सार
UP News Live : उत्तर प्रदेश की घोसी विधानसभा सीट पर एकतरफा जीत दर्ज करके समाजवादी पार्टी ने नया इतिहास रचा है। इस उपलब्धि के लिए “चाचा जी” के नाम से प्रसिद्ध सपा के राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल सिंह यादव की सर्वत्र सराहना हो रही है। ज्यादातर लोग कह रहे हैं कि घोसी की जीत शिवपाल सिंह यादव के चुनावी “मैनेजमेंट” की जीत है।
विस्तार
UP News Live : आपको बता दें कि UP की घोसी विधानसभा की सीट पर उप चुनाव हुआ है। इस उप चुनाव का नतीजा शुक्रवार को घोषित किया गया है। इस नतीजे में समाजवादी पार्टी ने एक एकतरफा जीत दर्ज की है। सपा के प्रत्याशी सुधाकर सिंह ने घोसी में सत्तारूढ पार्टी के प्रत्याशी दारा सिंह चौहान को 42 हजार से भी अधिक वोटों से चुनाव हरा दिया है। ऐसे में चुनाव जीतने वाले सुधाकर सिंह के साथ ही जिस नेता की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। उस नेता का नाम है शिवपाल सिंह यादव। दरअसल, शिवपाल सिंह समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के चाचा लगते हैं। इसी कारण अधिकतर समर्थक उन्हें “चाचा जी” के नाम से संबोधित करते हैं।
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सपा के चाणक्य
आपको बता दें कि शिवपाल सिंह यादव को UP की राजनीति का चाणक्य कहा जाता है। घोसी विधानसभा सीट पर सपा को एकतरफा जीत दिलवाकर शिवपाल सिंह ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वास्तव में ही “चाचा जी” के चुनावी “मैनेजमेंट” का कोई तोड़ किसी नेता के पास नहीं है।
राजनीतिक विश्लेषकों का मत है कि घोसी उपचुनाव में जीत के बाद शिवपाल यादव ने यह साबित कर दिया है कि वें सपा के असली चाणक्य है। शिवपाल यादव की चुनावी रणनीति बीजेपी के आक्रामक चुनाव प्रचार पर भारी पड़ गई और सपा के सुधाकर सिंह ने 42 हजार से ज्यादा वोटों से बीजेपी के दारा सिंह चौहान को मात दे दी। शिवपाल यादव घोसी में सपा की जीत के असली किंग मेकर बनकर उभरे हैं। जिसके बाद माना जा रहा है कि उनका पार्टी में कद और बढ़ सकता है।
सपा राष्ट्रीय महासचिव शिवपाल यादव ने मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव की तरह ही घोसी में भी साबित कर दिया कि उनके मैनेजमेंट में कितना दम है। वें लगातार पार्टी को आगे बढ़ाने की ओर ले जा रहे हैं, अखिलेश यादव भी उन पर पूरा भरोसा करते हैं। यही वजह है कि घोसी जैसी सीट जिस पर सपा और बीजेपी के बीच नाक की लड़ाई थी, उसकी जिम्मेदारी अखिलेश यादव ने शिवपाल यादव के कंधों पर सौंपी। जिसके बाद उन्होंने बीजेपी के आक्रामक चुनाव प्रचार के बीच बूथ मैंनेजमेंट में जबरदस्त भूमिका निभाई।
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मिली एकतरफा जीत
शिवपाल यादव शुरू से ही घोसी में जमे रहे। सुधाकर सिंह को सपा के टिकट मिलने के पीछे भी उनकी ही रणनीति मानी जाती है। जहां बीजेपी ने अति पिछड़े समाज से दारा सिंह चौहान को उतारा था तो सपा ने सवर्ण वर्ग के सुधाकर सिंह पर दांव चला। इससे सपा के पाले में पीडीए के साथ ही सवर्ण वोट भी आए और सपा बीजेपी के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब हो गई।
चुनाव प्रचार के दौरान शिवपाल यादव ने जगह-जगह कैंप किए और गांव-गांव प्रचार किया। उन्होंने सब लोगों से बात की और वोटों का सांप्रदायिक ध्रुवीकरण नहीं होने दिया। उन्होंने वोटरों की तमाम समस्याओं को लेकर लोगों से बात की और अधिकारियों तक उनकी बात को पहुंचाया फिर चाहे वो अल्पसंख्यक समुदाय में बिजली या पानी काटने की बात हो या फिर लाल और यलो कार्ड दिए जाने की बात शिवपाल यादव डीएम से लेकर आईजी और तमाम अधिकारियों से मिलते दिखाई दिए।
लगातार गांव दर गांव घूमते रहे
शिवपाल यादव प्रचार तक ही नहीं रुके, चुनाव प्रचार थमने के बाद भी वो मऊ के नजदीकी जिले आजमगढ़ में रुके और वहां से चुनाव की तमाम रणनीति तैयार करते रहे। आखिर समय तक वो सपा कार्यकर्ताओं के संपर्क में रहे। शिवपाल यादव ने इससे पहले मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में भी अपना लोहा मनवाया था और अब जब उन्हें घोसी की जिम्मेदारी दी गई तो यहां भी सपा को शानदार जीत हासिल हुई।
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आपको बता दें कि अपने बड़े भार्ई स्व. मुलायम सिंह यादव के समय भी शिवपाल यादव सपा में दूसरे नंबर पर आते थे। सपा के संगठन की पूरी जिम्मेदारी मुलायम सिंह ने उन्हीं को सौंप रखी थी, शिवपाल यादव पार्टी का पूरा काम देखते थे और मुलायम सिंह का चेहरा आगे होता था। मुलायम सिंह के निधन के बाद अखिलेश यादव और शिवपाल के बीच की दूरियां कम हो गई। माना जा रहा है घोसी के बाद शिवपाल यादव को चुनावी रणनीति और संगठन को मजबूत किए जाने की जिम्मेदारी दी जाएगी। घोसी की जीत से सपा में उनका कद बहुत बढ गया है। UP News Live
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