Uttar Pradesh: यूपी में आज पूरी से बंद रहेंगी मांस मछली की दुकानें, जानें वजह

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Uttar Pradesh
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 NOV 2022 10:42 AM
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Uttar Pradesh: उत्तर प्रदेश में मांस, अंडा और मछली का सेवन करने वाले लोगों के लिए एक बुरी खबर है। आज पूरे उत्तर प्रदेश में मांस, मछली और अंडे की दुकानें पूरी तरह से बंद रहेंगी। यही नहीं स्लाटर हाउस भी इस दिन नहीं चलेंगे। इस आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश के अपर सचिव नगर विकास ने यह शासनादेश जारी किया है।

Uttar Pradesh

क्या है कारण जीवन पर्यन्त जीव हत्या बंद करने का प्रयास करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साधु टीएल वासवानी की जयंती पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को सभी स्थानीय निकायों में पशुवधशाला और मांस की दुकानें बंद रखने का फैसला किया है। अहिंसा के सिद्धांत का प्रतिपादन करने वाले युग पुरूषों के जन्म दिवस और कुछ प्रमुख धार्मिक पर्वों को अभय व अहिंसा दिवस के रूप में मनाये जाने के उद्देश्य से महावीर जयंती, बुद्ध जयंती, गांधी जयंती और महाशिवरात्रि पर्व पर पशुवधशाला एवं गोश्त की दुकानों को बंद करने का निर्देश समय समय पर जारी किये गये हैं। इसी कड़ी में 25 नवंबर को साधु टीएल वासवानी के जन्मदिवस पर मांस मछली की दुकानें बंद रखी जायेंगी।

शासनादेश में कहा गया है कि महावीर जयंती, बुद्ध जयंती, गांधी जयंती व शिवरात्रि के महापर्व की तरह टीएल वासवानी की जयंती पर इसे बंद रखने का फैसला किया गया है। साधु वासवानी मिशन के संस्थापक व स्वतंत्रता सेनानी साधु टीएल वासवानी की जयंती पर देश भर में कई आयोजन भी होंगे। हैदराबाद में जन्मे साधु टीएल वासवानी ने उच्च शिक्षा लेने के बाद सरकारी नौकरी को छोड़कर कम आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए थे।

कौन हैं साधु वासवानी

साधु वासवानी का जन्म हैदराबाद में 25 नवम्बर 1879 में हुआ था। अपने भीतर विकसित होने वाली अध्यात्मिक प्रवृत्तियों को बालक वासवानी ने बचपन में ही पहचान लिया था। वह समस्त संसारिक बंधनों को तोड़ कर भगवत भकि्‌त में रम जाना चाहते थे परन्तु उनकी माता की इच्छा थी कि उनका बेटा घर गृहस्थी बसा कर परिवार के साथ रहे। अपनी माता के विशेष आग्रह के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की।

उनके बचपन का नाम थांवरदास लीलाराम रखा गया। सांसारिक जगत में उन्हें टी. एल. वासवानी के नाम से जाना गया तो अध्यात्मिक लोगों ने उन्हें साधु वासवानी के नाम से सम्बोधित किया। उन्होंने 1902 में एम.ए.की उपाधि प्राप्त करके विभिन्न कॉलेजों में अध्यापन का कार्य किया फिर टी.जी.कॉलेज में प्रोफ़ेसर नियुक्त किए गए। लाहौर के दयाल सिंह कॉलेज, कूच बिहार के विक्टोरिया कॉलेज और कलकत्ता के मेट्रोपोलिटन कॉलेज में पढ़ाने के पश्चात वे 1916 में पटियाला के महेन्द्र कॉलेज के प्राचार्य बने।

साधु वासवानी उस युग में आए जब भारत परतंत्रता की बेडिय़ों में जकड़ा हुआ था। देश में स्वतंत्रता के लिए आन्दोलन हो रहे थे। कोई भी व्यकि्‌त इस आन्दोलन से अपने आपको अलग नहीं रख पाता था। बंगाल के विभाजन के मामले पर उन्होंने सत्याग्रह में भाग ले कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। बाद में भारत की स्वतंत्रता के लिए चलाए जा रहे आन्दोलनों में उन्होंने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। वे गांधी की अहिंसा के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्हें महात्मा गांधी के साथ मिल कर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने का अवसर मिला। वे किसानों के हितों के रक्षक थे। उनका मत था कि भूमिहीनों को भूमि दे कर उन्हें आधुनिक तरीके से खेती करने के तरीके बताए जाने चाहिएं। इसके लिए सहकारी खेती का भी उन्होंने समर्थन किया।

यही नहीं बल्कि विदेशो में भी इनके चर्चे थे। बर्लिन में वासवानी ने भारत के प्रतिनिधि के तौर पर विश्वधार्मिक सम्मेलन में हिस्सा लिया था, जहां उनके प्रभावशाली भाषण को सबने खूब सराहा था। इस समय उनकी उम्र 30 वर्ष थी। इसके बाद उन्होंने पूरे यूरोप में धर्म प्रचार किया। वह मीरा आंदोलन के अग्रदूत थे। इसके बाद उन्होंने साधु वासवानी मिशन की स्थापना की, उनका उद्देश्य जीव हत्या को रोकने के लिए समर्पित रहा। 16 जनवरी 1966 को उनका निधन हो गया।

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UP News : मुख्तार के बेटे उम्र की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज, शत्रु संपत्ति पर धोखाधड़ी से कब्जा करने का मामला

Mcms
Anticipatory bail application of Mukhtar's son rejected,
locationभारत
userचेतना मंच
calendar25 NOV 2022 10:36 AM
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UP News : लखनऊ,  लखनऊ के हजरतगंज क्षेत्र के जियामऊ की शत्रु संपत्ति पर कब्जा करके उसे धोखाधड़ी से अपने, अपने भाई तथा पिता माफिया मुख़्तार अंसारी के नाम कराने के अभियुक्त अंसारी के बेटे उमर अंसारी की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज हो गई है। जिला जज संजय शंकर पांडेय ने बृहस्पतिवार को यह आदेश पारित किया। जमानत का विरोध करते हुए सरकारी वकील मनोज त्रिपाठी ने कहा था कि मामले की रिपोर्ट लेखपाल सुरजन लाल ने 27 अगस्त, 2020 को थाना हजरतगंज में दर्ज कराई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि मुख्तार अंसारी व उसके बेटों अब्बास सारी और उमर अंसारी ने फर्जी दस्तावेज तैयार कर सरकारी निष्क्रांत भूमि पर अपराधिक साजिश के तहत एलडीए :लखनऊ विकास प्राधिकरण: से नक्शा पास करा के कब्जा कर लिया तथा उक्त भूमि पर अवैध निर्माण भी कर लिया गया है। आरोप लगाया गया कि जियामऊ स्थित जमीन मोहम्मद वसीम के नाम से दर्ज थी, बाद में वसीम पाकिस्तान चला गया लिहाज़ा वह जमीन सरकार में निष्क्रांत सम्पत्ति के रूप में निहित हो गई। कहा गया है कि बाद में उक्त जमीन बिना किसी सक्षम अधिकारी के आदेश के लक्ष्मी नारायण के नाम दर्ज हो गई और उसके बाद कृष्ण कुमार के नाम दर्ज हो गई। आरोप है कि अभियुक्त उमर अंसारी, अब्बास अंसारी और मुख़्तार अंसारी ने उक्त ज़मीन को हड़पने के लिए एक पूर्व नियोजित योजना के तहत अपराधिक साजिश के तहत इस काम को अंजाम दिया है। अभियोजन की ओर से आरोप लगाया गया कि मामले में माफिया मुख्तार अंसारी ने अनुचित दबाव डालकर अपने व अपने बेटों के नाम से शत्रु संपत्ति को दर्ज करा लिया है।
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<span style="color: #4c83f5 UP Big News: </span> सरकार का बड़ा फैसला, शुक्रवार को यूपी में बंद रहेंगी मांस मछली की दुकानें

Jayanti
UP Big News
locationभारत
userचेतना मंच
calendar24 NOV 2022 09:02 PM
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UP Big News: उत्तर प्रदेश में मांस, अंडा और मछली का सेवन करने वाले लोगों के लिए एक बुरी खबर है। कल, यानि शुक्रवार को पूरे उत्तर प्रदेश में मांस, मछली और अंडे की दुकानें पूरी तरह से बंद रहेंगी। यही नहीं स्लाटर हाउस भी इस दिन नहीं चलेंगे। इस आदेश की अवहेलना करने वालों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। प्रदेश के अपर सचिव नगर विकास ने शासनादेश जारी किया है कि 25 नवंबर को पूरे यूपी में अंडा, मांस, मछली की दुकानें पूरी तरह से शटडाउन रहेंगी।

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क्या है कारण जीवन पर्यन्त जीव हत्या बंद करने का प्रयास करने वाले स्वतंत्रता संग्राम सेनानी साधु टीएल वासवानी की जयंती पर उत्तर प्रदेश सरकार ने 25 नवंबर को सभी स्थानीय निकायों में पशुवधशाला और मांस की दुकानें बंद रखने का फैसला किया है। अहिंसा के सिद्धांत का प्रतिपादन करने वाले युग पुरूषों के जन्म दिवस और कुछ प्रमुख धार्मिक पर्वों को अभय व अहिंसा दिवस के रूप में मनाये जाने के उद्देश्य से महावीर जयंती, बुद्ध जयंती, गांधी जयंती और महाशिवरात्रि पर्व पर पशुवधशाला एवं गोश्त की दुकानों को बंद करने का निर्देश समय समय पर जारी किये गये हैं। इसी कड़ी में 25 नवंबर को साधु टीएल वासवानी के जन्मदिवस पर मांस मछली की दुकानें बंद रखी जायेंगी।

शासनादेश में कहा गया है कि महावीर जयंती, बुद्ध जयंती, गांधी जयंती व शिवरात्रि के महापर्व की तरह टीएल वासवानी की जयंती पर इसे बंद रखने का फैसला किया गया है। साधु वासवानी मिशन के संस्थापक व स्वतंत्रता सेनानी साधु टीएल वासवानी की जयंती पर देश भर में कई आयोजन भी होंगे। हैदराबाद में जन्मे साधु टीएल वासवानी ने उच्च शिक्षा लेने के बाद सरकारी नौकरी को छोड़कर कम आयु में ही स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय हो गए थे।

कौन हैं साधु वासवानी

साधु वासवानी का जन्म हैदराबाद में 25 नवम्बर 1879 में हुआ था। अपने भीतर विकसित होने वाली अध्यात्मिक प्रवृत्तियों को बालक वासवानी ने बचपन में ही पहचान लिया था। वह समस्त संसारिक बंधनों को तोड़ कर भगवत भकि्‌त में रम जाना चाहते थे परन्तु उनकी माता की इच्छा थी कि उनका बेटा घर गृहस्थी बसा कर परिवार के साथ रहे। अपनी माता के विशेष आग्रह के कारण उन्होंने अपनी पढ़ाई पूरी की। उनके बचपन का नाम थांवरदास लीलाराम रखा गया। सांसारिक जगत में उन्हें टी. एल. वासवानी के नाम से जाना गया तो अध्यात्मिक लोगों ने उन्हें साधु वासवानी के नाम से सम्बोधित किया। उन्होंने 1902 में एम.ए.की उपाधि प्राप्त करके विभिन्न कॉलेजों में अध्यापन का कार्य किया फिर टी.जी.कॉलेज में प्रोफ़ेसर नियुक्त किए गए। लाहौर के दयाल सिंह कॉलेज, कूच बिहार के विक्टोरिया कॉलेज और कलकत्ता के मेट्रोपोलिटन कॉलेज में पढ़ाने के पश्चात वे 1916 में पटियाला के महेन्द्र कॉलेज के प्राचार्य बने।

साधु वासवानी उस युग में आए जब भारत परतंत्रता की बेडिय़ों में जकड़ा हुआ था। देश में स्वतंत्रता के लिए आन्दोलन हो रहे थे। कोई भी व्यकि्‌त इस आन्दोलन से अपने आपको अलग नहीं रख पाता था। बंगाल के विभाजन के मामले पर उन्होंने सत्याग्रह में भाग ले कर सक्रिय राजनीति में प्रवेश किया। बाद में भारत की स्वतंत्रता के लिए चलाए जा रहे आन्दोलनों में उन्होंने बढ़ चढ़ कर भाग लिया। वे गांधी की अहिंसा के बहुत बड़े प्रशंसक थे। उन्हें महात्मा गांधी के साथ मिल कर स्वतंत्रता आन्दोलन में भाग लेने का अवसर मिला। वे किसानों के हितों के रक्षक थे। उनका मत था कि भूमिहीनों को भूमि दे कर उन्हें आधुनिक तरीके से खेती करने के तरीके बताए जाने चाहिएं। इसके लिए सहकारी खेती का भी उन्होंने समर्थन किया।

यही नहीं बल्कि विदेशो में भी इनके चर्चे थे। बर्लिन में वासवानी ने भारत के प्रतिनिधि के तौर पर विश्वधार्मिक सम्मेलन में हिस्सा लिया था, जहां उनके प्रभावशाली भाषण को सबने खूब सराहा था। इस समय उनकी उम्र 30 वर्ष थी। इसके बाद उन्होंने पूरे यूरोप में धर्म प्रचार किया। वह मीरा आंदोलन के अग्रदूत थे। इसके बाद उन्होंने साधु वासवानी मिशन की स्थापना की, उनका उद्देश्य जीव हत्या को रोकने के लिए समर्पित रहा। 16 जनवरी 1966 को उनका निधन हो गया।

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