमित पानी के छिड़काव, और ग्रीन कवर बढ़ाने जैसी कार्रवाइयों का स्पष्ट रोडमैप मांगा गया है। यह निर्देश वायु गुणवत्ता प्रबंधन से जुड़ी एजेंसी/आयोग के पत्र के अनुपालन में जारी हुए हैं, ताकि उत्तर प्रदेश के एनसीआर बेल्ट में प्रदूषण नियंत्रण केवल “अभियान” नहीं, बल्कि सालभर चलने वाली मापनीय रणनीति बनकर लागू हो सके।

सात विभागों को सौंपा गया जिम्मेदारी का दायरा

उत्तर प्रदेश सरकार ने प्रदूषण पर नियंत्रण को लेकर इस बार विभागों की जवाबदेही तय कर दी है। शासन स्तर पर कृषि, परिवहन, नगर विकास, गृह, अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास, लोक निर्माण (PWD) और आवास एवं शहरी नियोजन विभागों से प्रस्ताव और विस्तृत रिपोर्ट तलब की गई है। इन विभागों को यह स्पष्ट करना होगा कि प्रदेश में सालभर हवा की गुणवत्ता के औसत स्तर में सुधार कैसे लाया जाएगा, AQI/PM की निगरानी रोजाना या तय अंतराल पर किस सिस्टम से होगी, और प्रदूषण का स्वास्थ्य पर असर समझते हुए हॉटस्पॉट/संवेदनशील क्षेत्रों की पहचान कैसे की जाएगी। साथ ही, सरकार ने 2021 से 2025 के बीच किए गए सुधारात्मक कार्यों का लेखा-जोखा और 2026 में लागू होने वाले नए, ठोस और परिणाम-आधारित कदमों का रोडमैप भी मांगा है—ताकि उत्तर प्रदेश में प्रदूषण नियंत्रण सिर्फ मौसमी कवायद नहीं, बल्कि सालभर चलने वाली रणनीति बन सके।

पूर्वी यूपी में भी बढ़ी चिंता

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के साथ-साथ पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी प्रदूषण का असर तेज दिख रहा है। प्रयागराज में हाल के दिनों में हवा की गुणवत्ता गंभीर बताई जा रही है। रिपोर्ट के अनुसार PM2.5 के स्तर में बेहद ऊंची रीडिंग दर्ज होने की बात सामने आई है। हालात को देखते हुए शहर में कई इलाकों में पानी का छिड़काव शुरू किया गया है और डॉक्टरों ने खासकर सुबह-शाम बाहर निकलने से बचने व मास्क के इस्तेमाल की सलाह दी है। विशेषज्ञों के मुताबिक तापमान गिरने के साथ कोहरा-धुंध प्रदूषक कणों को हवा में लंबे समय तक रोक रहा है। वहीं उत्तर प्रदेश के कई शहरों में चल रहे पुनर्विकास/निर्माण कार्य भी धूल बढ़ाने का बड़ा कारण बन रहे हैं। प्रयागराज जैसे शहरों में स्टेशन, बस अड्डा, मेला क्षेत्र सहित कई जगहों पर काम तेज होने से धूल का असर बढ़ रहा है, हालांकि संबंधित एजेंसियों द्वारा छिड़काव और अस्थायी व्यवस्थाएं की जा रही हैं। UP News

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