Site icon चेतना मंच

Uttarpradesh News: आरटीई एडमीशन के खेल में आयोग सख्त, मांगी रिपोर्ट

RTE

RTE

 

Uttarpradesh News: सरकार द्वारा गरीब बच्चों को अच्छे स्कूल में एडमीशन देकर पढ़ाने के लिए लाए RTE  एक्ट में स्कूल बड़ा खेल कर रहे हैं। अपने स्कूल में एडमीशन न देने के लिए वेबसाइट पर स्कूल बंद दिखा रहे हैं। अब आयोग ने इसे संज्ञान में लिया है।  गरीब बच्चों को अच्छे स्कूल में पढ़ाने के लिए सरकार ने शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया था। गरीबों ने सोचा कि अब उनके बच्चे भी बडे स्कूलों में दाखिला ले सकेंगे, लेकिन मोटी फीस वसूलने वाले निजी स्कूलों को फ्री में एडमीशन देना रास नहीं आ रहा है। इसी वजह से उन्होंने इसमें खेल कर दिया। प्राइवेट स्कूलों ने शिक्षा का स्कूल अधिकार अधिनियम के अंतर्गत गरीब बच्चों को दाखिला देने से बचने के लिए स्कूलों को बंद दिखा दिया है, जो अभी भी संचालित हैं। आयोग से शिकायत की गई है कि बंद दिखाए जा रहे कई स्कूल अभी भी संचालित हैं। इस पूरे खेल का संज्ञान राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग ने लिया है।

Advertising
Ads by Digiday

हर शहर में हो रहा खेल ,गरीब बच्चों को दाखिला देने से बचने के लिए स्कूलों को बंद दिखा दिया

पूरे उत्तर प्रदेश में ये खेल बड़े स्तर पर चल रहा है। ये गरीब बच्चों के प्रवेश से बचने के लिए ऐसा कर रहे हैं। कानपुर नगर में 181, गाजियाबाद में 97, आगरा में 267, गौतमबुद्धनगर में 81, गोरखपुर में 142 व बरेली में 90 स्कूल बंद दिखाए जा रहे हैं। प्रमुख सचिव बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा दीपक कुमार ने इस पर कहा कि हमें इस तरह की शिकायतें मिली हैं। लेकिन आयोग का पत्र अभी संज्ञान में नहीं आया है। यदि ऐसा कोई पत्र आया होगा तो आवश्यक कार्रवाई कर आयोग को सूचित करेंगे। हम अपने स्तर पर भी इसकी जांच कराएंगे।

Uttarpradesh News: दर-दर भटकना पड़ रहा 

आयोग ने माना है कि बंद दिखाए जा रहे कई विद्यालय अभी भी संचालित हैं। ऐसी समस्या पूरे प्रदेश में बनी हुई है। इसकी वजह से आरटीई के दायरे वाली छात्र-छात्राओं को आवंटित विद्यालयों में प्रवेश के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। आयोग ने प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को प्रदेश के समस्त जिलों में ऐसे बंद दिखाए गए स्कूलों की जांच कराने का आदेश दिया है। प्रदेश के आरटीई पोर्टल पर राजधानी लखनऊ के 2053 विद्यालयों का ब्योरा उपलब्ध है। इनमें से शहरी क्षेत्र के 1692 विद्यालयों में से 220 को बंद दिखाया जा रहा है।

स्कूलों की जांच का आदेश

आयोग की सदस्य डा. शुचिता चतुर्वेदी ने लखनऊ की स्थिति का उल्लेख करते हुए प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा को आरटीई की वेबसाइट पर बंद दिखाए जा रहे समस्त विद्यालयों की स्थानीय जांच कराने का निर्देश दिया है। उन्होंने ऐसे स्कूलों की सही स्थिति को वेबसाइट प्रदर्शित कराने को कहा है। डा. चतुर्वेदी ने प्रमुख सचिव को की गई कार्रवाई की जानकारी एक सप्ताह में आयोग को उपलब्ध कराने को कहा है, ताकि बच्चों का नियमानुसार प्रवेश हो सके।

Uttarpradesh News: बाध्यकारी है RTE एक्ट

आरटीई एक्ट के तहत निजी स्कूलों को अपनी कक्षा की कुल सीटों का एक-चौथाई आर्थिक रूप से कमज़ोर (ईडब्लूएस) बच्चों के लिये आरक्षित रखना अनिवार्य है। एक्ट के तहत प्री-नर्सरी व कक्षा-एक में प्रवेश लिया जाता है। सरकार ने इस व्यवस्था को ठीक से लागू करने के लिए एक आरटीई-यूपी पोर्टल बनाया है। इस पर निजी स्कूलों को जुड़ना अनिवार्य है। इसी पोर्टल पर दर्ज तमाम स्कूल बंद बताए जा रहे हैं।

फीस और कापी-किताब का खर्च देती है सरकार

प्रदेश सरकार आरटीई में दाखिला पाने वाले अलाभित समूह व दुर्बल आय वर्ग के छात्र-छात्राओं को पाठ्य पुस्तकों, अभ्यास पुस्तिकाओं, व यूनिफार्म के लिए प्रति विद्यार्थी 5000 रुपये देती है। स्कूलों को 450 रुपये प्रतिमाह की दर से 5400 रुपये वार्षिक भुगतान किया जाता है।

अबू साद

Employment Fair : 71 हजार परिवारों में बरसीं खुशियां, मोदी ने सौंपे नियुक्ति पत्र

Exit mobile version