Monday, 16 June 2025

यूपी में कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर फिर बढ़ा इंतजार, तय समयसीमा से पीछे चल रहा निर्माण कार्य

UP News : कानपुर से लखनऊ के बीच फर्राटा भरने वाले अवध एक्सप्रेसवे का सपना फिलहाल कुछ और समय के…

यूपी में कानपुर-लखनऊ एक्सप्रेसवे पर फिर बढ़ा इंतजार, तय समयसीमा से पीछे चल रहा निर्माण कार्य

UP News : कानपुर से लखनऊ के बीच फर्राटा भरने वाले अवध एक्सप्रेसवे का सपना फिलहाल कुछ और समय के लिए टल गया है। परियोजना के काम में लगातार हो रही देरी के कारण तय समयसीमा एक बार फिर पीछे खिसक गई है। अब एक्सप्रेसवे के पहले चरण को 31 जुलाई तक पूरा करने का नया लक्ष्य रखा गया है, जबकि लखनऊ के सेक्शन का काम अक्टूबर तक खिंच सकता है।

निर्माण कार्य में बाधाएं और नई समयसीमा

कानपुर के जिलाधिकारी जितेन्द्र प्रताप सिंह ने हाल ही में उन्नाव जिले में परियोजना स्थल का निरीक्षण किया। उन्होंने जानकारी दी कि उन्नाव से लखनऊ तक का 45 किलोमीटर का खंड 31 मई तक तैयार किया जाना था, लेकिन रेलवे ओवरब्रिज, भूमि अधिग्रहण की जटिलताएं और तकनीकी कारणों से यह लक्ष्य पूरा नहीं हो सका। अब नया लक्ष्य 31 जुलाई तय किया गया है। इसके साथ ही लखनऊ की ओर 17 किलोमीटर के एलिवेटेड सेक्शन में भी कार्य अधूरा है, जिसे अक्टूबर तक पूरा करने की योजना है।

पूरे प्रोजेक्ट में प्रशासनिक अस्थिरता भी जिम्मेदार

परियोजना की रफ्तार धीमी होने के पीछे एक बड़ा कारण प्रशासनिक अस्थिरता भी मानी जा रही है। जानकारी के मुताबिक, फरवरी 2023 से अब तक चार परियोजना निदेशक बदले जा चुके हैं। मौजूदा पीडी भी स्वास्थ्य कारणों से कार्यभार ठीक से नहीं संभाल पा रहे हैं। अब एनएचएआई के चेयरमैन से स्थायी पीडी की नियुक्ति की मांग की गई है, ताकि परियोजना को समय पर पूरा किया जा सके।

पूरा हुआ तो बदल जाएगी यात्रा की परिभाषा

यदि यह एक्सप्रेसवे तय समय पर पूरा हो जाता है, तो कानपुर से लखनऊ के बीच की यात्रा महज 40 मिनट में पूरी की जा सकेगी। वर्तमान में एनएच-27 पर लगने वाला भारी जाम इस एक्सप्रेसवे से काफी हद तक कम होगा, जिससे लाखों दैनिक यात्रियों को राहत मिलेगी। खासतौर पर उन्नाव और लखनऊ के बीच यात्रा करने वालों को बड़ा फायदा होगा। UP News

‘अवध एक्सप्रेसवे’ बन सकता है यूपी का ट्रांसपोर्ट गेमचेंजर

इस परियोजना को ‘अवध एक्सप्रेसवे’ के नाम से भी जाना जा रहा है और इसके पूर्ण होने पर यह उत्तर प्रदेश के सबसे व्यस्त औद्योगिक और प्रशासनिक क्षेत्रों के बीच संपर्क की रीढ़ साबित हो सकता है। हालांकि, अगर निर्माण कार्य की यही रफ्तार रही, तो यह प्रोजेक्ट भी उन तमाम अधूरी योजनाओं की कतार में खड़ा हो सकता है, जो सिर्फ कागजों पर तेजी से भागती हैं। UP News

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