UP News : भारत के सबसे बड़े प्रदेश यानि कि उत्तर प्रदेश में 12वीं कथा में फेल होने वालों की संख्या में तेजी के साथ बढ़ रही है। देश भर में 12वीं कक्षा में फेल होने वाले सबसे ज्यादा छात्र उत्तर प्रदेश के हैं। हाल ही में जारी राष्ट्रीय स्तर के आंकड़ों से पता चलता है कि 12वीं कक्षा में फेल होने वाले सर्वाधिक छात्र उत्तर प्रदेश के स्कूलों के छात्र हैं। उत्तर प्रदेश के बाद मध्य प्रदेश का नम्बर है। इसी प्रकार 10वीं में फेल होने वाले छात्रों में बिहार तथा मध्य प्रदेश के बाद उत्तर प्रदेश तीसरे स्थान पर है।
10वीं तथा 12वीं में 65 लाख छात्र हो गए हैं फेल UP News
उत्तर प्रदेश सहित देशभर में बीते साल 10वीं और 12वीं में 65 लाख से अधिक विद्यार्थी फेल हो गए। राज्य बोडों में असफल छात्रों की संख्या अधिक दर्ज की गई। वहीं, दोनों कक्षाओं में ओपन स्कूल का प्रदर्शन भी खराब रहा। 2023 में 56 राज्य शिक्षा बोर्ड व तीन राष्ट्रीय बोर्ड के कक्षा 10-12 के नतीजों के विश्लेषण से पता चला कि सरकारी स्कूलों से 12वीं की परीक्षा में लड़कियां अधिक शामिल हुईं, पर निजी स्कूलों व सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों में लड़के ज्यादा शामिल हुए। सरकारी स्कूलों में बेटियों की ज्यादा संख्या, जबकि निजी स्कूलों में बेटों की ज्यादा तादाद देश में लड़कियों के प्रति अभिभावकों के भेदभाव को दिखाती है।
इसके बावजूद, बेटियों ने पास प्रतिशत में छात्रों को बहुत पीछे छोड़ दिया। शिक्षा मंत्रालय के अनुसार, निजी स्कूलों में 12वीं में बेटियों का पास प्रतिशत 87.5 फीसदी रहा, जबकि छात्रों में यह 75.6 फीसदी ही था। निजी स्कूलों में 9 लाख छात्र फेल हुए, जबकि छात्राएं करीब 4 लाख ही फेल हुईं। स्कूलों में छात्राओं का उत्तीर्ण प्रतिशत छात्रों से छह फीसदी अधिक रहा। शिक्षा मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, कक्षा 10 के करीब 33.5 लाख विद्यार्थी अगली कक्षा में नहीं पहुंच सके। इनमें 5.5 लाख तो परीक्षा में शामिल ही नहीं हुए, जबकि 28 लाख असफल रहे। उच्चतर माध्यमिक स्तर पर सकल नामांकन अनुपात (जीईआर) कम होने का बड़ा कारण है। इसी तरह, 12वीं के करीब 32.4 लाख छात्रों ने ग्रेड पूरा नहीं किया। इनमें से 5.2 लाख परीक्षा में शामिल नहीं हुए, हुए, जबकि 27.2 लाख असफल रहे। छात्रों के समग्र प्रदर्शन में पिछले वर्ष की तुलना में गिरावट आई है। यह परीक्षा के विस्तृत पाठ्यक्रम के कारण हो सकता है। सरकारी स्कूलों से बोर्ड परीक्षाओं में छात्रों के बजाय अधिक छात्राएं शामिल हुईं। हालांकि सभी तरह के स्कूलों में पास प्रतिशत में लड़कियों का दबदबा है, वह ज्यादा संख्या में उत्तीर्ण हुई। UP News
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