UP News : उत्तर प्रदेश के हाथरस जिले में इन दिनों आवारा कुत्तों का आतंक लोगों की जिंदगी को मुश्किल में डाल रहा है। भीषण गर्मी के साथ ही कुत्तों के काटने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं जिससे जिलेभर में दहशत का माहौल है। बताया जा रहा है कि, हर दिन करीब 400 लोग जिला अस्पताल और स्वास्थ्य केंद्रों पर एंटी रेबीज़ वैक्सीन लगवाने पहुंच रहे हैं। महिलाओं, बच्चों और बुजुर्गों पर हमले के मामले ज्यादा सामने आ रहे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि नगर पालिका इस स्थिति को लेकर पूरी तरह लापरवाह बनी हुई है।
शहर से गांव तक कुत्तों का हमला
जानकारी के मुताबिक, रात के समय शहर की गलियों, कॉलोनियों और मुख्य सड़कों पर कुत्तों का झुंड हमला कर रहे हैं। दोपहिया वाहन चालकों को कई बार गिराकर घायल कर देने के मामले सामने आ चुके हैं। कुत्तों के काटने से बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग सबसे अधिक पीड़ित हैं। हाथरस के जिला अस्पताल, सीएचसी और पीएचसी पर हर दिन सैकड़ों लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक, सासनी सीएचसी में शुक्रवार को 75 मरीजों को वैक्सीन लगी। सादाबाद सीएचसी में 60 लोगों को इंजेक्शन लगाया गया वहीं मुरसान सीएचसी पर भी 40 लोगों को वैक्सीन दी गई। चिकित्सकों का कहना है कि गर्मी के मौसम में कुत्तों का व्यवहार आक्रामक हो जाता है। तनाव और पानी की कमी उन्हें चिड़चिड़ा बना देती है जिससे वे इंसानों पर हमला करने लगते हैं।
पशु चिकित्सक की चेतावनी
पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. विजय सिंह का कहना है कि, मौसम में अचानक बदलाव और इंसानों के असहज व्यवहार से कुत्तों में तनाव बढ़ता है। इससे वे हिंसक हो जाते हैं। अगर आस-पास के लोग उनके साथ सही व्यवहार न करें या उन्हें खाने-पीने के लिए कुछ न मिले तो उनके हमलावर होने की संभावना और बढ़ जाती है।
नगर पालिका की लापरवाही से बिगड़ रही स्थिति
हाथरस में इन दिनों हालत यह है कि नगर पालिका के पास किसी भी पालतू कुत्ते का रजिस्ट्रेशन दर्ज नहीं है, जबकि नियमों के अनुसार यह अनिवार्य है। ना ही आवारा कुत्तों की नसबंदी हो रही है, ना ही कोई पकड़ने की कार्रवाई की जा रही है। लापरवाही का नतीजा ये है कि शहर और गांवों में कुत्तों की संख्या बेकाबू होती जा रही है।
कैसे करें बचाव?
- बच्चों को आवारा कुत्तों से दूर रखें
- काटे जाने की स्थिति में घाव को तुरंत साबुन और पानी से 10–12 बार धोएं
- घायल होने पर तुरंत अस्पताल पहुंचें
- पालतू कुत्तों को समय पर रेबीज़ वैक्सीन जरूर लगवाएं
- कुत्तों के लिए पानी की व्यवस्था करें ताकि वे तनाव में न आएं
क्या है रेबीज़ और क्यों है इतना खतरनाक?
रेबीज़ एक जानलेवा वायरस है जो संक्रमित जानवरों, खासकर कुत्तों की लार के जरिए फैलता है। अगर किसी को संक्रमित जानवर ने काट लिया और समय पर इलाज नहीं हुआ तो यह लगभग 100% घातक साबित हो सकता है।
क्या है रेबीज़ के लक्षण?
- बुखार और सिर दर्द
- घबराहट और बेचैनी
- अत्यधिक लार आना
- नींद न आना
- बुरे सपने
- दिमागी असंतुलन
रेबीज़ के लक्षण दिखने से पहले यह वायरस शरीर में 1 से 3 महीने तक निष्क्रिय रह सकता है। इसीलिए काटने के तुरंत बाद इलाज जरूरी है। UP News
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