उत्तर प्रदेश में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष को हिस्ट्रीशीटर ने दी जान से मारने की धमकी

पूरनलाल का कहना है कि सुभाष पहले भी उनसे रंगदारी ले चुका है और अब वह उनके मुकदमों के लिए पैसे की मांग कर रहा है। उससे आजिज आकर मुझे उसकी शिकायत करनी पड़ी है।

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सुभाष लोधी
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar07 Dec 2025 05:33 PM
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UP News : उत्तर प्रदेश के बरेली में पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष पूरनलाल लोधी ने आरोप लगाया है कि कुख्यात हिस्ट्रीशीटर सुभाष लोधी ने उन्हें जान से मारने की धमकी दी है। पूरनलाल का कहना है कि सुभाष पहले भी उनसे रंगदारी ले चुका है और अब वह उनके मुकदमों के लिए पैसे की मांग कर रहा है। उससे आजिज आकर मुझे उसकी शिकायत करनी पड़ी है।

वीडियो के माध्यम से दी है धमकी

पूरनलाल ने बताया कि सुभाष ने कार में बैठकर एक वीडियो रिकॉर्ड किया, जिसमें सीधे तौर पर धमकी दी गई और कहा गया कि धज्जियां उड़ा देंगे, कोई चूक नहीं होगी। पूरनलाल ने यह भी बताया कि उन्होंने अपने और अपने परिवार की सुरक्षा के लिए पहले ही सुभाष के परिवार को पैसे दिए हैं।

पुलिस दोनों मामलों की कर रही है जांच

पूरे इलाके में सुभाष और उसका परिवार आतंक फैलाए हुए हैं। वह नशे का आदी है और पहले भी कई हिंसक घटनाओं में शामिल रहा है। इसके अलावा, उसका शहर के कुख्यात अपराधियों के नेटवर्क के साथ संबंध है, जिसके जरिए वह रंगदारी वसूलता और अपराध करवाता है। हाल ही में अटरिया गांव के एक और निवासी मान सिंह ने भी उसके खिलाफ जानलेवा हमला होने की रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस दोनों मामलों की जांच कर रही है।

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उत्तर प्रदेश की महिला जिसने रूस में रचा इतिहास, भारत की पहली राजदूत बनीं

भारत और रूस दशकों से भरोसे और परंपरागत साझेदारी पर आधारित संबंधों को साझा करते आए हैं। लेकिन इस रिश्ते की एक खास कड़ी वह महिला हैं, जिनका नाम भारतीय कूटनीति के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है विजयलक्ष्मी पंडित, जो सोवियत संघ में भारत की पहली राजदूत बनीं।

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विजयलक्ष्मी पंडित
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar07 Dec 2025 04:33 PM
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UP News : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की भारत यात्रा एक बार फिर दोनों देशों के गहरे रिश्तों को चर्चा में ले आई। भारत और रूस दशकों से भरोसे और परंपरागत साझेदारी पर आधारित संबंधों को साझा करते आए हैं। लेकिन इस रिश्ते की एक खास कड़ी वह महिला हैं, जिनका नाम भारतीय कूटनीति के स्वर्णिम अक्षरों में दर्ज है विजयलक्ष्मी पंडित, जो सोवियत संघ में भारत की पहली राजदूत बनीं।

प्रयागराज में जन्मी प्रतिभा, जिसने दुनिया को दिखाया भारत का दम

विजयलक्ष्मी पंडित का जन्म 18 अगस्त 1900 को उत्तर प्रदेश के प्रयागराज (तब इलाहाबाद) में प्रतिष्ठित नेहरू परिवार में हुआ। वह वकील और स्वतंत्रता आंदोलन के प्रमुख नेता मोतीलाल नेहरू की बेटी तथा पंडित जवाहरलाल नेहरू की छोटी बहन थीं। घर पर ही पढ़ाई पूरी करने के बावजूद उनका व्यक्तित्व, संवाद क्षमता और राजनीतिक समझ इतनी गहरी थी कि बड़े-बड़े शिक्षाविद भी उनके सामने साधारण लगते थे। 1921 में उनका विवाह बैरिस्टर रंजीत सीताराम पंडित से हुआ। गांधीजी से प्रेरित होकर उन्होंने विलासिता का जीवन त्यागकर खादी अपनाई और स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई।

भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री

1937 में ब्रिटिश शासन के दौरान संयुक्त प्रांत (अब उत्तर प्रदेश) की विधानसभा चुनाव में विजयलक्ष्मी पंडित ने जीत हासिल की।

उन्हें प्रांतीय सरकार में स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया और इसी के साथ वे भारत की पहली महिला कैबिनेट मंत्री बनीं। उन्होंने साबित किया कि महिलाएं केवल सामाजिक भूमिका ही नहीं, बल्कि शासन प्रशासन में भी महत्वपूर्ण बदलाव ला सकती हैं।

सोवियत संघ की राजदूत बनकर निभाई ऐतिहासिक भूमिका

आजादी के बाद भारत को ऐसे चेहरे की तलाश थी जो बड़े देशों के सामने भारत का दृष्टिकोण मजबूत तरीके से रख सके। पंडित नेहरू अच्छी तरह जानते थे कि उनकी बहन में कूटनीति, बातचीत और नेतृत्व की अद्भुत क्षमता है। इसी विश्वास के आधार पर विजयलक्ष्मी पंडित को सोवियत संघ में भारत का पहला राजदूत नियुक्त किया गया।

अपने व्यक्तित्व और समझदारी से स्टालिन जैसे कठोर नेता को भी प्रभावित किया

जब वे मॉस्को पहुँचीं, उस समय दुनिया शीतयुद्ध की शुरुआत से जूझ रही थी। अमेरिका और सोवियत संघ के बीच तनाव चरम पर था। ऐसे समय में भारत का प्रतिनिधित्व करना आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने अपने व्यक्तित्व और समझदारी से स्टालिन जैसे कठोर नेता को भी प्रभावित कर लिया। उनकी उपस्थिति ने दुनिया को दिखाया कि भारतीय महिलाएँ अंतरराष्ट्रीय राजनीति में भी बराबरी से जगह बना सकती हैं।

भारत-रूस संबंधों की मजबूत नींव में उनका योगदान

विजयलक्ष्मी पंडित ने न केवल सोवियत संघ के साथ भारत के शुरुआती राजनयिक संबंधों को आकार दिया, बल्कि यह भी सुनिश्चित किया कि भारत एक स्वतंत्र और दृढ़ राष्ट्र की तरह विश्व मंच पर पहचाना जाए। उनकी नियुक्ति यह संदेश थी कि नए भारत में महिलाएँ नेतृत्व के हर आयाम में आगे बढ़ सकती हैं।

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उत्तर भारत में बन सकता है सबसे बड़ा धार्मिक-आर्थिक कॉरिडोर

बागपत से सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव सौंपा है। इस योजना के अनुसार, पानीपत से बरनावा और पुरा महादेव तक 80 किलोमीटर लंबा लिंक एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा, जो सीधे मेरठ के गंगा एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा।

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नितिन गडकरी के साथ बागपत के सांसद
locationभारत
userयोगेन्द्र नाथ झा
calendar06 Dec 2025 07:14 PM
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UP News : उत्तर भारत के विकास के नक्शे में एक नया अध्याय गंगा एक्सप्रेसवे के माध्यम से जुड़ सकता है। बागपत से सांसद डॉ. राजकुमार सांगवान ने केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को एक महत्वाकांक्षी प्रस्ताव सौंपा है। इस योजना के अनुसार, पानीपत से बरनावा और पुरा महादेव तक 80 किलोमीटर लंबा लिंक एक्सप्रेसवे बनाया जाएगा, जो सीधे मेरठ के गंगा एक्सप्रेसवे से जुड़ जाएगा।

यह मार्ग उत्तर भारत के आठ राज्यों को जोड़ेगा

सांसद का दावा है कि यह मार्ग उत्तर भारत के आठ राज्यों को जोड़ते हुए क्षेत्र का सबसे बड़ा धार्मिक और आर्थिक कॉरिडोर बन सकता है। इसके माध्यम से राजस्थान, हरियाणा, पंजाब, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल के शहरों तक सड़क संपर्क तेज और सुरक्षित बन जाएगा।

धार्मिक और पर्यटन लाभ

इस एक्सप्रेसवे से बागपत का धार्मिक और पर्यटन महत्व भी बढ़ सकता है। बरनावा में स्थित महाभारतकालीन लाक्षागृह और पुरा महादेव का प्राचीन शिवधाम राष्ट्रीय पर्यटन आकर्षण बन सकते हैं। इसके अलावा, अयोध्या, हरिद्वार, प्रयागराज, काशी विश्वनाथ धाम और कोलकाता का गंगासागर एक ही मार्ग से जुड़ेगा, जो धार्मिक पर्यटन के लिए अभूतपूर्व सुविधा प्रदान करेगा।

आर्थिक और व्यावसायिक अवसर

मार्ग के बन जाने से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी बड़ा फायदा होगा। होटल व्यवसाय, पर्यटन गाइड सेवाएं, फूड इंडस्ट्री, हस्तशिल्प, परिवहन और छोटे उद्योगों में वृद्धि की संभावना है। साथ ही, यह लिंक पानीपत, सोनीपत, मेरठ, मुजफ्फरनगर और दिल्ली जैसे औद्योगिक केंद्रों को जोड़ते हुए बागपत को केंद्रीय व्यापारिक हब के रूप में स्थापित कर सकता है। सांसद ने लोकसभा में हाईवे पर ट्रामा सेंटर अनिवार्य करने की भी मांग की है, ताकि सड़क दुर्घटनाओं में घायल लोगों को त्वरित चिकित्सा सहायता मिल सके। यदि यह प्रस्ताव सरकार से मंजूरी पाता है, तो यह एक्सप्रेसवे न केवल उत्तर भारत के धार्मिक और आर्थिक नक्शे को बदल सकता है, बल्कि बागपत और आसपास के क्षेत्रों के लिए विकास की नई दिशा भी तय करेगा।

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