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उत्तर प्रदेश वालों के लिए अच्छी खबर, नहीं होगा पानी का बंटवारा

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UP News :  उत्तर प्रदेश के सभी नागरिकों के लिए अच्छी खबर आई है। खबर यह है कि यमुना नदी पर स्थापित हथिनीकुंड बैराज में पानी का अब उत्तर प्रदेश को बंटवारा नहीं करना पड़ेगा। अभी तक उत्तर प्रदेश को अपने हिस्से के पानी में से उत्तराखंड को भी पानी देना पड़ता है। उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारियों का कहना है कि नए सिरे से पानी के बंटवारे का एमओयू किया जाएगा। इस बंटवारे में उत्तर प्रदेश की तरह ही उत्तराखंड को भी शामिल किया जाएगा।

नए सिरे से तय होगा पानी का बंटवारा

उत्तर प्रदेश सरकार के हवाले से एक मीडिया रिपोर्ट प्रकाश में आई है। इस मीडिया रिपोर्ट से साफ जाहिर है कि निकट भविष्य में उत्तर प्रदेश को अपने हिस्से के पानी में से बंटवारा नहीं करना पड़ेगा। हथिनीकुंड के पानी के बंटवारे में जल्दी ही उत्तर प्रदेश समेत छह राज्य शामिल हो जाएंगे। रिपोर्ट के मुताबिक हथिनीकुंड बैराज प्राकृतिक पानी का बड़ा स्त्रोत है, जहां से पांच राज्यों को पीने और सिंचाई के लिए पानी का बंटवारा होता है। इसके लिए पांचों राज्यों के बीच 1994 में एमओयू हुआ था, जो अब 2025 में फिर से होना है। इसमें अब उत्तराखंड को शामिल किया जाएगा।

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12 मई 1994 में हुआ समझौता हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली और राजस्थान के बीच था। इसमें पांचों राज्यों के लिए प्रति वर्ष के लिए पानी की अलग-अलग मात्रा निर्धारित है। इस पानी का इस्तेमाल दिल्ली पीने के लिए और सिंचाई, बाकी राज्य केवल सिंचाई में करते हैं।

समझौते में यह भी तय हुआ था कि पहले उस राज्य को पानी दिया जाएगा, जो पानी का इस्तेमाल पीने के लिए करता है। इसलिए सबसे पहले दिल्ली को पानी दिया जाता है। इसके बाद शेष पानी का बाकी चार राज्यों को दिया जाता है। अब यह समझौता 30 साल बाद 2025 में होगा। इसमें उत्तराखंड भी शामिल रहेगा, क्योंकि 1994 तक उत्तराखंड नहीं बना था। प्रत्येक वर्ष कुल 11.983 बीसीएम (बिलियन क्यूसेक मीटर) पानी का बंटवारा पांच राज्यों को होता है। उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश अपने हिस्से में से पानी देता है।

उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों को पानी देता है हथिनीकुंड बैराज

आपको हम बता ही चुके हैं कि हथिनीकुंड बैराज उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों को पानी देता है। हथिनीकुंड बैराज हरियाणा के यमुनानगर जिले में स्थित है। सिंचाई उद्देश्यों के लिए इसका निर्माण 1996 में शुरू हुआ। इसका उद्घाटन 1999 में हरियाणा के तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसी लाल ने किया था।  हालांकि, इसने 2002 के बाद ही पूरी तरह से काम करना शुरू किया।

हथिनीकुंड बैराज का उद्देश्य हिमाचल प्रदेश के ऊपरी क्षेत्रों से आने वाले पानी को नियंत्रित करना है। बैराज की लंबाई 360 मीटर है और इसमें 10 फ्लडगेट हैं। इस बैराज के निर्माण में लगभग 168 करोड़ रुपये की लागत आई। बैराज की क्षमता 10 लाख क्यूसेक पानी झेलने की है। वर्तमान में गेटों की संख्या बढक़र 18 हो गई है।

ब्रिटिश शासन के दौरान जल वितरण को नियंत्रित करने वाला ताजेवाला बैराज 126 वर्षों तक बरकरार रहा।  लेकिन कुछ दशक पहले बने हथिनीकुंड बैराज में कई बार टूट-फूट हुई। हथिनीकुंड बैराज की आधारशिला 12 मई 1994 को रखी गई थी। उस समय पांच राज्यों के मुख्यमंत्री थे, जिनमें हरियाणा से भजन लाल, उत्तर प्रदेश से मुलायम सिंह, राजस्थान से भैरों सिंह शेखावत, दिल्ली से मदन लाल खुराना शामिल थे। हिमाचल प्रदेश से वीरभद्र सिंह भी इसमें थे। हथिनीकुंड बैराज के निर्माण के बाद यहां से पांच राज्यों में पानी का बंटवारा भी तय हो गया था। वर्ष-2025 में उत्तर प्रदेश सरकार की पहल पर पानी का बंटवारा उत्तर प्रदेश समेत छह राज्यों के बीच हो जाएगा।

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