Saturday, 19 April 2025

हत्‍या मामले में उत्‍तर प्रदेश दूसरे स्‍थान पर, महिला अपराधों में उत्तरप्रदेश टॉप पर

देश में अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। देश में अपराधों को देखने के बाद आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में हत्या के 28,522 मामले दर्ज किए गए

हत्‍या मामले में उत्‍तर प्रदेश दूसरे स्‍थान पर, महिला अपराधों में उत्तरप्रदेश टॉप पर

Uttar Pradesh News : देश में अपराध के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। देश में अपराधों को देखने के बाद आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022 में हत्या के 28,522 मामले दर्ज किए गए। यानि हर घंटे तीन हत्या के मामले दर्ज हुए। राष्ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से जारी रिपोर्ट के मुताबिक, उत्तर प्रदेश पूरे देश में इसमें अव्‍वल रहा। यहां सबसे अधिक 3491 हत्या के मामले दर्ज किए गए। बिहार देश का दूसरा सबसे बड़ा राज्य है, जहां पर सबसे अधिक हत्या के मामले दर्ज किए गए। बिहार में 2022 में 2930 हत्याएं हुई। इन दोनों राज्‍यों के बाद ही अन्‍य राज्‍यों का नंबर आता है।

 महिला अपराधों के मामले में भी स्थिति बहुत ही खराब

महिला अपराधों के मामले में भी स्थिति बहुत खराब है। राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के सिलसिले में हर घंटे लगभग 51 प्राथमिकी दर्ज की गईं। हालांकि महिलाएं सबसे ज्‍यादा अपनों की ही हिंसा का शिकार हुई हैं। भारत में 2022 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,45,256 मामले दर्ज किये गये। इससे पहले 2021 में 4,28,278 जबकि 2020 में 3,71,503 प्राथमिकी दर्ज की गई थीं।

सबसे ज्यादा ‘अपनों’ का अत्याचार

महिलाएं सबसे ज्‍यादा अपनों के अत्‍याचार की शिकार हुईं। महिलाओं के खिलाफ प्रति एक लाख आबादी में अपराध की दर 66.4 प्रतिशत रही जबकि ऐसे मामलों में आरोप पत्र दायर करने की दर 75.8 रही। एनसीआरबी ने कहा कि भारतीय दंड संहिता के तहत महिलाओं के खिलाफ अधिकांश (31.4 प्रतिशत) अपराध पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता किए जाने के थे, इसके बाद महिलाओं के अपहरण (19.2 प्रतिशत), शील भंग करने के इरादे से महिलाओं पर हमला (18.7 प्रतिशत) और बलात्कार (7.1 प्रतिशत) के मामले दर्ज किए गए।

महिला अपराध में सबसे ज्‍यादा प्राथमिकी यूपी में दर्ज

महिला अपराध के मामले में उत्तर प्रदेश में 2022 में सबसे अधिक 65,743 प्राथमिकी दर्ज की गईं, इसके बाद महाराष्ट्र (45,331), राजस्थान (45,058), पश्चिम बंगाल (34,738) और मध्य प्रदेश (32,765) रहे। एनसीआरबी के अनुसार पिछले साल देश में महिलाओं पर अपराधों को लेकर जितने कुल मामले सामने आए उनमें से 2,23,635 (50 प्रतिशत) इन पांच राज्यों में दर्ज किए गए।

महिलाओं के अपहरण मामले में भी यूपी अव्‍वल

महिलाओं के अपहरण की देशभर में कुल 69,677 घटनाएं हुईं, जो पुलिस बलों के लिए एक चुनौती है। जिनमें उत्तर प्रदेश में अपहरण की सबसे अधिक 14,887 घटनाएं दर्ज की गईं, इसके बाद बिहार (10,190), महाराष्ट्र (9,297), मध्य प्रदेश (7,960) और पश्चिम बंगाल (6596) का स्थान है।
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मामलों के निस्‍तारण में यूपी दूसरे स्‍थान पर रहा

बलात्कार और पाक्सो एक्ट के मामलों के निस्तारण में यूपी देश में दूसरे स्थान पर है। ऐसे मामलों को 97.80 प्रतिशत तक निस्तारित किया गया है। निस्‍तारण मामलों में अब यूपी केवल दादर और नगर हवेली से ही पीछे है। महिलाओं और बालिकाओं से संबंधित अपराध के लंबित मामलों के निस्तारण में भी यूपी ने देश में दूसरा स्थान प्राप्त किया है। इस मामले में बिहार की स्थिति सबसे खराब है।

मुख्‍यमंत्री ने की गृह विभाग की सराहना

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक उच्चस्तरीय बैठक में इसके लिए गृह विभाग के प्रयासों की सराहना की है। अधिकारियों ने मुख्यमंत्री को बताया कि ऐसे मामलों के निस्तारण में पहले स्थान पर दादरा और नगर हवेली एवं दमन दीव है। सबसे खराब प्रदर्शन बिहार राज्य का रहा है। प्रदेश के भदोही जिले का प्रदर्शन सबसे अच्छा पाया गया है। दूसरे स्थान पर मऊ और तीसरे स्थान पर बलरामपुर है। मुख्यमंत्री ने बैठक में मौजूद गृह विभाग के अधिकारियों को जांच प्रक्रिया में तेजी लाने तथा लंबित जांच को जल्द से जल्द पूरा करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने कहा कि महिला अपराध के मामलों के निस्तारण में प्रदेश को देश में पहले स्थान पर लाने का प्रयास किया जाए।
अपराध का रेसियो कम होने से इससे देश ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी हमारी अलग छवि बनेगी। और इसका सीधा प्रभाव निवेश पर भी पड़ेगा। जिससे प्रदेश की उन्‍नति का सीधा संबंध है। वहीं जिन जिलों का प्रदर्शन अच्छा नहीं है, उन पर खासा फोकस किया जाए। उन्होंने कहा कि जिला स्तर पर पॉक्सो एक्ट से संबंधित मामलों की हर महीने समीक्षा भी की जाये।

साइबर अपराध में भी यूपी में कमी आई

दूसरी ओर साइबर अपराधों के मामले में देखने से पता चलता है कि 2022 में 28 राज्यों और आठ केंद्र शासित प्रदेशों में 65,893 मामलों के साथ भारत में साइबर अपराध में वृद्धि देखी गई। वहीं उत्तर प्रदेश में इसके ठीक विपरीत प्रवृत्ति देखी गई, यहां 10,117 मामले दर्ज किए गए, जो कि पिछले वर्ष की तुलना में कम थे। 2019 में कुल 11,416 साइबर अपराध के मामले दर्ज किए गए थे। इसके बाद 2020 में 11,097 और 2021 में 8,829 मामले दर्ज किए गए। जबकि इसी अवधि में, साइबर अपराधों के राष्ट्रीय औसत में वृद्धि दर्ज की गई।

राज्य सरकार की पहल आई काम

पता नहीं यह आकड़ों की बाजीगरी है या अपराध दर्ज न करने से ऐसी स्थित बनी है यह तो जांच का विषय है। लेकिन स्पेशल डीजी लॉ एंड ऑडर प्रशांत कुमार ने बताया कि साइबर अपराध की दर में गिरावट का श्रेय यूपी पुलिस की साइबर सेल को लगातार मजबूत करने की राज्य सरकार की पहल को जाता है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने हाल ही में विशेष रूप से साइबर सेल के लिए 150 नए पद स्वीकृत किए हैं, जबकि पहली बार 18 जोनल मुख्यालयों में साइबर लैब स्थापित की गई हैं। कुमार ने कहा कि राज्य भर के सभी 1,584 पुलिस स्टेशनों पर साइबर हेल्प डेस्क स्थापित किए जा रहे हैं। उन्होंने ने बताया कि साइबर मामलों से निपटने के लिए यूपी पुलिस अपने कर्मियों को एनसीआरबी के ऑनलाइन साइबर प्रशिक्षण मॉड्यूल ‘साइट्रेन’ में भी तैनात कर रही है।

गाजियाबाद में महिला अपराध और हत्या में बढ़ोतरी

गाजियाबाद में हत्या के मामले में 144 प्रतिशत और महिला अपराध के मामले में 80 प्रतिशत की कमी आई है। 2022 के मुकाबले 2021 में यहां 16,495 मामले दर्ज किए गए थे। जिले में 2022 में 66 हत्या के केस रजिस्टर्ड हुए। वहीं 2021 और 2020 में क्रमश: 25 और 23 था। वहीं महिला अपराध के 2022 में 1063 मामले दर्ज हुए। ये आंकड़ा 2021 और 2020 में क्रमश: 591 और 341 था।

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