UP News : उत्तर प्रदेश में एक ऐसा गांव है जहां घर-घर में सैनिक पैदा हुए और समय-समय पर देश के लिए सेना में अपना बेहतर योगदान दिया। उत्तर प्रदेश के गाजीपुर जिले में स्थित विख्यात गहमर गांव को “सैनिकों का गांव” कहा जाता है, जो अपने असाधारण सैन्य योगदान के लिए प्रसिद्ध है। उत्तर प्रदेश का यह गांव न केवल भारत का, बल्कि एशिया का भी सबसे बड़ा गांव माना जाता है, जिसकी जनसंख्या लगभग 1.35 लाख है।
गहमर गांव की सैन्य परंपरा
प्रथम विश्व युद्ध में भागीदारी : 1914 से 1919 के बीच प्रथम विश्व युद्ध के दौरान, गहमर के 228 सैनिकों ने भाग लिया, जिनमें से 21 वीरगति को प्राप्त हुए।
वर्तमान में सैन्य सेवा : गांव के लगभग हर घर से कोई न कोई व्यक्ति सेना में सेवा दे रहा है या दे चुका है। वर्तमान में, 15,000 से अधिक लोग भारतीय सेना में कार्यरत हैं, जबकि करीब 15,000 रिटायर्ड फौजी भी यहां निवास करते हैं।
उच्च रैंकिंग अधिकारी : गहमर ने भारतीय सेना को 42 लेफ्टिनेंट से लेकर ब्रिगेडियर तक के अधिकारी दिए हैं। वर्तमान में भी 45 कर्नल रैंक के अधिकारी गहमर से भारतीय सेना में सेवा दे रहे हैं।
सैनिकों के नाम पर टोले : गांव को 22 टोले में बांटा गया है, और हर टोले का नाम किसी न किसी सैनिक के नाम पर रखा गया है, जो गांव के सैन्य इतिहास को दर्शाता है।
धार्मिक आस्था और रक्षा
गांव के लोग मां कामाख्या देवी में अटूट आस्था रखते हैं। उनका मानना है कि देवी मां के आशीर्वाद से ही गांव का कोई सैनिक युद्ध में शहीद नहीं हुआ है। गहमर गांव भारतीय सेना के प्रति अपने योगदान और समर्पण के लिए एक मिसाल है। यह गांव न केवल अपने सैन्य इतिहास के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि इसकी धार्मिक आस्था और पारंपरिक मूल्यों के लिए भी जाना जाता है। UP News
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