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UP News : हड़ताल के बीच योगी सरकार हुई सख्त, 22 FIR दर्ज, 6 अधिकारी भी सस्पेंड

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UP News : लखनऊ: उत्तर प्रदेश में बिजली कर्मचारियों की हड़ताल का असर हर जगह देखने को मिल रहा है। राजधानी लखनऊ समेत राज्य के लोगों को काफी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। प्रदेश भले ही यूपी की जनता को राहत देने का दावा कर रही हो लेकिन हकीकत यह की जनता परेशान है। वाराणसी समेत कई जिलों से बिजली आपूर्ति की खबरे आ चुकी हैं। हालांकि इन सबके के ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने भी इस हड़ताल के बाद पूरी तरह से सक्रिय नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि अब तक 22 एफआईआर और 6 अधिकारियों को सस्पेंड किया जा चुका है।

ऊर्जा मंत्री ने कही ये बात

ऊर्जा मंत्री एके शर्मा ने कहा कि बिजली सप्लाई में बाधा डालने वाले कर्मचारियों को पाताल से खोजकर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जो लोग कानून हाथ में ले रहे हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। उन्होंने दावा किया कि कुछ गैर-जिम्मेदार संगठन की तरफ से यह हड़ताल की जा रही है। यूपी में बिजली की कोई कमी नहीं है। कर्मचारियों संगठनों के लिए अभी भी बातचीत का रास्ता खुला है। किसी को भी कानून हाथ में लेने की जरूरत नहीं है।

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बता दें कि इससे पहले हड़ताल के मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भी नाराजगी जताते हुए विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति के अध्यक्ष शैलेंद्र दुबे समेत अन्य नेताओं के खिलाफ वारंट जारी किया था। सरकार ने इस मामले में हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। जिसके बाद सोमवार को सभी पदाधिकारियों को हाईकोर्ट ने तलब किया है।

UP News – यूपी के 1 लाख बिजली कर्मचारियों ने हड़ताल

गौरतलब है कि, यूपी में करीब 1 लाख बिजली कर्मचारी 72 घंटे की हड़ताल पर हैं। ऐसे में कई जिलों से बिजली बाधित होने की खबरें भी सामने आई हैं। अधिवक्ता विभु राय कहना का कहना है कि 6.12.2022 को कोर्ट ने आदेश दिया था। जिसमें कहा था कि कोई भी संगठन नेता सरकार पर हड़ताल का सहारा लेकर सरकार पर दबाव नहीं बना सकता। इसके अलावा अन्य तरीके भी है अपनी बात रखने के। क्योंकि बिजली जैसी एसेंशियल सर्विस नहीं रोकी जा सकती है।

हाईकोर्ट ने पदाधिकारियों को किया तलब

वकील प्रभु राय ने कहा कि इस मामले पर कोर्ट ने सुनवाई करते हुए आदेश दिया कि बिजली कर्मचारी संघ जिसके आह्वान पर जो हड़ताल बुलाई गई है। वहीं प्रेस विज्ञप्ति में जिन पदाधिकारी और कर्मचारियों के नाम है उन्हे कोर्ट ने कटेमेंट नोटिस और वारंट जारी करने का आदेश दिया है। साथ ही सभी नेताओ को कोर्ट ने 20 मार्च को तलब भी किया है। उच्च न्यायालय ने इस बात का भी संज्ञान लिया कि संघर्ष समिति द्वारा चलाई जा रही हड़ताल उनके पूर्व के आदेश की अवहेलना है।जिसके लिए कोर्ट के आदेश की अवमानना की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गयी है।

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