UP News : उत्तर प्रदेश में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के खिलाफ बिजली कर्मचारी और इंजीनियरों ने बड़े पैमाने पर प्रदर्शन शुरू कर दिया है। यह प्रदर्शन राज्य सरकार के उस निर्णय के खिलाफ है, जिसके तहत उत्तर प्रदेश की बिजली वितरण कंपनियों को निजी हाथों में देने की योजना बनाई जा रही है। कर्मचारियों का कहना है कि, इससे न केवल उनके रोजगार पर खतरा मंडराएगा बल्कि उपभोक्ताओं को भी महंगी बिजली मिलेगी और सेवाओं में गिरावट आ सकती है।
बढ़ेगा आम जनता का बोझ
बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों का आरोप है कि उत्तर प्रदेश सरकार का निजीकरण का कदम आर्थिक रूप से नुकसानदायक हो सकता है। उनका कहना है कि निजी कंपनियां अपने फायदे के लिए बिजली की दरों में वृद्धि कर सकती हैं, जिससे आम जनता पर बोझ बढ़ेगा। कर्मचारियों और इंजीनियरों का कहना है कि, निजीकरण के बाद कर्मचारियों की नौकरी पर संकट आ सकता है और उनकी सेवाओं के अधिकार भी खतरे में पड़ सकते हैं।
प्रदर्शन में शामिल प्रमुख संगठन
इस प्रदर्शन में विभिन्न संगठनों के कर्मचारी शामिल हैं। जिनमें उत्तर प्रदेश बिजली कर्मचारी संघ (UPBEA) और उत्तर प्रदेश विद्युत इंजीनियर संघ (UPVESA) प्रमुख हैं। इन संगठनों ने राज्य सरकार से अपील की है कि वह बिजली के निजीकरण की योजना को वापस ले और कर्मचारियों की सुरक्षा सुनिश्चित करे। वहीं, राज्य सरकार ने इन प्रदर्शनकारियों की मांगों को लेकर कुछ भी स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सरकार का कहना है कि, यह कदम बिजली वितरण व्यवस्था को सुधारने और प्रभावी बनाने के लिए उठाया गया है। सरकार का मानना है कि निजी कंपनियां सेवाओं में सुधार लाएंगी और बिजली वितरण में बेहतर दक्षता सुनिश्चित करेंगी।
आंदोलन ले सकता है बड़ा रूप
बता दें कि इस आंदोलन के कारण उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों और इंजीनियरों की हड़ताल या प्रदर्शन तेज हो सकते हैं, जो राज्य की बिजली आपूर्ति को प्रभावित कर सकते हैं। यदि सरकार और प्रदर्शनकारी कर्मचारियों के बीच समझौता नहीं होता तो यह आंदोलन बड़ा रूप ले सकता है। UP News
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